आज नैतिकता और व्यवहारिकता की धज्जियां उड़ाते हुए मुंबई पुलिस ने पत्रकार अर्नब गोस्वामी को हिरासत में लिया है। अर्नब को लोअर परेल में स्थित उनके घर से घसीटते हुए पुलिस पहले अलीबाग और फिर रायगढ़ पुलिस स्टेशन ले गई, जहां पूछताछ जारी है। इसके अलावा रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं कि उनके बेटे और उनके ससुराल वालों को भी मुंबई पुलिस ने बहुत बुरी तरह पीटा था।
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#IndiaWithArnab | 'They beat my son,' Arnab Goswami manages to say through the van's window after SHOCKING assault by Mumbai Police at his house; Fire in your support for #ArnabGoswami; Send in your videos; Join us now, #LIVE here – https://t.co/jghcajZuXf pic.twitter.com/JAyCe2iHh5
— Republic (@republic) November 4, 2020
परंतु ऐसा क्या हुआ कि अर्नब के साथ जानवरों से भी बदतर व्यवहार किया गया? मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ऐसा कहा जा रहा है कि पुलिस ने अर्नब को 2018 के एक पुराने मामले के लिए हिरासत में लिया है, जिसमें अर्नब पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया है। हालांकि, इस मामले में साक्ष्यों के अभाव में अर्नब को निर्दोष सिद्ध भी किया गया और पुलिस ने इस मामले को बंद भी कर दिया था, लेकिन ऐसा लगता है कि महाराष्ट्र सरकार की ‘ताकत’ दिखाने के लिए मुंबई पुलिस भी गड़े-मुर्दे उखाड़ने में जुट गई है।
दरअसल, 2018 में एक इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक ने अलीबाग में स्थित अपने घर में आत्महत्या कर ली थी, और अपने सुसाइड नोट में उसने अर्नब गोस्वामी, स्काई मीडिया के फिरोज शेख, और स्मार्टवर्क्स के नितेश शारदा पर आत्महत्या के लिए विवश करने का आरोप लगाया था।
अपने सुसाइड नोट में नाइक ने ये भी लिखा था कि अर्नब गोस्वामी, फिरोज़ और नितेश पर उनका 5.4 करोड़ रुपये बकाया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट की मानें तो अर्नब ने रिपब्लिक स्टूडियो के डिजाइन के लिए कथित तौर पर 83 लाख रुपये आर्टिकेक्ट फर्म कॉन्कॉर्ड डिजाइन प्राइवेट लिमिटेड के एमडी अन्वय नाइक को नहीं चुकाये थे। हालांकि, इस मामले में कोई ठोस सबूत नहीं मिले थे जो इन आरोपों के दावों को साबित करें। सबूतों के अभाव में इस केस को बंद कर दिया गया, जिसके बारे में रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क ने काफी कवरेज भी की थी। रिपब्लिक मीडिया के अनुसार ये केस तभी बंद हो चुका था, जब स्वयं मुंबई पुलिस ने एक क्लोज़र रिपोर्ट फ़ाइल करते हुए कहा था कि याचिकाकर्ता के पास अपनी बातों को सिद्ध करने के लिए कोई ठोस प्रमाण नहीं थे।
लेकिन ऐसा लगता है कि कोई ठोस प्रमाण अर्नब के विरुद्ध न मिलने पर अब मुंबई पुलिस अपने ही पुराने मामलों में किसी भी तरह अर्नब को फंसाना चाहती है। अर्नब गोस्वामी तब से मुंबई पुलिस द्वारा सताये जा रहे हैं, जब से उन्होंने पालघर में हुई संतों की हत्या के पश्चात कांग्रेस को निशाने पर लिया था, और फिर सुशांत सिंह राजपूत की संदेहास्पद मृत्यु के पीछे बॉलीवुड, ड्रग्स और सियासी दाँव-पेंच पर वर्तमान प्रशासन को घेरा था।
अर्नब गोस्वामी के अधिवक्ता ने दावा किया कि बिना एक नया FIR दायर किये उन्हें हिरासत में लिया गया है। इसके अलावा उन्होंने आरोप लगाया कि अर्नब को हिरासत में लेने के दौरान उनके साथ बहुत बदसलूकी भी गई, और उन्हें अपने अधिवक्ता और डॉक्टर से मिलने नहीं दिया गया। जिस प्रकार से एक बंद पड़े केस को पुनः प्रारंभ कर अर्नब गोस्वामी को हिरासत में लिया गया, उससे महाराष्ट्र में स्थिति आपातकाल जैसी दिखाई दे रही है, जहां सत्ता के विरुद्ध जाने पर एक पत्रकार को बेहिसाब अत्याचार सहना पड़ रहा है।