कोरोना वायरस के कारण लंबे लॉकडाउन और अनेकों प्रतिबंधों के चलते आम आदमी घरों में लगभग 6 महीनों से कैद था जिससे न केवल वो ऊब गया था, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था भी लगभग ठप पड़ गई थी। पर्यटन उद्योग इसके सबसे ज्यादा चपेट में आया है, लेकिन अनलॉक की प्रक्रिया के तहत जैसे-जैसे स्थितियां सामान्य हो रही हैं पर्यटन उद्योग भी आगे बढ़ने लगा है। लंबे वक्त से घरों में कैद रहने को मजबूर लोग थोड़ी-सी छूट मिलने पर “रिवेंज पर्यटन” की धारणा की भांति यात्रा को निकल पड़े हैं जिससे पर्यटन उद्योग को पंख लग गए हैं।
पिछले लगभग 6 महीनों में से तीन महीनें भारतीयों ने लॉकडाउन झेला है। अनलॉक की प्रक्रिया में इतने नियम थे कि लगभग अन्य तीन महीनों तक ये लोग अपनी प्राथमिक जरूरतों को ही पूरा करने में व्यस्त रहे। जनता इतनी ज्यादा कैद में रह चुकी थी कि खुली हवा में बिना किसी फिक्र निकलने के लिए बस थोड़ी-सी छूट मिलने का इंतजार कर रही थी। अनलॉक-4 में जिस तरह से लोगों को बाहर निकलने की छूट मिली है उससे इन लोगों को घूमने-फिरने का मौका मिल गया है, जिसके चलते भारतीय पर्यटन उद्योग में अचानक एक बड़ा बूस्ट देखा गया है।
रिवेंज पर्यटन का असर
रिवेंज पर्यटन असल में एक चाइनीज धारणा है जिसके तहत जब जनता पर हजारों तरह के प्रतिबंध लगाकर, उसे कैद करने के बाद, जब लंबे समय के कालांतर के बाद उसे छूट दी जाती है तो वो जनता पिंजरे से निकले पक्षी की तरह छटपटा कर ऊंची उड़ाने भरने लगती है। ऐसे में वो काफी खर्च भी करते हैं। लोगों का घूमने-फिरने का यही शौक पर्यटन उद्योग समेत अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद होता है। कुछ ऐसा ही भारत में भी हो रहा है।
दरअसल, रिवेंज पर्यटन के तहत देश में पर्यटन उद्योग को अचानक बूस्ट मिला है। लोग घूमने फिरने की इच्छा में खूब खर्च कर रहे हैं। होटलों में होने वाली बुकिंग में लोग बेसिक से लेकर सभी तरह की लग्जरी सुविधाएं ले रहे हैं। लोग होटलों में ज्यादा बड़े कमरों को प्राथमिकता दे रहे हैं जो कि खुली हवा से भी गुलजार हो, उन्हें बालकनी का आनंद भी चाहिए और प्रकृति से जुड़ाव भी।
कोरोना के इस दौर में अभी तक सभी कंपनियां वर्क फ्रॉम होम का पालन कर रही हैं जिसके चलते लोग अपनी यात्राओं के साथ ही काम भी कर रहे हैं। वो लोग जो कुछ दिक्ततों की वजह से ज्यादा दूर की यात्रा नहीं कर सकते हैं वो भी अपने आस पास के पर्यटन स्थल या रिंजॉर्ट में जाकर अपना समय बिता रहे हैं। जो लोग पहले 3-4 दिन की यात्रा पर निकलते थे वो अब 6-7 दिन के टूर पर निकल पड़े हैं। कनसल्टिंग होटललिवेट के सह-संस्थापक मानव थंडानी ने इसको लेकर बताया, “ड्राइव डिस्टेंस के अनुसार सहूलियतों को देखते हुए, इलाकों के होटल करीब 70 फीसदी तक बुक हो गए हो रहे हैं।”
गौरतलब है कि अभी तक बच्चों के स्कूल और कॉलेज नहीं खुले हैं सभी को ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधाएं मिल रही हैं। कामगार अभिभावक भी घर से ही काम कर रहे हैं। वो लगातार काम ही कर रहे हैं। ऐसे में उनकी छुट्टियां भी अभी बची हुईं हैं इसलिए पर्यटन उद्योग में काम करने वाले लोगों का मानना है कि अभी इस उद्योग में और अधिक उछाल आएगा, जो होटल अभी 70-75 फीसदी तक बुक हैं उनकी संख्या अभी 90-95 तक जाएगी। वहीं यात्रा किस उम्र के लोग ज्यादा कर रहे हैं तो इसको लेकर फ्लाइट सेंटर ट्रैवेल ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर रक्षित देसाई का कहना है, “केवल युवा ही ज्यादा यात्रा कर रहे हैं। उम्रदराज़ लोग अभी भी यात्रा करने से बच रहे हैं वो बीमारी के कारण अभी सभी तरह के नियमों का पालन भी कर रहे हैं।”
भारतीय अर्थव्यवस्था में पर्यटन की एक बड़ी भूमिका मानी जाती हैं। ऐसे में वो लोग जो इस रिवेंज पर्यटन के तहत लंबे वक्त के बाद सैर-सपाटे पर निकलें हैं असल में देश के पर्यटन उद्योग को एक नई धार दे रहे हैं जिससे देश में ठप पड़ा एक सेक्टर का कारोबार दोगुनी रफ्तार से चल पड़ा हैं। ये न केवल रोजगार के अवसरों के लिए शुभ संकेत है बल्कि देश की अर्थव्यवस्था के दोबारा रफ्तार पकड़ने का इशारा भी हैं।