Five Eyes के हित को दरकिनार कर चीन का साथ निभाने में व्यस्त हैं कनाडा और न्यूज़ीलैंड

कनाडा

जिस उद्देश्य के लिए 5 Eyes का गठन हुआ था, लगता है अब वह जल्द ही मिट्टी में मिलने जा रहा है। अमेरिका, यूके, न्यूज़ीलैंड, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया की सदस्यता वाली इस इंटेलिजेंस ग्रुप के दो सदस्य जो बाइडन की संभावित विजय के बाद से ही चीनी दबाव के आगे झुकते दिखाई दे रहे हैं। एक है कनाडा और दूसरा है न्यूज़ीलैंड। जहां कनाडा में बंद हुआवे की सीएफ़ओ को चीन समर्थक लॉबी द्वारा रिहा करने की कवायद तेज़ हो चुकी है, तो वहीं न्यूज़ीलैंड में चीन का प्रभाव दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है।

The Five Eyes को स्थापित करने का उद्देश्य था चीन के विरुद्ध एक सशक्त इंटेलिजेंस ग्रुप का गठन करना। लेकिन ऐसा लगता है कि यह सपना धरातल पर उतरने से पहले ही टूटने वाला है। अभी कनाडा में NDP के सांसद निकी एश्टन और Greens के सांसद पॉल मैनली ने हुवावे सीएफ़ओ मेंग वानज़्हू को रिहा करने के लिए एक सुनियोजित अभियान चलाया है, और अपने इस अभियान के पीछे उन्होंने प्रमुख कारण ‘चीन के साथ बिगड़ते रिश्तों को सुधारने और कनाडा में चीन के प्रति बढ़ती घृणा को कम करने हेतु’ बताया है।

बता दें कि अमेरिका के साथ धांधली करने के आरोप में मेंग को 2018 में कनाडा के वैंकोवर में हिरासत में लिया गया था। बदले में चीन ने अपनी कुत्सित मानसिकता का भद्दा प्रदर्शन करते हुए दो कैनेडियाई नागरिकों को हिरासत में ले लिया और उन्हे बिना किसी ठोस प्रमाण के मृत्युदंड की सजा सुना दी।

इसके अलावा कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर चीन के प्रति नरम रुख अपनाने का भी आरोप लगता रहा है। इसी वर्ष प्रकाशित एक पुस्तक में बताया कि कैसे ट्रूडो का चीन के प्रति नरम रुख बहुत पुराना है, जिसे उनके पिता और पूर्व प्रधानमंत्री पियर ट्रूडो से जोड़कर भी देखा जा सकता है। यदि चीन द्वारा कनाडा के नागरिकों को अकारण ही हिरासत में लेने का विरोध न करना होता, तो शायद वह चीन के विरुद्ध एक शब्द न बोलते। लेकिन जो बाइडन की संभावित विजय के पश्चात कनाडा में चीन समर्थक लॉबी का प्रभाव बढ़ता ही जा रहा है।

न्यूज़ीलैंड में तो स्थिति कनाडा से भी बदतर है। प्रधानमंत्री जैसिन्डा आर्डर्न तो पूर्णतया चीन की कट्टर समर्थक प्रतीत होती है। यूं तो न्यूज़ीलैंड भी ऑस्ट्रेलिया की भांति कई बातों के लिए चीन पर निर्भर है, परंतु जैसिन्डा कोई स्कॉट मॉरिसन नहीं, जो राष्ट्रहित के विषय पर चीन से दो-दो हाथ करने की हिम्मत रखे।

इसके अलावा न्यूज़ीलैंड ने पिछले वर्ष भी Five Eyes की नाक कटवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। जब हाँग काँग पर चीन के दमन के विरोध में Five Eyes ने संयुक्त बयान निकाला, तो न्यूज़ीलैंड  ने इस बयान पर हस्ताक्षर नहीं किया, बल्कि इस विषय पर एक अलग बयान निकाला।

ऐसे में जिस प्रकार से कनाडा और न्यूज़ीलैंड दो ऐसे भेदी हैं जो Five Eyes Alliance को अंदर से ही कमजोर करने में लगे हुए है। जब हाल ही में चीन ने दावा किया था कि वह Five Eyes की ‘पांचों आँखें’ निकाल लेंगी, तो शायद वह इसी ओर इशारा कर रहा था। ऐसे में कनाडा और न्यूज़ीलैंड का Five Eyes का हिस्सा होना खतरे से खाली नहीं है।

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