पश्चिम बंगाल में पिछले 6 सालों से हिंसा के जरिए बीजेपी के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है, उन पर लगातार हमला होता है। यहां बीजेपी के कार्यकर्ताओं की राजनीतिक रंजिश के तहत काफी मौतें भी हो चुकी हैं, लेकिन केन्द्र सरकार में प्रचंड बहुमत होने के बावजूद बीजेपी ने बंगाल सरकार सरकार पर कोई खास एक्शन नहीं लिया है। इसी का नतीजा है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा के दौरै तक में उन पर जानलेवा हमले हो रहे हैं। यकीनन एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में ये गलत है लेकिन केंद्र सरकार द्वारा इस पर भी कार्रवाई न करते हुए केवल राजनीति खेलना अशोभनीय है।
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा बंगाल के दौरे पर हैं। इस दौरान बंगाल के डायमंड हार्बर इलाके की एक सड़क को कुछ प्रदर्शनकारियों और टीएमसी कार्यकर्ताओं ने जाम कर दिया, जिसके बाद जेपी नड्डा की गाड़ी हमला किया गया। इस दौरान गाड़ी पर पत्थरबाजी भी हुई। नड्डा के साथ इस दौरान बंगाल में बीजेपी के चुनाव प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय पर भी खूब हमले किए गए। उनकी गाड़ी पर भी पथराव हुआ। नड्डा ने इस मसले को लेकर कहा, “मैं इसलिए बच पाया क्योंकि कार बुलेट प्रूफ थी।” वहीं कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, “इन हमलों को देखकर लग रहा था कि वो किसी दूसरे देश में हैं।”
बंगाल में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पर हमला हुआ, लेकिन मसले पर निंदा की औपचारिकताएं ही हुईं। गृहमंत्री अमित शाह से लेकर बंगाल बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष और मुकुल रॉय तक सभी ममता सरकार की लानत-मलामत कर रहे हैं। इस मौके पर गृह मंत्रालय ने बंगाल पुलिस से रिपोर्ट मांगी, तो पुलिस भी ढुलमुल जवाब दे गई। पश्चिम बंगाल पुलिस ने कहा, “सभी लोग सुरक्षित हैं और जेपी नड्डा के काफिले को कुछ नहीं हुआ है। सड़क किनारे खड़े कुछ लोगों ने अचानक काफिले में पीछे चल रही गाड़ियों की ओर कुछ पत्थर फेंके हैं।”
राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी इस मुद्दे को लेकर ममता सरकार के रवैए पर सवाल उठाए हैं। ये पहला मामला नहीं है, जब बीजेपी के किसी नेता या कार्यकर्ता पर हमला हो रहा है बल्कि बंगाल में ये नियम बन गया है। बीजेपी की सरकार केंद्र में हैं और पूर्ण बहुमत में है। राजनीतिक हिंसाओं को लेकर पूरे देश में ममता सरकार पर सवाल उठ रहे हैं लेकिन केन्द्र सरकार इस पर कोई एक्शन नहीं ले रही है। चुनाव में बीजेपी टीएमसी को हराने की बात करती है, लेकिन बंगाल के पंचायत चुनावों में सभी ने देखा है कि ममता सरकार के अंतर्गत काम करने वाली पुलिस का रवैया भी निंदनीय रहा है। इसके चलते प्रत्याशियों को बंगाल तक छोडना पड़ा क्योंकि दंगाईयों को रोकने में पुलिस विफल रही थी।
नड्डा पर हमले के बाद एक बार फिर ये साबित हो गया है कि बंगाल में बीजेपी अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं पर हमले के बावजूद ममता सरकार के विरुद्ध कोई एक्शन नहीं ले सकी है। ऐसे में यदि चुनाव तक भी हमले होते रहे और उसके बाद बीजेपी की सरकार बनी तो लाशों के बोझ तले बनी उस सरकार का कोई महत्व नहीं होगा।