‘यह मेरा अंतिम चुनाव है’, नीतीश कुमार का यह बयान उन्हें अमित शाह का दिया गया संदेश है

नीतीश के सम्मानजनक विदाई का गणित समझिए..

बिहार

नीतीश कुमार लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के ख्वाब देख रहे थे, पर बिहार विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान ही उन्हें सच्चाई स्पष्ट दिखने लगी थी। लोग नीतीश कुमार की नीतियों और उनके व्यवहार से काफी रुष्ट है, और स्थिति यह हो गई कि नीतीश कुमार पर एक चुनावी रैली में चप्पल और प्याज़ बरसाए गए। ऐसे में नीतीश कुमार ने एक अहम निर्णय में यह घोषणा की कि यह उनका आखिरी चुनाव होने वाला है।

बृहस्पतिवार को बिहार के पूर्णिया में हुई रैली में सीएम नीतीश कुमार ने ऐलान किया कि मौजूदा चुनाव उनका आखिरी चुनाव है। नीतीश कुमार ने धमदाहा विधानसभा में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि यह मेरा आखिरी चुनाव है। अंत भला तो सब भला। इसके बाद नीतीश ने लोगों से एनडीए उम्‍मीदवार को वोट देने की अपील की –

बता दें कि नीतीश कुमार का राजनीतिक सफर काफी उतार चढ़ावों से भरा हुआ है। काँग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल को बिहार में चुनौती देने वाले पहले नेता के रूप में उभरने वाले नीतीश कुमार ने तब राजनीति में कदम रखा, जब इंदिरा गांधी ने देशभर में आपातकाल लगाया। वर्तमान में नीतीश लगभग 15 वर्षों से बिहार की सत्ता संभाल रहें हैं।

प्रारंभ में जहां इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जोर देने और सशक्त कानून व्यवस्था की ओर कुछ अहम कदम बढ़ाने के लिए नीतीश कुमार की तारीफ की जा रही थी, तो वहीं अब लचर स्वास्थ्य व्यवस्था, दिन प्रतिदिन बढ़ते अपराध के कारण अब उनकी छवि पहले जैसी नहीं रही है। तो ऐसे में ‘अंतिम चुनाव’ का संदेश देने का क्या तात्पर्य है?

इसके पीछे दो प्रमुख कारण है। एक तो नीतीश को लगता है कि इस भावुक अपील के बाद बिहार में उन्हें एक आखिरी मौका मिलेगा। नीतीश की इस अपील को उनके ब्रह्मास्‍त्र के तौर पर देखा जा रहा है, जिससे उनकी डूबती नैया को सहारा मिलेगा। वे किसी भी भांति सत्ता में बने रहने चाहते हैं।

लेकिन दूसरा कारण ये भी हो सकता है कि इस बयान के पीछे अमित शाह की कोई नीति हो। ऐसा इसलिए क्योंकि भाजपा अन्य पार्टियों की भांति अपनी छवि एक मौकापरस्त पार्टी के तौर पर नहीं रखना चाहती, जो सत्ता के लिए अपने ही सहयोगियों की बलि चढ़ा दे। इसलिए वह नीतीश कुमार को एक मौका देना चाहती है। चुनावों के बाद भाजपा उन्हें मुख्यमंत्री जरूर बनाएगी परंतु एक सम्मानजनक स्थिति के लिए। नीतीश को सपष्ट संदेश दिया जा चुका है कि उनके बाद जदयू की  कुछ खास अहमियत बिहार में तो नहीं होगी,इसलिए शुरुआत में कुछ वर्ष मुख्यमंत्री बनकर वे चाहे तो सम्मानजनक विदाई ले सकते हैं। यदि आज नीतीश कुमार इस सच्चाई को नहीं स्वीकारते हैं तो हो सकता है चुनावों के बाद नीतीश सत्ता से हटाये भी जाएँ, क्योंकि बिहार में एक स्थिति और बन सकती है जिसमें भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन के उभर सकती है और एनडीए को चिराग पासवान की पार्टी की मदद लेनी पड़ सकती है। यदि इसकी संभावना बनती है तो नीतीश कुमार किसी भी स्थिति में मुख्यमंत्री नहीं होंगे। लेकिन भाजपा द्वारा नीतीश कुमार को दिया गया संदेश उनकी सम्मानजनक विदाई की तैयारी है।

इसलिए नीतीश कुमार के वर्तमान बयान के पीछे भाजपा की यह विशेष रणनीति हो सकती है, जिससे सांप भी मर जाए, और लाठी भी नहीं टूटे। दरअसल, जिस तरह नीतीश कुमार आजकल बोल रहे हैं, उससे स्पष्ट है कि उन्हें संदेश मिल चुका है कि अब समय राजनीतिक सन्यास लेने का है। यदि वे इस बार मुख्यमंत्री बनकर एक दो वर्ष के अंदर अंदर कुर्सी खाली करते हैं, तो न केवल उनकी सम्मानजनक विदाई होगी, बल्कि बिहार की कमान भी बेहतर हाथों में जाएगी। लेकिन यदि नीतीश अपनी हठधर्मिता पे टिके रहे, तो भाजपा भी शांत नहीं रहेगी।

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