महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अपनी लापरवाहियों के चलते महाराष्ट्र को दिवालिया होने की कगार पर ले जा रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार के पास ऋण देने की क्षमता में भारी गिरावट के साथ ही उसकी उधारी में भारी उछाल देखा जा रहा है। पिछले साल नवंबर में सत्ता संभालने वाली उद्धव सरकार ने फडणवीस द्वारा अंतरिम बजट पूरी तरह खत्म किया और फिर जब दोबारा वित्त मंत्री अजित पवार ने बजट पेश किया तो मार्च में राज्य के बुनियादी ढांचे में खर्च होने वाली राशि में कटौती करनी शुरू कर दी, जो कुछ ठीक था भी तो उसमें कोरोना की लहर के बाद तो यहां राजकोष पर आर्थिक दबाव पड़ने लगा है।
महाराष्ट्र के नए-नवेले मुख्यमंत्री की अक्षमता की देन ये है कि आज राज्य में कोरोनावायरस के मरीजों की तादाद पूरे देश में सबसे अधिक है और सबसे ज्यादा मौतें भी यहीं हुईं हैं, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति पर अधिक दबाव पड़ा है। केयर रेटिंग की एक रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने अप्रैल से सितंबर के बीच 12,500 करोड़ रुपए की निश्चित राशि से इतर करीब 37,500 करोड़ रुपए का उधार लिया है। इस दौरान सरकार के राजस्व में 46,000 करोड़ की गिरावट आई हैं। राज्य सरकार का ऋण अप्रैल से अक्टूबर के बीच 170 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
भविष्य की स्थिति ये होगी कि उद्धव ठाकरे की सरकार कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों के चलते सरकारी खर्च के कारण आने वाले महीनों में ऋण लेने की स्थिति में आ जाएगी। राज्य में 46,000 करोड़ की राजस्व की कमी और 25,000 करोड़ की उधारी के साथ ही अप्रैल से अक्टूबर के बीच 70,000 हजार करोड़ की चपत लग चुकी है। राज्य का बकाया ऋण जीडीपी का 16.2 प्रतिशत यानी करीब 5.20 लाख करोड़ रुपए का है। महाराष्ट्र ने इस वर्ष ऋण का करिब 60,000 करोड़ रुपए खर्च किया है जिसमें 34,000 करोड़ ब्याज का और 26,000 करोड़ कर्ज का चुकाया है। जो दिखाता है कि ऋण की तुलना में ब्याज अधिक चुकाया गया है।
उत्तर प्रदेश के 6 लाख करोड़ रुपए के ऋण के बाद महाराष्ट्र देश का दूसरा सबसे बड़ा कर्ज लेने वाला सूबा है। बड़ी बात ये भी है कि उत्तर प्रदेश की कुल आय के आगे महाराष्ट्र की आय का ग्राफ काफी विराट है। वित्त वर्ष 2020 में महाराष्ट्र का राजस्व करीब 4 लाख 70 हजार करोड़ रुपए था, जबकि उत्तर प्रदेश का 3 लाख 94 हजार करोड़ ही था। जबकि उसके लोन लेने की क्षमता भी अधिक है। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ सीएम का तमगा लेने वाले उद्धव ठाकरे के राज्य महाराष्ट्र में पिछड़े राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार मध्य प्रदेश से ज्यादा कोरोनावायरस के केस हैं। उद्धव सरकार राज्य की आर्थिक स्थिति को दिन-ब-दिन बर्बाद कर रही है, जो कि भविष्य के लिए बहुत भयावह होगा।
महाराष्ट्र में पैदा होने वाली पीढ़ियों को उद्धव ठाकरे के अहंकार की भारी क़ीमत चुकानी होगी, जो हजारों करोड़ रुपए तो केवल प्राकृतिक आपदाओं पर खर्च कर रहें हैं, क्योंकि वो उस आपदा को रोककर रखने में पूरी तरह नाकाम साबित हुए हैं। सरकार ने हाल ही में मेट्रो शेड के काम को आरे मिल्क कॉलोनी से कांजुरमार्ग तक कोलाबा-बांद्रा-सीप्ज़ मेट्रो कार को शिफ्ट करने का फैसला किया, जबकि उनकी ही सरकार द्वारा निर्मित कमेटी इस फैसले को जनवरी में गलत बता चुकी है फिर भी उद्धव सरकार ने आरे में मेट्रो शेड का काम बंद कर दिया।
पिछले साल शपथ लेने के अगले ही दिन उद्धव ने इस मेट्रो शेड के काम को रोक दिया था। इस पर पहले ही 400 करोड़ रुपए खर्च किया जा चुका था। बाद में 1300 करोड़ का अधिक खर्च आया। वहीं अब स्थानांतरण के कारण इसमें 4 हजार करोड़ रुपए के खर्च का अनुमान लगाया जा रहा है। अपने अंहकार के चक्कर में ठाकरे सरकार अब तक 5700 करोड़ रुपए बर्बाद कर चुकी है। जबकि बांद्रा सीप्ज मेट्रों लाइन का काम कई सालों की देरी तक पहुंच गया है। महाराष्ट्र सरकार की यही जिद भावी पीढ़ी के लिए ख़तरनाक होगी क्योंकि ये राज्य को दिवालिया होने की कगार पर ले जाएगा।