आपने एक कहावत तो सुनी ही होगी ‘डूबते को तिनके का सहारा’ लेकिन देश की राजधानी दिल्ली में तो पटाखा विक्रेताओं को तिनके का भी सहारा नहीं रहा l दिल्ली में हर तरह के पटाखों की बिक्री और खरीद पर रोक लगाते हुए दिल्ली सरकर ने इन पर 7 नवम्बर से 30 नवम्बर तक प्रतिबंध लगा दिया हैl
अपने एक ट्वीट में,दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि,“दिल्ली में कोरोना की स्थिति की समीक्षा, मुख्य सुरक्षा सचिव, स्वास्थ्य अधिकारियों और सभी डीएम के साथ की। त्यौहार के सीजन और प्रदूषण के कारण कोरोना के मामलों में वृद्धि हुई है। इसको मद्देनजर रखते हुए, दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया गया है।”
जहां एक ओर दिल्ली सहित राजस्थान, महाराष्ट्र, ओडिशा, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल ने पर्यावरण का हवाला देकर पटाखे बेचने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। वहीं, दूसरी ओर इस निर्णय से पटाखा विक्रेताओं को होने वाले नुकसान को यूं ही नज़र अंदाज नहीं किया जा सकता।
हनुमान फायर वर्क्स के विनोद कुमार गुप्ता बताते हैं कि, “आर्थिक रूप से तो बाहुत लोगों का नुकसान है। व्यापारी से लेकर निर्माता और श्रमिक तक सभी प्रभावित होंगे। कम से कम 8 लाख लोग पीड़ित होंगे”। आगे उन्होंने कहा कि, “दिल्ली में प्रदूषण नवरात्रि में ही शुरू हो गया था, और अभी तक तो पटाके चल भी नहीं रहे है। यह स्पष्ट है कि प्रदूषण का कारण, पटाखे नहीं हैं। हम व्यापारी चाहते हैं कि घर-घर में दीवाली मनाई जाए, पर जाने से ऊपर तो व्यापार भी नहीं हैं। ऐसे में ग्रीन पटाखे एक समाधान के रूप में आए, लेकिन अब भी यह प्रतिबंधित है।” क्या है ग्रीन पटाखे? ग्रीन पटाखे, जिन्हें CSIR और NEERI के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किए गए है, और इनमें लिथियम, आर्सेनिक, बेरियम और लेड जैसे प्रतिबंधित रसायन शामिल नहीं हैं। उन्हें सेफ वाटर रिलीजर (SWAS), सेफ थर्माइट क्रैकर (STAR) और सेफ मिनिमल एल्यूमीनियम (SAFAL) क्रैकर्स भी कहा जाता है। 2018 में सर्वोच्च अदालत ने प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था और वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए “हरे” पटाखों पटाखों की बिक्री की अनुमति दी थी।दिवाली को देखते हुए, दिल्ली सरकार की ओर से कहा गया था की वो ग्रीन पटाखों को बढ़ावा देने के लिए वे जल्द ही एक ऐप भी लॉंन्च करेंगे। ऐसे में दिल्ली सरकार द्वारा ग्रीन पटाखों को बेचने पर भी लगाए गए प्रतिबंध से विक्रेता काफी हताश हैं। दिल्ली में विक्रेताओं ने शुक्रवार को सरकार से अनुरोध किया कि वे दीवाली तक हरे पटाखों की बिक्री की अनुमति दें।
ANI से बातचीत में एक विक्रेता ने कहा कि “अचानक प्रतिबंध के कारण, हमें लगभग 15-20 लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। इससे पहले, सरकार ने कहा कि हरे पटाखें बेचे जा सकते है और हमें इनके लिए लाइसेंस भी दिया गया। तभी हमने पहले ही स्टॉक खरीद लिया था।”
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने भी कुछ दिन पहले कहा था कि, “दिल्ली कि आप सरकार जल्द ही केवल ग्रीन पटाखों के बिक्री और खरीद से संबन्धित गाइडलाइन जारी करेगी।”
ऐसे में पहले ही कोरोना कि मार झेल चुके दुकानदारों और विक्रेताओं पर ये फैसला ‘कंगाली में आटा गीला’ करने जैसा होगा।