अर्नब की गिरफ़्तारी का समय बताता है कि उद्धव सरकार के मंसूबे कितने खतरनाक हैं

बस बदले की कार्रवाई में ही उद्धव सरकार निपुण है..

अर्नब

(pc-jansatta)

देश की न्यूज़ इंडस्ट्री का बड़ा नाम और वरिष्ठ पत्रकार अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी को लेकर पूरे देश में आक्रोश की स्थिति है। कुछ ही तथाकथित वामपंथी हैं जो महाराष्ट्र सरकार के अंतर्गत कार्य करने वाली मुंबई पुलिस का बचाव कर रहे हैं। अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी में समय का भी खास ख्याल रखा गया है, जिससे न केवल उनके रिपब्लिक नेटवर्क को आर्थिक रूप से नुकसान हो, बल्कि उन्हें लंबे समय तक जेल में मानसिक और शारीरिक रूप से  प्रताड़ित किया जा सके। गिरफ्तारी का ये समय मुंबई पुलिस की साजिश का संकेत देता है कि पहले से ही ये वक्त तय कर रखा गया था जिससे अर्नब को बर्बाद करने की उसकी प्लानिंग सफल हो सके।

अर्नब की गिरफ्तारी चुनाव नतीजों के ठीक पहले हुई थी, ये समय टीवी न्यूज़ के लिए सबसे अहम होता है। अर्नब को उस वक्त उनके घर से घसीटते हुए मुंबई पुलिस स्टेशन लेकर आई, जब अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव और उसके नतीजों का अंतिम दौर था। इसके अलावा देश के सबसे अहम और बड़े सूबे बिहार में विधान सभा चुनावों का दूसरे और तीसरे चरण का मतदान भी होने वाला था, जिसके परिणाम भी आने वाले थे। इसके अलावा ये दिवाली की छुट्टियों का समय भी है जब विज्ञापनों की भरमार होती है। इसके चलते कई कोर्ट रूम्स में कानूनी दांव पेंच चलाकर पुलिस ने अर्नब की जमानत अर्जियों में बाधा पहुंचाई है। इन तीनों ही बिंदुओं के आधार पर मुंबई पुलिस कठघरे में आ जाती है।

हमेशा देखा गया है कि चुनावी नतीजों के दौरान अर्नब पूरे दिन स्टूडियो में बैठकर कैमरे के सामने रहते हैं। इसके चलते चैनल की टीआरपी आसमान छूती है और विज्ञापन की बहार आती है। अर्नब का चुनावी विश्लेषण सबसे बेहतरीन माना जाता है जिसके चलते टीआरपी के कारण विज्ञापन से रिपब्लिक की खूब आमदनी होती है। इसके अलावा दिवाली के दौरान सबसे ज्यादा विज्ञापन प्रसारित होते हैं जो किसी भी टीवी चैनल के लिए कमाई का एकमात्र साधन हैं।

ऐसे में महाराष्ट्र सरकार की नीयत किसी केस को हल करने की नहीं अर्नब को परेशान करने की ही है। अर्नब के बढ़ते बिजनेस से महाराष्ट्र सरकार परेशान है। इसीलिए उसने अर्नब को ऐसे समय पर गिरफ्तार किया है जिस वक्त रिपब्लिक की टीआरपी सबसे ज्यादा थी, जिससे रिपब्लिक को आर्थिक रूप से झटका लग सके और अर्नब की आर्थिक मजबूती खतरे में आ जाए।

इसके अलावा ये किसी से भी छिपा नहीं है कि अर्नब को प्रताड़ित करने के लिए मुंबई पुलिस कितनी आतुर है। पालघर हिंसा के बाद सोनिया गांधी के इटैलिन नाम को लेकर जिस तरह से अर्नब को 12-12 घंटे पूछताछ करके मुंबई पुलिस ने प्रताड़ित किया था वो इस बात का प्रमाण था कि वो अर्नब को केवल प्रताड़ित करने की नीयत से ही काम कर रही है और सब बदले की कार्रवाई के अलावा कुछ भी नहीं है।

दिवाली के दौरान अदालतें बंद हो जाती हैं। ऐसे में महाराष्ट्र पुलिस अपने कानूनी दांव पेंच चलकर अर्नब को जमानत न दिलवाने के एजेंडे में सफल रही है। ऐसे में दिवाली की छुट्टियां घोषित करने के बाद मुंबई पुलिस की प्लानिंग है कि वो अर्नब को जेल में शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित कर सके। हालांकि, वो अभी तक अपने एजेंडे में सफल रही है क्योंकि जिस तरह से अर्नब ने महाराष्ट्र पुलिस और सरकार के खिलाफ रिपोर्टिंग की थी वो मुंबई पुलिस से बर्दाश्त नहीं हो रही थी, और इसी बदले के लिए ही अर्नब को प्रताड़ित कर रहे हैं।

समयावधि के सारे तथ्य साफ बताते हैं कि अर्नब को आर्थिक, मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने के लिए ही मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया है जबकि उन्हें किसी केस के हल होने या न होने से कोई खास फर्क नहीं पड़ता है।

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