‘पानी और बिजली मुफ्त में मिलेगी’, केसीआर भाजपा से इतने डरे हुए हैं कि तेलंगाना को दिवालिया भी करने को तैयार हैं

केसीआर

PC: New Indian Express

जब हार का डर सताने लगता है तो मुफ्त की चीजें बांटना राजनीतिक एजेंडा बन जाता है। कुछ ऐसा ही तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव भी करने लगे हैं। राज्य की राजनीति में बीजेपी के बढ़ रहे प्रभुत्व और हाल ही में दुबका विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी की जीत ने केसीआर की मुसीबतें बढ़ा दी हैं, और अब हैदराबाद के नगरपालिका चुनावों से पहले केसीआर की पार्टी ने मुफ्त बिजली, पानी देने का वादा कर दिया है। बीजेपी से लड़ने के बारे में सोच केसीआर की बत्ती ऐसी गुल हुई है कि वो राज्य के राजस्व पर चोट करने लगे हैं जिससे राज्य दिवालिया होने की कगार पर आ जायेगा।

हैदराबाद में जीएचएमसी चुनावों से पहले तेलंगाना के मुख्यमंत्री और टीआरएस प्रमुख चंद्रशेखर राव ने ऐलान किया है कि हैदराबाद में 20 हजार लीटर पानी की खपत करने वाले निवासियों को किसी भी प्रकार का बिल नहीं देना होगा। इसी तरह उन्होंने अपनी पार्टी तेलंगाना राष्ट्रीय समिति के मेनिफेस्टो को जारी करते हुए कहा कि हैदराबाद के सभी सैलून और लॉन्ड्री में होने वाली बिजली की खपत का भी कोई बिल नहीं लिया जाएगा। कोरोना काल के कारण ठप्प पड़े इन लोगों के व्यापार को देखते हुए पार्टी ने इसे अपने घोषणापत्र में शामिल किया है।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर अपनी राजनीति के लिए ऐसे फैसले ले रहे हैं जो उनकी पार्टी को भले ही चंद वोट दिला सकते हों लेकिन ये राज्य के राजस्व पर एक बड़ी चोट साबित हो सकते हैं। तेलंगाना पहले ही राजस्व की कमी से जूझ रहा है ऐसे में ये घोषणा राज्य के लिए नई मुसीबतें ला सकती है। तेलंगाना की स्थिति इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ही बुरे स्तर पर पहुंच गई थी। राज्य द्वारा हासिल किए गए 32,392 करोड़ रुपए का लगभग 54.58 प्रतिशत केवल कर्ज की राशि ही है CAG के मुताबिक राज्य के राजस्व का घाटा करीब 14,212 करोड़ रुपए का है जो कि बेहद ही चिंताजनक स्थिति है, क्योंकि ये इस वित्त वर्ष के बजट के अनुमानित घाटे से कहीं ज्यादा है और 4,482 करोड़ रुपए के सरप्लस घाटे के भी आगे निकल चुका है।

यही नहीं राज्य की बिजली वितरण कंपनी की हालत भी बेहद ही दयनीय हो गई है। केन्द्र की उदय परियोजना के तहत मिलने वाले लाभों के बावजूद राज्य की वितरण कंपनियों के पास राजस्व की किल्लत है और इसके अभी सही होने की कोई संभावना नहीं है। बिजली वितरण कंपनी TSSPDCL के राजस्व में 30% तक की कमी आ गई है। कोरोना के कारण तेलंगाना में बिजली की खपत को तगड़ा झटका लगा है। कंपनी की तरफ से कहा गया कि हमें 1000 करोड़ की बिलिंग के मुकाबले अब बस 700-800 करोड़ रुपए ही मिल रहे हैं। हमारी खपत गिर रही है। इसी तरह साइबर सगटी से आने वाला 120 करोड़ रुपए से ज्यादा का बिल भी अब मात्र 60-70 करोड़ तक आ रहा है।

स्थिति ये है कि अब तेलंगाना की राज्य सरकार लगातार केंद्र से कर्ज मांग रही है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक हाल ही में तेलंगाना को केंद्र द्वारा 12,500 करोड़ का कर्ज दिया गया है। जिसकी मांग राज्य सरकार द्वारा ही की गई थी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ही ये रकम तेलंगाना को आत्मनिर्भर भारत की योजना के तहत केंद्र सरकार के जरिए दिलवाई थी और साथ ही कहा था कि अपनी बढ़ रहीं दिक्कतों को वें हल करें, लेकिन जनाब केसीआर कुछ और ही खेल, खेल रहे हैं।

ये बेहद ही चौंकाने वाली बात हे कि जिस राज्य का राजस्व तेज रफ्तार से घट रहा हो, वो मुफ्त पानी देने का चुनावी ऐलान कर रहा है और तो और राज्य की बिजली कंपनियां दिवालिया होने की कगार पर पहुंचने के बावजूद वहां बिजली मुफ्त बांटी जा रही हो। केसीआर अपने इन फैसलों से राज्य को दिवालिया होने की तरफ ले जा रहे हैं जो जल्द ही राज्य के सभी टैक्स दरों की बढ़ोत्तरी में भी दिखेगा। राज्य में बीजेपी के बढ़ते जनाधार से हड़बड़ाए केसीआर ने मुफ्त की मलाई बांटने का ऐलान तो कर दिया है लेकिन अब इस मलाई के लिए पैसा कहां से आएगा ये उन्हें खुद भी पता नहीं है।

अपने मुफ्त के इन एजेंडों से केसीआर अपनी छवि को सुधारने की कोशिश कर रहें हैं लेकिन ये ऐसे फैसले हैं जो उन्हें आलोचना का पात्र ही बनाएंगे और राजस्व पर पड़ने वाला बोझ भविष्य में उनकी ही लानत-मलामत करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

 

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