चीन की हालत इस समय बहुत खराब है। एक ओर वुहान वायरस के बाद कई देश उसे हेय की दृष्टि से देखते हैं, तो वहीं भारत के नेतृत्व में लगभग पूरा दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्वी एशिया के कई देश इंडो पैसिफिक क्षेत्र में उसकी हेकड़ी को खत्म करने के लिए एकजुट हो रहे हैं। लेकिन जब EU ने भी विद्रोही तेवर दिखाने शुरू कर दिए, तो चीन का माथा ठनका और उसने अब EU को मनाने की कवायद शुरू कर दी है।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, “EU से संभावित बातचीत से पहले चीन ने अपने कथित नेगेटिव एक्सेस लिस्ट को और छोटा किया, और कई सेक्टर एवं उद्योग निवेश हेतु खोले हैं। 2020 की सूची में नेगेटिव एक्सेस वाली सूची में उपस्थित उद्योग पिछले वर्ष के 131 उद्योगों की तुलना में अब 123 हो चुके हैं।
अब कंपनियां तेल और गैस उद्योग जैसे क्षेत्रों में भी निवेश कर सकेगी और चीन में इनका उत्पादन कर सकेंगी। जो विदेश फर्म चीन में कार्बन उत्सर्जन का विश्लेषण करने की स्वीकृति मांग रहे थे, उन्हें भी आवश्यक स्वीकृति मिलेगी।”
इसके पीछे का उद्देश्य स्पष्ट है – चीन किसी भी तरह से EU को अपने हाथ से नहीं फिसलने देना चाहता है, क्योंकि यदि ऐसा हुआ, तो चीनी अर्थव्यवस्था को दिवालिया होते देर नहीं लगेगी। अभी कुछ ही दिनों में चीन और यूरोपीय संघ के बीच निवेश को लेकर एक अहम बैठक होनी है, जो पिछले कई महीनों से स्थगित थी, क्योंकि न तो EU को मुक्त मार्केट में व्यापार करने की स्वतंत्रता मिल रही है, और न ही चीन ये सुनिश्चित करना चाहता है कि श्रम अधिकारों और पर्यावरण की रक्षा होगी।
लेकिन चीन अपनी ओर से EU को मनाने में फिलहाल के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। बेल्जियम में स्थित चीनी राजदूत झेंग मिंग ने इसी विषय पर प्रेस से बातचीत में ये दावा किया कि दोनों पक्षों के बीच की गलतफहमियों को काफी हद तक दूर किया गया है और मार्केट एक्सेस और sustainable development को लेकर बातचीत भी काफी सकारात्मक है।
पर क्या ये इतना आसान होगा जितना कि चीनी प्रशासन दावा कर रही है? शायद नहीं, क्योंकि यूरोप में अधिकतर देश अभी भी इस बात को भूले नहीं हैं कि चीन किस प्रकार से अपनी औपनिवेशिक मानसिकता को सर्वोपरि रख उनके अधिकारों का हनन करना चाहता है। कुछ ही महीनों पहले जब चीन के विदेश मंत्री वांग यी यूरोप के दौरे पर आए थे, तो उनका लक्ष्य था – यूरोप से संबंध मजबूत करना और यूरोपीय संघ एवं चीनी उच्चाधिकारियों में बातचीत को सुनिश्चित कराना।
हालांकि, परिणाम इसका ठीक उल्टा निकला। प्रशंसा तो बहुत दूर की बात, वांग यी ने जितने भी देशों का दौरा किया, सभी ने उनके स्वागत में विरोध प्रदर्शन निकाले। जब बौखलाहट में वांग यी ने कुछ देशों को धमकाने का प्रयास किया, तो उलटे जर्मनी के विदेश मंत्री हीको मास ने उन्हें डपटते हुए कहा कि EU अपने सदस्य देशों का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगा।
ऐसे में चीन अभी चाहे जितने प्रयास कर ले, परंतु EU से अब संबंध बहाल करना इतना भी आसान नहीं होगा। इसके अलावा 2021 में चीन के प्रति वफादार एंजेला मर्कल भी सत्ता छोड़ रही है, और यदि उनकी जगह बतौर EU अध्यक्ष किसी चीन विरोधी नेता ने ली, तो चीन का सारा किया कराया मिट्टी में मिल जाएगा।