आज जब दुनियाभर में चीनी आप्रवासियों और कट्टरपंथी इस्लामिक देशों के खिलाफ मुहिम देखने को मिल रही है, ऐसे वक्त में भारतीय आप्रवासी ही दुनिया की पहली पसंद बनकर उभर रहे हैं, और यह अभी से दिखना शुरू भी हो गया है। उदाहरण के लिए कनाडा इस साल रिकॉर्ड तोड़ संख्या में भारतीय आप्रवासियों को अपने यहां स्थायी निवास देने का प्रावधान करने वाला है। कनाडाई सरकार ने वर्ष 2021 में 4 लाख 1 हज़ार लोगों को PR देने का फैसला लिया है और इसमें से बड़ी संख्या में भारतीय लोगों को PR मिलने वाला है। वर्ष 2019 में कनाडा ने करीब 86 हज़ार भारतीयों को PR प्रदान किया था और इस साल यह संख्या 1 लाख को भी पार कर सकती है।
लेकिन बाकी देशों में भी हमें ठीक यही trend देखने को मिल सकता है और इसके पीछे एक बड़ा कारण है। अगर आप दुनियाभर में हो रहे Immigration के source पर नज़र डालेंगे, तो टॉप 20 देशों की लिस्ट में आपको चीन सबसे ऊपर दिखेगा और इसके साथ ही कई इस्लामिक देश भी उस लिस्ट में देखने को मिल जाएँगे। वर्ष 2018 के आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज़्यादा immigrants चीन से निकले थे, तो वहीं भारत का नंबर दूसरा था। साथ ही साथ लिस्ट में इराक़, सीरिया और अफ़ग़ानिस्तान जैसे देशों का नाम भी शामिल है।
वर्ष 2019 के आंकड़ों के मुताबिक UK और कनाडा में भारत से आने वाले immigrants की संख्या में क्रमशः 43 और 30 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है, और आने वाले समय में इसमें और बढ़ोतरी देखने को मिलने वाली है। इसके दो बड़े कारण हैं।
पहला कारण है दुनियाभर में बढ़ रही चीन विरोधी मानसिकता! चीनी कम्युनिस्ट पार्टी पर जापान, अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों में अपने लोगों के जरिये जासूसी कराने के आरोप लगाए जा रहे हैं जिसके कारण ये देश अब चीनी लोगों को वीज़ा प्रदान करने में सख्ती बरतने लगे हैं। उदाहरण के लिए पिछले महीने ही अमेरिका ने यह ऐलान किया है कि वह किसी भी CCP के सदस्य को वीज़ा प्रदान नहीं करेगा। इसी के साथ-साथ जापान ने भी अब चीनी विद्यार्थियों को मिलने वाले वीज़ा के नियमों को और कड़ा करने का ऐलान किया है। कोरोना के बाद बर्बाद हुई चीन की soft पावर भी एक बड़ा कारण है कि भविष्य में चीन के लोगों को पश्चिमी देशों का वीज़ा प्राप्त करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। ऑस्ट्रेलिया, UK, भारत, अमेरिका, जापान और यूरोप के साथ खराब होते चीन के रिश्तों से स्पष्ट है कि अब ये देश बाहें खोलकर चीनी नागरिकों का स्वागत तो नहीं करने वाले हैं।
इसके अलावा दुनियाभर में इस्लामिक कट्टरपंथ के खिलाफ छेड़ी गयी लड़ाई के बाद भी यूरोप के देश अपनी आप्रवासी नीति में बड़े बदलाव कर सकते हैं, जिसका फायदा भारतीय नागरिकों को ही मिलने वाला है। फ्रांस में हो रहे आतंकी हमलों के बाद अब यूरोप जाग रहा है और वहां पहले ही पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों से आ रहे आप्रवासियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग तेज होने लगी है। उदाहरण के लिए हाल ही में फ्रांस की नेता Marine Le Pen ने एक ट्वीट कर कहा था कि पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों से लोगों के आने पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए! इसके साथ ही इस लड़ाई में फ्रांस का साथ देने के लिए Pen ने भारत का धन्यवाद भी किया था!
Au regard des nouvelles manifestations ultra-violentes aujourd’hui au #Bangladesh (manifestants qui ont appelé à décapiter notre ambassadeur), et au #Pakistan, je demande un moratoire immédiat sur l’immigration originaire de ces pays, au nom de la sécurité nationale. MLP
— Marine Le Pen (@MLP_officiel) October 30, 2020
भारत दुनिया के उन चुनिन्दा देशों में से एक है जहां के नागरिक न सिर्फ दूसरे देशों के नियमों को सावधानीपूर्वक मानने में विश्वास रखते हैं, बल्कि सबसे ज़्यादा skilled और talented भी होते हैं। भारत के आप्रावासियों का अमेरिका, UK और कनाडा जैसे देशों की राजनीति पर भी अच्छा खासा प्रभाव है। अब चूंकि सभी पश्चिमी देश चीनी और इस्लामिक आप्रवासियों के आगमन को हतोत्साहित कर रहे हैं, ऐसे में स्पष्ट है कि आने वाले समय में इन देशों में भारतीय आप्रवासियों के लिए और अधिक दरवाजे खुलने वाले हैं।