पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को विधानसभा चुनावों से पहले हार डर लगने लगा है। एक तरफ उनकी पार्टी के नेता उनका साथ छोड़ रहे हैं तो दूसरी ओर बीजेपी का जनाधार बंगाल में मजबूत हो रहा है। ऐसे में अमित शाह के सामने आखिरी दांव चलते हुए ममता ने सत्ता के जरिए जनता को लुभाने का मन बनाया है। वो सरकारी नौकरियों से लेकर छात्रों को पैसा देने की घोषणाएं कर रहीं हैं जिससे बंगाल की जनता का बीजेपी से मोहभंग हो, जबकि ये मुफ्त की मलाई देने का फैसला साफ दिखा रहा है कि ममता दीदी अब केंद्रीय मंत्री अमित शाह के दो बंगाल दौरों के बाद कितनी ज्यादा खौफ में हैं।
विधानसभा चुनाव में पार्टी की स्थिति दयनीय होती देख ममता बनर्जी ने सत्ता का सहारा लेते हुए घोषणाओं का पिटारा खोल दिया है। ममता ने सरकारी नौकरियों को लेकर ऐलान किया कि बंगाल में प्राथमिक स्कूलों में 16,500 खाली पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति की जायेगी। उन्होंने कहा, “ 2021 में 10 से 17 जनवरी 2021 के बीच इंटरव्यू की प्रक्रिया पूरी कर ली जायेगी।” इसके तहत बंगाल में ममता ने ऐलान किया कि, “तीसरी टीईटी परीक्षा 31 जनवरी 2021 को होगी. ये परीक्षा ऑफलाइन आयोजित की जायेगी। करीब ढाई लाख अभ्यर्थी इस परीक्षा में शामिल होंगे।”
ममता बनर्जी अब अपनी रणनीति को मजबूत करने की कोशिश में बेरोजगारी के मुद्दे पर अमित शाह को जवाब देना चाह रही हैं, लेकिन उनके कर्म उन्हें कमज़ोर साबित कर रहे हैं। ममता ने अब अपना छात्रों को टैबलेट देने का फैसला पलट दिया है। उनका कहना है, अब बंगाल में कक्षा 12 के प्रत्येक छात्र-छात्रा के खाते में दस हजार रुपए भेजे जाएंगे।” ममता बनर्जी के इन मुद्दों पर काम कर रही है जो जरूरी हैं और सरहानीय भी, लेकिन इन कामों की टाइमिंग पर सवाल हैं, कि चुनाव की आहट देखकर ही न ?
पश्चिम बंगाल में जिस तरह से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लगातार ममता बनर्जी को जमीनी मुद्दों पर घेर रहे हैं, वो ममता के लिए मुसीबत बन गया है। शाह के दो बंगाल दौरों ने बंगाल के पूरे सियासी गणित को बदल दिया है और विधानसभा चुनाव में एक नई बिसात बिछा दी है। बीजेपी का ये मजबूत जनाधार वहां खुलकर सामने आने लगा है जो कि ममता के खौफ की असली वजह है।
ममता बनर्जी की अपनी पार्टी के नेता लगातार टीएमसी छोड़कर बीजेपी का दामन थाम रहे हैं। उनके रणनीतिकार प्रशांत किशोर और भतीजे अभिषेक बनर्जी ही उनके लिए मुसीबत का सबब बन गए हैं। ऐसे में ममता अपने सरकारी तंत्र का प्रयोग करते हुए मुफ्त की मलाई बांट कर जनता को लुभाने की कोशिश कर रही हैं, जिससे उनका वोट बैंक बना रहे।
असल में यह फैसला बताता है कि ममता बनर्जी अब पूरी तरह से डर चुकी हैं और अमित शाह के खिलाफ विधानसभा चुनावों के पहले उनके पास अब मुफ्त की मलाई का ही एक आखिरी दांव था जो विवशता के कारण अब वो चल रही हैं।