कई महीनों से चल रहे चीनी टेक कंपनियों के खिलाफ अभियान के बाद अब जा कर चीन को होश आया है। अब जा कर चीन ने अमेरिकी ऑनलाइन ट्रैवल कंपनी ट्रिपएडवाइजर समेत 105 मोबाइल Apps को अपने देश के ऐप स्टोर से हटाने का दावा किया है। हालांकि, इस कम्युनिस्ट देश ने इस एक्शन का कारण कुछ और बताया है और कहा है कि उसने ऐप स्टोर की सफाई अभियान के तहत ऐसा किया है। उसने दावा किया कि चीन ने उन ऐप्स को स्टोर से हटाया है जो जुआ, वेश्यावृत्ति, पोर्नोग्राफी और हिंसा से संबंधित ऑनलाइन कंटेन्ट को बढ़ावा देते हैं। परंतु अगर चीन ने इन नियमों की आड़ में अमेरिकी सरकार और भारत द्वारा चीनी ऐप्स को अपने अपने देशों में बैन करने के बाद ऐसा किया है तो यह कदम न सिर्फ कमजोर है बल्कि हास्यास्पद भी है क्योंकि यह बहुत देर से उठाया गया कदम है और दूसरा यह कि चीन के पास और कुछ बैन करने के लिए है ही नहीं।
हालांकि, यह कोई कहने वाली बात नहीं है कि चीन की सरकार अपने देश की साइबर स्पेस को कितना नियंत्रित करती है। ज्यादातर प्रतिबंधित ऐप चीनी हैं, लेकिन सूची में अमेरिकी यात्रा ऐप ट्रिपएडवाइजर भी शामिल है। Tripadvisor एक अमेरिकी ऑनलाइन ट्रैवल कंपनी है जो होटल, रेस्टुरेंट और पर्यटन स्थलों के बीच आम जनता को एक तुलनात्मक सूचना देती है, जिससे उनकी यात्रा बेहतर हो।
चीन के साइबरस्पेस प्रशासन ने मंगलवार, 8 दिसंबर को एक बयान में कहा कि इन ऐप्स ने एक या एक से अधिक साइबर कानूनों का उल्लंघन किया। प्राधिकरण ने आगे कहा कि उसने 5 नवंबर को सरकार के आग्रह के बाद इस तरह का अभियान शुरू किया जिसके तहत इन ऐप्स को बैन किया गया है।
बता दें कि चीन की कम्युनिस्ट सरकार द्वारा Tripadvisor पर प्रतिबंध लगाने का यह फैसला अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाने के बाद आया है। ध्यान देने वाली बात यह है कि ट्रम्प ने टिकटॉक प्रतिबंध की घोषणा की थी, तो चीनी अधिकारियों ने अमेरिका पर धमकाने का आरोप लगाया और कहा कि यह चीनी कंपनियों के हितों की रक्षा के लिए “आवश्यक उपाय” करेगा। यही नहीं, अमेरिका ने हुवावे को भी बैन कर चीन को ऐसा झटका दिया जिससे उबरने में चीन को कई वर्ष लगने वाले हैं। अमेरिका को देख कर कई देश भी हुवावे को बैन कर चुके हैं।
बता दें कि चीन में इंटरनेट पूरी तरह से सरकार द्वारा सेंसर किया जाता है और गूगल, फेसबुक और ट्विटर जैसी प्रमुख अमेरिकी टेक फर्म बैन हैं। हालांकि, यही कारण है चीन किसी भी बड़ी कंपनी के खिलाफ एक्शन लेने में सक्षम नहीं है।
हालिया कार्रवाई में, भारत ने नवंबर में Alibaba Workbench, AliExpress, Alipay Cashier, CamCard, और WeDate सहित 43 और मोबाइल apps पर बैन लगा दिया था, जो राष्ट्र की संप्रभुता, अखंडता, और रक्षा के लिए खतरा पैदा करते थे।
इससे पहले 29 जून को, सरकार ने 59 मोबाइल ऐप्स को और 2 सितंबर, 2020 को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69 ए के तहत अन्य 118 ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया था।
अब अगर चीन ने इसी के जवाब में अपने ऐप स्टोर से इन ऐप्स को बैन करने का फैसला लिया है तो यह किसी मज़ाक से कम नहीं है। अगर चीन को बदला ही लेना था तो टेक कंपनियों को छोड़ किसी अन्य क्षेत्र की कंपनियों को बैन करना चाहिए था, परंतु चीन के पास यह विकल्प भी नहीं मौजूद है क्योंकि सभी कंपनियाँ पहले से चीन को छोड़ना चाहती हैं, जिससे चीन में बेरोजगारी बढ़नी शुरू हो चुकी है। ऐसे में चीन सिर्फ अपने ऐप्स को अन्य देशों में बैन होता देख सकता है।