अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में ट्रम्प की हार के बाद से ही दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामकता बढ़ने लगी है। 7 नवंबर को ही अपने लेख में हमने आपको बताया था कि कैसे बाइडन की जीतने की खबर आने के बाद चीन South China Sea का सैन्यकरण करने की भरपूर कोशिश कर रहा है। हालांकि, चीन को ट्रम्प की हार का जश्न मनाने से पहले ASEAN में भारत-जापान की चुनौती से निपटने की योजना पर काम कर लेना चाहिए! दक्षिण चीन सागर में अब अमेरिका का दख्ल कम भी हो जाएगा, तो भारत ASEAN और दक्षिण चीन सागर में बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। अपने हालिया कदमों से भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है।
दरअसल, बीते शुक्रवार को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और फिलीपींस के विदेश मंत्री ने एक बैठक के बाद आपसी सम्बन्धों को एक नया आयाम देने का संकल्प लिया। दोनों देशों ने सुरक्षा, मिलिट्री ट्रेनिंग, शिक्षा और हथियारों की खरीद के मामले में सहयोग को बढ़ाने की बात कही। साफ है कि भारत फिलीपींस के साथ नजदीकी बढ़ाकर क्षेत्र में चीन के लिए मुश्किलें पैदा करना चाहता है। इतना ही नहीं, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को बढ़ाने को लेकर एक पीटीए (Preferential Trade Agreement) डील करने को लेकर बातचीत चल रही है जिसके तहत दोनों देश आपसी ट्रेड बढ़ाने के साथ ही उत्पाद शुल्कों में कटौती करने का फैसले लेंगे। फिलीपींस ने हाल ही में दक्षिण चीन सागर में अपनी ओर से “drilling” करने पर पाबंदी हटाने का भी फैसला लिया है, जिसके बाद इस बात की संभावना भी बढ़ गयी हैं कि भारत और फिलीपींस भविष्य में साथ मिलकर दक्षिण चीन सागर में Joint Exploration कर सकते हैं।
दक्षिण चीन सागर में कोई भी देश drilling या exploration का काम करता है, तो इससे चीन को सबसे ज़्यादा पीड़ा पहुँचती है, क्योंकि पूरे दक्षिण चीन सागर को चीन अपना हिस्सा मानता है। इसीलिए, इसी वर्ष वियतनाम ने भी भारत के साथ मिलकर उसके Exclusive Economic Zone में drilling और exploration का प्रस्ताव रखा था। वियतनाम और भारत, साथ मिलकर दक्षिण चीन सागर में सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने की बात भी कह चुके हैं।
पिछले महीने भारत ने ASEAN के एक और सदस्य देश म्यांमार को एक सबमरीन गिफ्ट की थी। भारत की ओर से उठाया गया यह बड़ा कदम क्षेत्र में चीन के प्रभुत्व को चुनौती देने की दृष्टि से ही देखा गया था। भारत का दक्षिण चीन सागर में इन देशों के साथ नज़दीकियाँ बढ़ाना दिखाता है कि भारत खुद भी यहाँ बड़ी भूमिका निभाने में रूचि रखता है और ASEAN के ये देश भी भारत के साथ अपने सहयोग को बढ़ाकर चीन के खतरे से निपटना चाहते हैं।
ASEAN देशों को यह डर सता रहा है कि अगर बाइडन दक्षिण चीन सागर में नर्म रुख दिखाते हैं, तो उनके लिए चीन की समस्या से निपटना बेहद मुश्किल हो जाएगा! हालांकि, भारत जिस प्रकार इन देशों के साथ अपने सहयोग को बढ़ा रहा है, उससे स्पष्ट है कि अमेरिका के बाद अब भारत दक्षिण-पूर्व एशिया में मुख्य भूमिका में आ सकता है। भारत के साथ-साथ जापान और ऑस्ट्रेलिया भी इस क्षेत्र में चीन को चुनौती देने में भारत का साथ दे सकते हैं। दुनिया के इस हिस्से में जापान का भी बेहद ज़्यादा वर्चस्व है। चीन बेशक बाइडन की जीत के बाद खुशियाँ मनाने की तैयारी कर रहा हो, लेकिन इतना तय है कि भारत और जापान ASEAN देशों के साथ मिलकर उसके लिए मुश्किलें पैदा करते रहेंगे!