अर्नब गोस्वामी को जिस प्रकार से महा विकास अघाड़ी सरकार ने सभी नियमों को ताक पर रखकर हिरासत में लिया है, वो अब इस सरकार के लिए गले की फांस बनता जा रहा है। देशभर से इस कृत्य के लिए लोगों की आलोचना तो सरकार को झेलनी पड़ ही रही है, और अब उन्हें सुप्रीम कोर्ट की फटकार भी झेलनी पड़ी है।
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के विरुद्ध आक्रामक रुख अपनाते हुए अर्नब गोस्वामी को डराने धमकाने के लिए महाराष्ट्र की वर्तमान सरकार, और प्रमुख तौर पर महाराष्ट्र के विधानसभा सचिव को आड़े हाथों लिया। अक्टूबर 13 को अर्नब गोस्वामी को चिट्ठी लिखते हुए महाराष्ट्र के विधानसभा सचिव विलास अठावले ने अर्नब गोस्वामी को महाराष्ट्र सदन के विधायकों द्वारा पारित विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव के विषय में सुप्रीम कोर्ट न जाने की चेतावनी दी, मानो अप्रत्यक्ष रूप से वह चेतावनी दे रहे हो कि ऐसा कुछ भी करने का अंजाम बुरा होगा।
इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट ने त्वरित एक्शन लेते हुए महाराष्ट्र सरकार को बुरी तरह फटकार लगाई। उनके अनुसार, “ये निस्संदेह बहुत निराशाजनक और अप्रत्याशित है कि उन्हे [अर्नब गोस्वामी] महाराष्ट्र विधानसभा सचिव ने शीर्ष न्यायालय में याचिका दर्ज न करने के लिए धमकाया है। इस पत्र के लेखक की मंशा स्पष्ट है – याचिककर्ता को धमकाना। विधानसभा को यह भली भांति पता होना चाहिए कि कि भी न्यायालय की सेवा लेना संविधान के अनुच्छेद 32 के अंतर्गत एक मूलभूत अधिकार है, जिससे कोई भी प्रशासन किसी को वंचित नहीं कर सकता”।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट उतने पर नहीं रुका। धमकी भरे पत्र पर विश्लेषण करते हुए मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े ने पूछा, “यह क्या है?” पत्र के भाव पर क्रोधित होते उन्होंने कहा, “ऐसा कहने की उसकी [महाराष्ट्र विधानसभा सचिव] हिम्मत कैसे हुई? अनुच्छेद 32 किस दिन के लिए है फिर? हमारे पास इस पत्र के लेखक के लिए कुछ गंभीर प्रश्न है, जिन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता”। इसके कारण सुप्रीम कोर्ट ने अब विलास अठावले को कोर्ट की अवमानना का नोटिस थमाया है और उसे दो हफ्तों का समय दिया है, ताकि वह ये बता सके कि आखिर क्यों उसके विरुद्ध अदालत की अवमानना के अंतर्गत मुकदमा नहीं चलाया जाना चाहिए।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने अर्नब की गिरफ़्तारी पर अगली सुनवाई तक रोक लगाई है, यानि दो हफ्तों के लिए पुलिस अर्नब गोस्वामी के विरुद्ध कोई एक्शन नहीं ले सकते। पिछले कई महीनों से महाविकास अघाड़ी सरकार अर्नब गोस्वामी के पीछे हाथ धोके पड़ी हुई है, जिसका परिणाम यह निकला कि नैतिकता और व्यवहारिकता की धज्जियां उड़ाते हुए अर्नब गोस्वामी को एक दो वर्ष पुराने आत्महत्या के उकसावे के मामले में हिरासत में लिया गया, जिसे स्वयं मुंबई पुलिस ने बंद किया था। लेकिन जिस प्रकार से अर्नब को सुप्रीम कोर्ट जाने के एवज में महाराष्ट्र सरकार ने धमकी दी है, वो अपने आप में इस बात का परिचायक है कि महाराष्ट्र सरकार ने इस बार बहुत गलत पंगा लिया है।