पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अब राज्य के विधानसभा चुनावों को लेकर अपनी प्लानिंग पर काम करने लगी हैं। ममता ये बात अच्छे से जानती हैं कि बीजेपी का कोर वोटर हिंदू है। इसलिए वो खुद को बीजेपी और आरएसएस से अच्छा हिंदू दिखाने की कोशिश कर रही हैं। ममता बनर्जी बीजेपी को एक बाहरी पार्टी और खुद को स्थानीय बताने का घिसा-पिटा फार्मूला लेकर आईं हैं, जिसे बंगाल की जनता पहले ही लोकसभा चुनावों में नकार चुकी है, ऐसे में खुद को बेहतर हिंदू दिखाने की होड़ और बाहरी वर्सेज स्थानीय का दांव ममता बनर्जी पर ही भारी पड़ने वाला है।
ममता बनर्जी उत्तरी बंगाल में अपनी पूरी ताकत झोंक रही हैं। उन्होंने यहां एक सभा में कहा कि बीजेपी एक बाहरी पार्टी है, उत्तरी बंगाल की जनता को बीजेपी को अपने जनमत के जरिए उखाड़ फेंकना चाहिए, जिससे बांटने की राजनीति करने वाली बीजेपी राज्य में अपना स्थापत्य न हासिल कर सके। ममता बनर्जी ने कहा, “पिछले 10 सालों में काम करने के बावजूद उत्तर बंगाल में लोकसभा चुनावों में हम एक भी सीट नहीं जीत सके। इसमें हमारा क्या दोष है। बीजेपी और आरएसएस ने यहां कब्जा करने की कोशिश की है, जबकि वे असली हिंदू नहीं है।” ममता बनर्जी ने कहा, “ये (बीजेपी-आरएसएस) नफरत फैलाने वाले लोग हैं, जो कि रामकृष्ण परमहंस या स्वामी विवेकानंद नहीं हैं।”
ममता बनर्जी यह अच्छी तरह जानती हैं कि उनकी पार्टी में इस समय बगावत की स्थिति है, ऐसे में कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए उन्होंने कार्यकर्ताओं को भी विशेष संबोधन दिया है। उन्होंने कहा कि सभी को मिलकर एक साथ लड़ना होगा, जिससे 2021 के अप्रैल-मई में होने वाले विधानसभा चुनावों में बीजेपी जैसी नफरत फैलाने वाली ताकतों से हिम्मत के साथ लड़कर जीता जा सके।
यह बेहद ही चौंकानें वाली बात है कि ममता बनर्जी अब हिंदू और गैर-हिंदू की राजनीति कर रही हैं। उनका कहना है कि आरएसएस और बीजेपी असल हिंदू नहीं है, बल्कि असल हिंदू वो खुद को साबित करना चाहतीं हैं और इसीलिए वो उत्तरी बंगाल के अपने दौरे में बार-बार इन मुद्दों का जिक्र कर रही हैं। ममता ने अपने भाषण में ही अपना दर्द भी छलका दिया है कि उत्तरी बंगाल में वह एक भी सीट नहीं जीत सकी। उनकी यह बात दिखाती है कि यहां हारने के बाद वो कितनी ज्यादा कुंठित हैं।
उत्तरी बंगाल को बीजेपी का गढ़ माना जाता है, जहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने जमीनी स्तर पर बीजेपी के लिए राजनीतिक जमीन तैयार की है और हिंदू वोटरों के बीच अपनी मजबूत पकड़ बनाई है। इसका फायदा बीजेपी को 2019 के लोकसभा चुनावों में मिला था, और बीजेपी ने वहां की सारी सीटों पर अपनी मजबूत पकड़ बनाई थी। उत्तरी बंगाल के इस क्षेत्र में बीजेपी को हिंदू समुदाय का एक मुश्त वोट मिलता है, जो उसकी जीत इस इलाके में सुनिश्चित कर रहा है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बीजेपी के इस गढ़ को हासिल करने की कोशिश रहीं हैं, जबकि उनके खुद के नेताओं के नाराज और बागी होने के कारण उनका मिदनापुर, मुर्शिदाबाद, मालदा जैसा राजनीतिक गढ़ खतरे में आ गए हैं क्योंकि वहां एआईएमआईएम वाले असदुद्दीन ओवैसी ने चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है। ऐसे में ममता बनर्जी का खुद को हिंदू साबित करना इस क्षेत्र की जनता में भी उनके लिए असंतोष बढ़ाएगा और ममता हिंदू वोटरों को लुभाने के चक्कर में अपना मुस्लिम वोट भी खो बैठेंगी, ममता इस बार के चुनावों चौतरफ़ा घिर गईं हैं।