नए कानूनों के बाद कृषि सेक्टर में आया सकारात्मक बदलाव, रिकॉर्ड संख्या में नई कंपनियाँ हुई रजिस्टर

नकली किसान प्रदर्शन करते रह गए, उधर कृषि सेक्टर में बदलाव आना शुरू भी हो गया है

कृषि

जहां एक तरफ दिल्ली और हरियाणा के बॉर्डर पर पंजाबी आढ़ती किसान आंदोलन के नाम पर डेरा जमाए हुए हैं, तो वहीं दूसरी ओर से भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कृषि क्षेत्र से खुशखबरी आई है। कॉर्पोरेट गतिविधि मंत्रालय से प्राप्त डेटा के अनुसार इस वर्ष कृषि क्षेत्र में नए कंपनियों की रजिस्ट्री में 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इन कंपनियों ने जून से लेके नवंबर माह के बीच में रेजिस्ट्री की है।

मोदी सरकार ने अभी जून माह में तीन अध्यादेशों को स्वीकृति दी, जिन्हे संसद में मॉनसून सत्र में पारित कराया गया। इसके बाद से कृषि से संबंधित सेक्टर्स में जिस प्रकार से रजिस्ट्री की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है, वो अपने आप में इन कृषि अधिनियमों की सफलता का परिचायक है।

वामपंथी चाहे जितना विरोध करें, लेकिन सच्चाई तो यही है कि इस क्षेत्र में निजी कंपनियों के प्रवेश से कृषि क्षेत्र में व्यवस्था बेहतर होगी, और इससे किसानों के पास पूंजी में अप्रत्याशित वृद्धि भी संभव होगी। कृषि क्षेत्र को दिया जाने वाला कर्ज़ भारत में इसलिए भी बहुत कम था, क्योंकि कोई भी वित्तीय संगठन ऐसे उद्यम को कर्ज़ देने को तैयार नहीं था, जिसका प्रमुख उद्देश्य लाभ अर्जित करना ही नहीं था। इसके अलावा इस साल किसानों द्वारा आत्महत्या की संख्या में काफी कमी भी आई, क्योंकि पिछले दो वर्षों से भारत में मॉनसून काफी बढ़िया रहा है, और मोदी सरकार द्वारा रिकॉर्ड संख्या में फसलों का क्रय विक्रय हुआ है।

इसके अलावा वुहान वायरस ने मानो कृषि उद्योग को भारत का संकटमोचक बनने का एक सुनहरा अवसर प्रदान कर दिया। इस महामारी के कारण आवश्यक कृषि उत्पादों की मांग और बिक्री के साथ साथ किसानों की आय में काफी इजाफा हुआ है। ऐसे में जिस प्रकार से कृषि सेक्टर में नए कंपनियों की ताबड़तोड़ रजिस्ट्री हुई है, उससे स्पष्ट है कि इन सुधारों के लिए कंपनियां इतने वर्षों से प्रतीक्षा कर रही थी, परंतु वर्तमान सरकार से पहले किसी भी सरकार ने इस दिशा में व्यापक बदलाव करने का साहस नहीं किया था।

इससे पहले की सरकारों द्वारा जिस प्रकार की धारणा प्रचारित की गई थी, उससे किसानों का निजी कंपनियों के साथ करार करना अपराध माना जाता था। लेकिन वर्तमान विधेयकों के सफलतापूर्वक पारित होने के कारण किसानों को काफी फायदा होगा, और साथ ही साथ निजी कंपनियों के आगमन से कृषि उद्यमियों और छोटे किसानों को बेहिसाब लाभ प्राप्त होगा, जिससे भारत का कृषि उद्योग उसके सेवा उद्योग जितना ही महत्वपूर्ण होगा।

कॉर्पोरेट की एंट्री इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि हर किसान के पास अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अपनी बात रख पाने की क्षमता नहीं होती। ऐसे में जिस प्रकार से नई कंपनियां भारी संख्या में रजिस्ट्री कर रही है, उससे भारत के किसान भी विदेशी किसानों की भांति अपने उत्पादों से भारी कमाई कर पाएंगे।

दक्षिण पूर्वी एशिया के देशों में तकनीकी समृद्धि के कारण ही किसानों को जबरदस्त लाभ मिला है। यदि इसी उदाहरण का अनुसरण भारत में हुआ, तो बिचौलियों का वर्चस्व भी खत्म होगा, और कृषि समस्याओं से निपटने के लिए नई नीतियों को भी अपनाया जाएगा, जिस दिशा में एग्रीटेक और जिओकृषि जैसे एप पहले ही जुट गए हैं। सरकार की वर्तमान नीतियों के कारण अब भारतीय किसानों के सुनहरे दिन जल्द आने वाले हैं।

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