पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस में बगावत की हवा चल पड़ी है जिसमें आए दिन नेता पार्टी छोड़ रहे हैं। ममता बनर्जी के सबसे खास और मिदनापुर के नंदीग्राम से विधायक शुभेंदु अधिकारी ने भी पार्टी से इस्तीफा देने के साथ ही विधायक पद भी छोड़ दिया है, लेकिन ममता बनर्जी ने अभी हार नहीं मानी है। शायद इसीलिए विधानसभा स्पीकर ने शुभेंदु अधिकारी का इस्तीफा मंजूर करने से इंकार कर दिया है। ममता बनर्जी शुभेंदु अधिकारी को किसी भी कीमत पर पार्टी से नहीं जाने देना चाहती हैं इसीलिए वह अंत समय में भी बचकानी हरकतें रही हैं।
शुभेंदु अधिकारी ने हाल ही में अपने विधायक पद से इस्तीफा देने के साथ ही टीएमसी की प्राथमिक सदस्यता भी छोड़ दी है लेकिन शुभेंदु के विधायक पद के इस्तीफे पर विधानसभा स्पीकर ने पेंच फंसा दिया है। विभानसभा के स्पीकर बिमान बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस के विधायक सुवेंदु अधिकारी के इस्तीफे को अस्वीकार कर दिया है। उन्होंने कहा,“मैंने पत्र (सुवेंदु अधिकारी का इस्तीफा) को देखा और पाया कि उस पर तारीख स्पष्ट नहीं थी। मुझे यह जानकारी नहीं दी गई थी कि उनका इस्तीफा सही और स्वतंत्र है। इसलिए इसे स्वीकार कर पाना संभव नहीं है। मैंने उनसे 21 दिसंबर को मेरे सामने पेश होने के लिए कहा है।”
शुभेंदु ने बुधवार को ही अपना विधायक पद से इस्तीफा दिया था। ऐसा माना जा रहा है कि शुभेंदु अधिकारी 19 दिसंबर को बीजेपी नेता और देश के गृह मंत्री अमित शाह के बंगाल दौरे के दौरान बीजेपी की सदस्यता ले सकते हैं। ऐसे में इस्तीफा नामंजूर होने के बाद उनके बीजेपी में शामिल होने की प्लानिंग को झटका लग सकता है। इसीलिए विश्लेषक इसे ममता बनर्जी की विधानसभा स्पीकर के माध्यम से चली गई एक हास्यास्पद चाल के रूप में देख रहे हैं।
ममता बनर्जी कभी भी किसी नेता को पार्टी छोड़ने पर उसे मनाने का प्रयास नहीं करती हैं लेकिन शुभेंदु अधिकारी ममता का दाहिना हाथ माना जाता है। ऐसे में पार्टी में नंबर दो की स्थिति रखने वाले शुभेंदु का जाना ममता के लिए किसी राजनीतिक खतरे से कम नहीं होगा, क्योंकि ममता बनर्जी के सारे राज शुभेंदु अधिकारी के पास हैं। इसलिए ममता उन्हें रोकने की हर एक कोशिश कर रही हैं, जिससे पार्टी में फूट की स्थिति न आए।
शुभेंदु अधिकारी के ही गढ़ में गृह मंत्री अमित शाह का दौरा होना है। ऐसे में ममता नहीं चाहती थी कि पार्टी में शामिल होने के साथ ही आज शुभेंदु अमित शाह के साथ दिखें। ममता बीजेपी में शामिल होने से पहले शुभेंदु को पार्टी में बने रहने का एक आखिरी और बचकाना दांव चल चुकी है, क्योंकि शुभेंदु ममता बनर्जी के खिलाफ पूरी मुखरता से बोल रहे हैं जबकि ममता बनर्जी शुभेंदु की गैरमौजूदगी में असहाय सी हो गई है।