1984 में दो लोकसभा सीटों से राजनीतिक शुरूआत करने वाली बीजेपी ने जब 2014 में बहुमत हासिल किया तो आलोचकों ने सवाल उठा दिया कि देश की सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद बीजेपी का दक्षिण भारत में कोई जनाधार नहीं है। इन स्थितियों को देखते हुए पार्टी ने दक्षिण भारत के संगठन में कुछ ऐसे आमूलचूल परिवर्तन किए हैं कि पार्टी केरल से लेकर तमिलनाडु तक में अपनी पैठ बनाने की मशक्कत करने लगी हैं। सभी राज्यों में बीजेपी का मत प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है, हालिया उदाहरण तो हैदराबाद का जीएचएमसी चुनाव भी है जिसमें बीजेपी हाशिए से सीधे नंबर 3 तक पहुंच गई है।
हैदराबाद के ग्रेटर हैदराबाद महानगरपालिका चुनावों के नतीजों के रुझानों की बात करें तो बीजेपी ने ओवैसी के गढ़ में एआईएमआईएम को कई जगह पछाड़ दिया है, और केसीआर की पार्टी तेलंगाना राष्ट्रीय समिति से सीधे टक्कर ले ली है जबकि कांग्रेस का तो यहां कोई वजूद बचा ही नहीं है। बीजेपी ने इन चुनावों में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करते हुए 2023 विधानसभा चुनाव के लिए ताल ठोक दी है, जो कि न केवल मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के लिए मुसीबत का सबब है बल्कि हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी के 2024 में लोकसभा पहुंचने पर भी अड़ंगा लगा सकती है।
हैदराबाद में बीजेपी की ये तैयारी एक दिन की नहीं है। लोकसभा चुनाव के बाद जब यहां हाल ही में दुब्बक विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए तो बीजेपी ने अपनी जीत की कोशिश में अभियान चला दिया, जिसका लाभ ये हुआ कि इस उपचुनाव में केसीआर की पार्टी टीआरएस के उम्मीदवार की साम दम दण्ड भेद की नीति के बावजूद बीजेपी उम्मीदवार को ही जीत मिली। जिसके बाद बीजेपी ने ग्रेटर हैदराबाद महानगरपालिका के इलेक्शन के लिए अपनी पूरी टीम उतार दी। गृहमंत्री अमित शाह, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ समेत राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मोर्चा संभाला लिया जो कि अब सकारात्मक नतीजों का संकेत दे रहा है। बीजेपी का ये प्रदर्शन न केवल तेलंगाना बल्कि पूरे दक्षिण भारत में उसके राजनीतिक अभियान को प्रभावित करेगा।
केवल हैदराबाद ही नहीं, बीजेपी का कर्नाटक में पहले ही प्रभुत्व है जहां हिंदुत्व के दम बीजेपी के नेतृत्व वाली येदियुरप्पा सरकार चल रही है। वहीं आंध्र प्रदेश में बीजेपी के दोनों हाथों में लड्डू है, है एक तरफ जहां सत्ताधारी एआईडीएमके का उसे अच्छा खासा समर्थन मिल रहा है तो दूसरी ओर साउथ की फिल्मों के बड़े सुपरस्टार रजनीकांत ने भी अपनी पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया है। पहले भी बीजेपी में उनके शामिल होने की संभावना थी, लेकिन रजनीकांत अपनी पार्टी बनाने के बाद बीजेपी से राज्य की राजनीति में गठबंधन कर सकते हैं। अब बीजेपी रजनीकांत के सपोर्ट से राज्य में अपने वर्चस्व की सकारात्मक योजना बना रही है, जो कि आंध्र प्रदेश के साथ ही दक्षिण भारत की पूरी राजनीति में उसके लिए फायदे का सौदा होगा।
दक्षिण भारत में लेफ्ट के सबसे बड़े गढ़ केरल में भी बीजेपी ने 2014 के बाद से हाथ पैर मारना शुरू कर दिया था। जहां बीजेपी का वोट प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है। पार्टी यहां महिलाओं को साथ लेकर चलते हुए सभी स्थानीय मुद्दों को महत्व दे रही है। भले ही पार्टी को अभी चुनावी सफलता नहीं मिली हो लेकिन जिस रफ्तार से बीजेपी ने यहां अपना वोट प्रतिशत 0 से 13 प्रतिशत तक पहुंचाया है उसको देखते हुए ये अनुमान लगाया जा सकता है कि केरल में भी पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा जल्द ही आलाकमान को अच्छी खबरें दी जाएंगी।
बीजेपी को पता है कि अगर लंबे वक्त तक सत्ता पर काबिज रहते हुए अपने एजेंडे पर देश को आगे ले जाना है तो उसे केवल हिंदी भाषी राज्यों पर आश्रित नहीं रहना, उसका ही नतीजा है कि अब पार्टी दक्षिण भारत में अपने पद चिन्ह जमाने लगी है।