भारत ने चीनी निवेशकों को बाहर का रास्ता दिखाया, जापान को मिला भारत के स्टार्टअप में निवेश करने का मौका

एक अहम निर्णय में जापान के सबसे बड़े वेंचर कैपिटल कम्पनीज़ में से एक ग्लोबल ब्रेन ने भारतीय स्टार्ट अप क्षेत्र में निवेश करने का निर्णय लिया है। LAC पर तनातनी के कारण जो चीन ने निवेश के तौर पर खोया है, उसका सर्वाधिक लाभ जापान उठाने वाला है।

जिस प्रकार से चीन ने भारतीय स्टार्ट अप क्षेत्र में अंधाधुंध निवेश करना प्रारंभ किया था, उसपर लगाम लगानी बेहद आवश्यक थी, और इस दिशा में भारत ने काफी सकारात्मक कदम उठाए हैं। वुहान वायरस की महामारी फैलने के पश्चात जहां जहां भी चीन ने निवेश करने का प्रयास किया, वहाँ वहाँ उसे निराशा ही हाथ लगी, और ऐसे में चीन को हुए नुकसान का लाभ उठाने में जापानी ग्लोबल ब्रेन एक क्षण भी व्यर्थ नहीं जाने देना चाहेगी।

इसी दिशा में ग्लोबल ब्रेन ने निर्णय किया है कि वे 2021 तक भारत के सिलिकॉन वैली यानि बेंगलुरू में अपना ऑफिस खोलने जा रहे हैं। इसके अलावा वे करीब 192 मिलियन डॉलर, यानि जापानी में 20 बिलियन येन का निवेश करने जा रहे हैं। इस कंपनी ने पहले ही दो भारतीय स्टार्ट अप्स में निवेश किया है, और वह अन्य भारतीय कंपनियों को भी अपनी ओर आकर्षित करने में जुटी हुई है।

बता दें कि चीन द्वारा गलवान घाटी में भारतीय सेना पर हमला करने के बाद भारतीय सरकार को स्टार्ट अप में चीन के बढ़ते प्रभाव के बारे में निर्णायक कदम उठाने की प्रेरणा मिली, और इसीलिए भारत ने चीन जैसी धूर्त पड़ोसी द्वारा निवेश रोकने के लिए अपने ऐसे पड़ोसियों पर आर्थिक पाबंदियाँ लगाई। स्पष्ट कहे तो भारत सरकार चीनी निवेश का एक कण भी बचने नहीं देना चाहती।

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इसके अलावा चाहे चीनी निवेश पर रोक लगानी हो, या फिर चीनी स्मार्टफोन एप्स पर प्रतिबंध लगाना हो, आप बस बोलते जाइए और भारत ने अपने आईटी क्षेत्र को पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाने के लिए वो सब किया। चाहे व्यक्तिगत चीनी निवेशक हों, या फिर चीन की बड़ी बड़ी कंपनियां, वुहान वायरस और गलवान घाटी के हमले के बाद अब चीन का भारत में निवेश करना पहाड़ तोड़ने जितना कठिन हो गया है।

भारतीय स्टार्ट अप सेक्टर एक फलता फूलता उद्योग है , जो प्रारंभ में अपने निवेशकों को काफी लाभ देने में सक्षम है, और इसीलिए जापान चीन के बाहर होने का पूरा लाभ उठान चाह रहा है, ताकि भारत के साथ उसके आर्थिक रिश्ते और मजबूत हो सके।

इसीलिए जापान भारतीय स्टार्ट अप क्षेत्र में निवेश करने हेतु एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है। जिस प्रकार से ग्लोबल ब्रेन ने मौके पर चौका मारने की नीति को आत्मसात करने का निर्णय लिया है, उससे एक बात तो स्पष्ट है – चीन की हार में जापान की जीत है, और यह भारतीय स्टार्ट अप्स के कायाकल्प का भी प्रारंभ होगा।

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