पत्रकार अर्नब गोस्वामी को जिस प्रकार से हिरासत में लिया गया, और जिस प्रकार से जेल में उन्हें यातनाएँ दी गई, उससे इतना तो स्पष्ट है कि महाराष्ट्र सरकार ने अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारी है। वह अर्नब को हिरासत में लेकर अपनी सत्ता का प्रभाव दिखाना चाहती थी और उसे डराना चाहती थी, लेकिन जिस प्रकार से काँग्रेस ने मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को निरंतर सताया और उन्हें प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचाकर अपने ही विनाश की गाथा लिखी, वैसे ही शिवसेना ने अर्नब को गिरफ्तार कर उसे रातों रात पत्रकारिता का सितारा बना दिया।
कुछ वर्षों पहले तक अर्नब केवल अंग्रेजी बोलने वाले भारतीयों में जाने जाते थे, परंतु अब उन्होंने पूरे भारत में अपनी धाक जमाई है। जब उन्हें कल रात तलोजा जेल से रिहा किया गया, तो उनका स्वागत करने के लिए मानो लोगों की बाढ़ सी आई हुई थी, मानो किसी अहम राजनेता को स्वतंत्र किया गया हो –
#WATCH Republic TV Editor Arnab Goswami released from Mumbai's Taloja Jail following Supreme Court order granting interim bail pic.twitter.com/YzGfIm3wGo
— ANI (@ANI) November 11, 2020
जिस प्रकार से महा विकास अघाड़ी सरकार के इशारों पर राज्य की पुलिस फोर्स ने अर्नब गोस्वामी का शोषण किया, ताकि अर्नब के विरुद्ध अपनी कुंठा को शांत कर सके, उससे उन्हीं के विनाश की नींव पड़ चुकी है। इससे सरकार को कोई फ़ायदा नहीं हुआ, उल्टे उनकी छवि को ऐसा नुकसान पहुँचा है कि अब वो किसी स्थिति में नहीं सुधर सकती। सुप्रीम कोर्ट ने इसी बात पर महाराष्ट्र के सरकार को पटक पटक कर धोते हुए कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलने की ताकत किसी सरकार में नहीं हो सकती।
जब अर्नब वापिस अपने स्टूडियो आए, तो रिपब्लिक टीवी और रिपब्लिक भारत की व्यूअरशिप ने मानो अनेकों रिकॉर्ड तोड़ दिए। लाखों लोग अर्नब द्वारा राष्ट्र को सम्बोधन सुनने के लिए अपने अपने टीवी से चिपके हुए थे। ये लड़ाई केवल भारत तक सीमित नहीं रही। कट्टरपंथी इस्लाम का विरोध करने वाले मुस्लिम विद्वान इमाम मोहम्मद तौहीदी ने अपने ट्विटर के कवर पेज पर पुलिस वैन में बंद अर्नब की फोटो भी लगाई थी।
आज अर्नब गोस्वामी जितने लोकप्रिय हैं, उतने तो देश के कई प्रचलित राजनेता भी नहीं होंगे। जिस प्रकार से शिवसेना ने उनका शोषण किया है, उससे ऐसा लग रहा था कि अर्नब को डराने धमकाने के लिए ये किसी भी हद तक जा सकते हैं। लेकिन वो कहते हैं न, घायल शेर की सांसें उसकी दहाड़ से भी ज्यादा खतरनाक होती है। अब अर्नब ने स्पष्ट किया है कि रिपब्लिक केवल अंग्रेजी और हिन्दी तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि उसकी कवरेज देश के कोने कोने में, और प्रमुख भाषाओं में भी होगी। अब अर्नब गोस्वामी के पास पूरे देश का समर्थन है, और जिस प्रकार से वो आगे बढ़ रहे हैं, अब उन्हें कोई नहीं रोक पाएगा। सच कहें तो शिवसेना ने अर्नब को एक महानायक में परिवर्तित किया है, जो आगे चलकर उनकी सरकार और उनकी पार्टी के लिए विनाशकारी सिद्ध होगा।