पश्चिम बंगाल में टीएमसी नेता और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने कार्यों से ये जाहिर किया है कि वो अब राज्य में गुंडागर्दी को भी समर्थन दे सकती हैं। उनके राज में विवादित पुलिस अधिकारी की पदोन्नति तो इसी बात का संकेत देती है, क्योंकि ये वही आईपीएस अधिकारी हैं जिन पर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले की सुरक्षा की जिम्मेदारी थी और उन्होंने वहां ढुलमुल रवैया अपनाया था। इसके चलते बीजेपी अध्यक्ष पर टीएमसी कार्यकर्ताओं ने जानलेवा हमले किए। इस मामले में अधिकारी को सजा देने की अपेक्षा पदोन्नत करके ममता ने टीएमसी के गुंडों को संरक्षण देने का संकेत दिया है।
ममता बनर्जी की पॉलिटिक्स को लेकर कहा जाता है कि बंगाल में लेफ्ट के शासन की तरह ही ममता के राज में भी खूब राजनीतिक हिंसाएं हो रही हैं, जिसके चलते अब उनकी सत्ता भी जा सकती है। बावजूद इसके ममता ने अपनी पार्टी के गुंडों को राजनीतिक हमलों की खुली छूट दे रखी है और उनके आईपीएस अधिकारी राजीव मिश्रा को पदोन्नत करने के फैसले ने ये साबित भी कर दिया है। ममता दीदी की बंगाल सरकार ने 1996 बैच के आईपीएस अधिकारी आईजी राजीव मिश्रा को अब एडीजी दक्षिण बंगाल के रूप में पदोन्नत किया है।
जेपी नड्डा के काफ़िले को सुरक्षा देने वाले अपनी सरकार के करीबी अधिकारी को ममता ने पदोन्नति करके केंद्र से एक और झगड़ा मोल ले लिया है, क्योंकि नड्डा के मामले में तीन आईपीएस अधिकारियों को गृह मंत्रालय ने दिल्ली बुलाया था, जिसे ममता ने नहीं माना। ऐसे में अब उनमें से एक का प्रमोशन करना ममता की नीयत पर सवाल खड़े करता है। हालांकि एक अन्य अधिकारी डायमंड हार्बर के एसपी भोलानाथ पांडे को एसपी होमगार्ड के कम महत्वपूर्ण पद पर स्थानांतरित किया गया है, जो कि एक दिखावा है क्योंकि तीसरे अधिकारी प्रवीण त्रिपाठी की स्थिति पर कोई एक्शन नहीं लिया गया है।
ममता बनर्जी के शासनकाल में खूब राजनीतिक हिंसाएं हुईं हैं जिसके चलते लोगों में भी उनके लिए नकारात्मकता आ गई है। बीजेपी उन पर निशाना साधती रही है। वहीं ममता के खिलाफ शारदा जैसे घोटाले खुलना और फिर उनका जनविरोध उनकी ही मुसीबत का सबब बन गया है। ममता के सहयोगी उनका साथ छोड़कर बीजेपी का रुख कर रहे हैं जिसके चलते बीजेपी के सत्ता में आने की संभावनाएं बढ़ गईं हैं और ममता की असल घबराहट की वजह यही है।
ममता बनर्जी अपनी सत्ता जाते देख कुछ भी करने को तैयार हैं। वो किसी भी कीमत पर दोबारा सत्ता पर बैठना चाहती हैं। इसलिए वो साम, दाम, दण्ड, भेद वाली नीति अपना रही हैं। उनका विवादित आईपीएस अधिकारी को पदोन्नत करना इसी नीतियों का एक मात्र हिस्सा है। इस एक निर्णय से ममता बनर्जी अपने टीएमसी के आक्रमक और गुंडागर्दी करने वाले कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाया है, जिससे वो विधानसभा चुनाव तक अगले 6 महीने राज्य में खूब आतंक मचाएं और ये विवादित अधिकारी उन्हें संरक्षण ही देंगे, जो कि ममता बनर्जी की क्रूरता की पराकाष्ठा को जाहिर करता है।