अमरिंदर सिंह ने किसानों के विरोध प्रदर्शन को खुब हवा दी, अब यही उनके गले की फांस बन गया है

अमरिंदर को सांप को पालना पड़ा महंगा

अमरिंदर सिंह

कहते हैं सांप को चाहे कितना भी दूध पिला लो, वह एक बार पलटकर आपको अवश्य डसेगा। कुछ ऐसा ही हाल पंजाब के मुख्यमंत्री कप्तान अमरिंदर सिंह का है, जिन्होंने मोदी विरोध की आड़ में ‘किसान आंदोलन’ कर रहे अराजकतावादी, विशेषकर खालिस्तानियों को खूब बढ़ावा दिया। लेकिन वे जब पलटकर उन्हीं के राज्य की संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं, तो यही अमरिंदर सिंह अब हाय तौबा करते फिर रहे हैं।

अभी इन दिनों ‘किसान आंदोलन’ के नाम पर पंजाब में सक्रिय अराजकतावादियों ने पूरा मोर्चा संभाल रखा है। अब बात किसानों के अधिकार की कम, और अराजकता एवं हिंसा के जरिए अलगाववादी ताकतों को बढ़ावा देने पर ज्यादा है। इस बीच कई अराजकतावादियों ने पंजाब के कई हिस्सों में अराजकता फैलाते हुए मोबाइल टावरों को ध्वस्त करना शुरू कर दिया, जिसमें प्रमुख तौर पर रिलायंस कंपनी के जिओ मोबाइल नेटवर्क के टावर शामिल थे।

लेकिन जब ये अराजकता हद पार करने लगी, तो पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को आर्थिक नुकसान की चिंता सताने लगी। द प्रिन्ट की रिपोर्ट के अनुसार, “मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से एक बयान जारी किया गया जिसमें अपील की गई कि किसान अपने अधिकार की लड़ाई में आम जन को नुकसान न पहुंचाए”।

मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी किए गए बयान के अनुसार, “टेलिकॉम कनेक्टिविटी इस समय काफी कठिन है, विशेषकर तब जब COVID 19 की महामारी अभी तक जारी है। ऐसे में मुख्यमंत्री का मानना है कि किसानों ने जो अनुशासन और संयम दिल्ली के बॉर्डर पर प्रदर्शन करने में रखी थी, वही संयम वे यहाँ भी रखे”।

बता दें कि मोदी सरकार और अंबानी एवं अदानी के विरोध के नाम पर अराजकतावादियों ने पंजाब में उत्पात मचा रखा है। अब तक लगभग 1338 मोबाइल टावर अराजकतावादियों द्वारा ध्वस्त किए जा चुके हैं, जिनमें अधिकतर रिलायंस जिओ नेटवर्क से संबंधित है। इतना ही नहीं, अराजकतावादियों को समझाने जा रहे अफसरों से न सिर्फ गाली गलौज की गई, बल्कि उनसे हाथापाई भी की गई।

इसके कारण न केवल पंजाब की सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान हो रहा है, बल्कि अमरिंदर सिंह की छवि को भी अब नुकसान हो रहा है। ऐसे में उन्होंने पंजाब के किसानों से अपील कि वे कानून को अपने हाथ में न ले, क्योंकि ये पंजाब के आमजनों के हित में नहीं है।

लेकिन उनकी अपील अनसुनी कर दी गई, क्योंकि ‘किसान आंदोलन’ के नाम पर अराजकतावादी यदि वास्तव में किसानों का भला चाहते, तो अब तक वे अपना प्रदर्शन बंद कर सरकार के साथ किसानों के हित के अनुरूप कानून में संशोधन के लिए चर्चा कर रहे होते। अमरिंदर सिंह की अपील का असर इन अराजकतावादियों पर कितना पड़ा, इसका अंदाज़ा आप इसी से लगा सकते हैं कि पिछले दो दिनों में ही 150 से ज्यादा मोबाइल टॉवर पूरे पंजाब में ध्वस्त किए गए हैं।

सच कहें तो इस पूरे प्रकरण के लिए केवल अमरिंदर सिंह ही जिम्मेदार है, जो सत्ता के नशे में अराजकतावादियों तक को बढ़ावा देने से नहीं चूक रहे थे। अपने आप को कट्टर खालिस्तान विरोधी कहने वाले कप्तान अमरिंदर सिंह ये जानते हुए भी इस अराजक आंदोलन को इसलिए बढ़ावा दे रहे थे, ताकि पंजाब में भाजपा का जनाधार स्थापित न होने पाए। लेकिन जब उनका तैयार किया गया शैतान उन्हें ही काटने दौड़ा, तो उन्हें आमजनों को हो रही समस्याओं की चिंता सताने लगी  है।

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