चीन पर प्रहार को तैयार है रूस, उसके दुश्मनों को देगा ब्रह्मोस

भारत के साथ निर्मित होने के करण अमेरिकी प्रतिबंधों से भी मुक्त है ब्रह्मोस

ब्रह्मोस

ब्रह्मोस- भारत और रूस की संयुक्त साझेदारी के तहत विकसित की गयी यह खतरनाक सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल जल्द ही चीन का सबसे बड़ा सरदर्द बन सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अब भारत के साथ मिलकर रूस चुन-चुन कर चीन के सबसे कट्टर दुश्मनों को यह खतरनाक मिसाइल मिसाइल बेच सकता है। रूस और भारत पहले ही फिलीपींस को ब्रह्मोस बेचने की अनुमति दे चुके हैं। इसके साथ ही वियतनाम के साथ ही भारत और रूस सरकार लगातार संपर्क बनाए हुए हैं। इसके अलावा हाल ही की खबर में ब्राज़ील ने भी भारत और रूस की इस मिसाइल को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। खास बात यह है कि ब्रह्मोस को बेचने के कारण रूस पर किसी प्रकार के अमेरिकी प्रतिबंधों का खतरा भी नहीं होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि इस प्रोजेक्ट में भारत भी रूस का साझेदार है और भारत के खिलाफ जाकर अमेरिका अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी नहीं मारना चाहेगा।

ब्रह्मोस को बेचने के लिए यह ज़रूरी है कि भारत और रूस सरकार दोनों इसपर सहमति जताएँ। फिलीपींस को ब्रह्मोस बेचने के लिए भारत के अलावा रूस सरकार भी अपनी सहमति जता चुकी है, जिसके कारण चीन को बड़ा झटका लगा है। ऐसा इसलिए क्योंकि अब तक चीन रूस को अपना सबसे पुराना दोस्त समझकर इसे अपने लिए कोई बड़ा खतरा मानता ही नहीं था। इसके उलट चीन तो Quad का मुक़ाबला करने के लिए रूस को उसका साथ देने के लिए आमंत्रित करना चाहता था। हालांकि, अब चीन को अहसास हुआ है कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन तो चीन के साथ सबसे बड़ा खेल खेल रहे हैं।

पूर्व में अमेरिका के Democrats ने रूस के सुरक्षा कार्यक्रमों पर प्रतिबंधों का ऐलान किया था, जिसके कारण दुनियाभर के देश अमेरिकी प्रतिबंधों से बचने के लिए रूस के हथियार नहीं खरीदते हैं। उदाहरण के लिए भारत, तुर्की और चीन के अलावा रूस को उसके सर्वश्रेष्ठ मिसाइल डिफेंस सिस्टम S-400 का नया खरीददार नहीं मिल पाया है। हालांकि, ब्रह्मोस के मामले में ऐसा नहीं होगा। ब्रह्मोस उतना ही भारत का भी है, जितना रूस का! ऐसे में Democrats चाहकर भी ब्रह्मोस के लिए रूस पर प्रतिबंध लगाने का जोखिम नहीं उठाना चाहेंगे।

भारत-रूस की इस साझेदारी से चीन के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी होनी तय है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये दोनों देश ब्रह्मोस को बेचने के लिए चीन-विरोधी देशों को चुन रहे हैं। Indonesia, वियतनाम, फिलीपींस और ब्राज़ील जैसे देश अभी चीन के साथ भू-राजनीतिक विवाद में उलझे हुए हैं और ऐसे समय में रूस ब्रह्मोस को बड़ा हथियार बनाकर इसे चीन के खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है। इन देशों को ब्रह्मोस बेचकर रूस बिना किसी जोखिम उठाए ही चीन को चौतरफ़ा घेरने की रणनीति पर काम कर रहा है।

ब्रह्मोस चीन के कट्टर दुश्मनों के पास जाने से चीन को क्या नुकसान होगा, यह भी जान लेते हैं। ब्रह्मोस मिसाइल 3 हज़ार किलोग्राम वजनी एक परमाणु मिसाइल है, 300 किलोमीटर से 800 किलोमीटर तक की दूरी पर बैठे दुश्मन पर अचूक निशाना लगाती है। इसकी गति इसे सबसे ज्यादा घातक बनाती है। यह 4300 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से हमला करती है, यानी 1.20 किलोमीटर प्रति सेकेंड की गति से! इसके छूटने के बाद दुश्मन को बचने का या हमला करने का मौका नहीं मिलता। अब ज़ाहिर सी बात है कि चीन यह कभी नहीं चाहेगा कि उसका कोई दुश्मन उसपर इसी खतरनाक ब्रह्मोस मिसाइल से धावा बोल दे। हालांकि, जिस रणनीति पर अभी रूस काम कर रहा है, उसे देखकर तो यही लगता है कि निकट भविष्य में ऐसा होने के अनुमान काफी ज़्यादा हैं।

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