अमेरिका भले अभी सुस्त हो, लेकिन भारत-जापान-ऑस्ट्रेलिया की तिकड़ी चीन के खिलाफ लड़ाई जारी रखेगी

ऑस्ट्रेलिया

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में गड़बड़ी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हार नजदीक देख चीन अब अपना असली रंग दिखाने लगा है। चीन अब क्वाड देशों की सबसे कमजोर कड़ी यानी ऑस्ट्रेलिया को परेशान करने लगा है। उसने ऑस्ट्रेलिया को चेतावनी दी है कि वो उसके निर्यात के एक बड़े हिस्से पर बैन लगा देगा। हालांकि, चीन को ये नहीं भूलना चाहिए कि भले ही अमेरिका के मोर्चे पर फिलहाल के लिए उसकी मुश्किलें कम हो सकती हैं, लेकिन क्वाड के अन्य तीन देश लगातार उसका विरोध करते रहेंगे और उसकी विस्तारवादी नीतियों की धज्जियां उड़ाते रहेंगे।

दरअसल, कम्युनिस्ट पार्टी के एक अखबार के संपादकीय में अमेरिका के साथ जल्दबाजी में चीन के खिलाफ काम करने को लेकर ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन की खूब निंदा की गई है। इसके साथ ही इसमें कहा गया है कि वॉशिंगटन के साथ मिलकर चीन के खिलाफ काम करने पर ऑस्ट्रेलिया को कुछ भी नहीं मिलेगा, बल्कि इसकी एक बड़ी कीमत ही चुकानी पड़ेगी। संपादकीय में कहा गया, सीधे शब्दों में ऑस्ट्रेलिया को समझना चाहिए कि यदि वो अभी भी चीन के खिलाफ अपने एजेंडे में सारी सीमाएं पार करता है, तो ये उसके लिए एक बड़ी मुसीबत का सबब होगा और इसका नुकसान ये होगा कि उसकी अर्थव्यवस्था दिन-प्रतिदिन गिरती चली जाएगी।”

इसको लेकर चीनी सरकार की तरफ से तो कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है लेकिन इस मामले में चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने इस रिपोर्ट को सत्य बताया है। उसका कहना है, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चीनी सरकार बड़ी आर्थिक कार्रवाई कर सकती है।” गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलिया के लिए चीन काफी महत्वपूर्ण है। ऑस्ट्रेलियाई अर्थव्यवस्था का करीब 30 प्रतिशत चीनी निर्यात पर निर्भर है। गौरतलब है कि हाल ही में चीन ने ऑस्ट्रेलिया से आयात होने वाले लॉबस्टर पर सीमा शुल्क में काफी इजाफा कर दिया है।

गौरतलब है कि चीन ये सोचने लगा है कि अगर अमेरिका में चीन विरोधी डोनाल्ड ट्रंप के हारते हैं तो वो अब क्वाड देशों के साथ जैसा चाहेगा वैसा सलूक करेगा, लेकिन ये उसकी भूल है। उसे लग रहा है कि वो क्वाड के सबसे कमजोर देश की नब्ज को दबोचकर क्वाड को कमजोर कर देगा लेकिन ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत और  जापान कंधे-से-कंधा मिलाकर खड़े हैं। एक तरफ जहां चीन ऑस्ट्रेलिया को परेशान कर रहा है तो दूसरी ओर जापान और भारत मिलकर चीन की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचा रहे हैं।

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक अब चीन में काम करने वाली दो कंपनियों टोयोटा और Tsusho & Sumida ने अपना बोरिया-बिस्तर समेट कर भारत में कारोबार जमाने की तैयारी कर ली है। इस बात पर जापान ने अपनी सहमति जाहिर कर दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जापान की तरफ से इन दोनों कंपनियों को मदद की पेशकश इसलिए की गई है ताकि वो भारत में अपने मैन्युफैक्चरिंग बेस का विस्तार कर सकें। इससे पहले भी जापान ने चीन से बाहर निकलने वाली कंपनियों को मदद करने का ऐलान किया था। जापान की सरकार ने यह फैसला किया था कि, वह उन जापानी कंपनियों को आर्थिक मदद देगी जो अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को भारत या बांग्लादेश में शिफ्ट करेंगे।

चूंकि, ऑस्ट्रेलिया एक छोटी अर्थव्यवस्था है जो कि आयात-निर्यात पर निर्भर है, इसीलिए अब चीन ऑस्ट्रेलिया के कारोबार को चोट पहुंचाने की योजना के तहत ही एक्शन ले रहा है। अब जब चीन ऑस्ट्रेलिया को धमकाने की कोशिश कर रहा है तो ये उम्मीद जताई जा रही है कि भारत पूरी ताकत के साथ ऑस्ट्रेलिया के लिए खड़ा होगा, क्योंकि जब ऑस्ट्रेलिया पर चीन ने बार्ले के निर्यात पर बैन लगाया था, तो भारत ने आस्ट्रेलिया की मदद का हाथ सबसे पहले बढ़ाते हुए बार्ले खरीदने की बात कही थी। यही नहीं, जापान और भारत सप्लाई चेन के अपने एजेंडे में पहले ही ऑस्ट्रेलिया को अपना साझेदार बना चुके हैं जिससे चीन को परेशानी भी हो रही है। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में व्यापार को लेकर भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के मंत्रालयों ने सितंबर महीने के पहले सप्ताह में ही ‘Supply Chain Resilience Initiative’ (SCRI) की शुरुआत की थी ताकि सप्लाई चेन से चीन को बाहर निकालने का रास्ता सुनिश्चित हो सके।

ये वो बिंदु हैं जो साफ इशारा कर रहे हैं कि चीन क्वाड को कमजोर न समझे और न ही ऑस्ट्रेलिया को अकेला, क्योंकि भारत और जापान उसके साथ खड़े हैं, जैसे पहले खड़े थे, और ये तीनों मिलकर वैश्विक पटल पर चीन के हर मंसूबों पर पानी फेरने वाले हैं।

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