कोरोना के बाद से ही चीन और ऑस्ट्रेलिया के बीच के रिश्तों में भारी तनाव देखने को मिल रहा है। कोरोना की उत्पत्ति की जांच की मांग करने के बाद से ही ऑस्ट्रेलिया चीन के आर्थिक हमलों को झेल रहा है। इस आर्थिक युद्ध के दौरान चीन ने पहले ही ऑस्ट्रेलिया से आयात होने कोयला, गेंहू, चीनी, शराब और लकड़ी पर पाबंदी लगाई हुई है।
इस “अवैध” पाबंदी के खिलाफ ऑस्ट्रेलियाई सरकार अब विश्व व्यापार संगठन में चीन के खिलाफ मोर्चा खोलने जा रही है। बेशक इस व्यापार युद्ध में ऑस्ट्रेलिया को बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ है, लेकिन अब मीडिया रिपोर्ट्स इस बात की ओर इशारा कर रही हैं कि खुद China में भी इस व्यापार युद्ध के कई नकारात्मक प्रभाव दिखना शुरू हो गए हैं।
दरअसल, ऑस्ट्रेलिया के उच्च गुणवत्ता वाले कोयले पर पाबंदी लगाने के बाद चीन के उद्योगों और चीन के एनर्जी सेक्टर पर इसका बड़ा दुष्प्रभाव पड़ा है। The Market Herald की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोयले पर पाबंदी के बाद चीन के हुनान और जेझियांग प्रान्तों में बिजली की भारी कमी हो गयी है।
बिजली की कमी इतनी ज़्यादा है कि अब शहरों में अधिक power cuts देखने को मिल रहे हैं। इन प्रान्तों में सरकार पहले ही सरकारी इमारतों में heaters और elevators के उपयोग पर पाबंदी लगा चुकी है। सर्दी के मौसम में बिना heaters के लोगों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और यही कारण है कि अब बड़ी संख्या में चीनी लोग social मीडिया पर आकर सरकार से बेहतर सुविधा प्रदान करने की अपील कर रहे हैं।
Herald Sun की एक रिपोर्ट के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया के कोयले पर प्रतिबंध के कारण चीन के उद्योगपति भी खासा नाराज़ चल रहे हैं। एक चीनी उद्योगपति के मुताबिक “उन्होंने उच्च गुणवत्ता के कोयले को इस्तेमाल करने के लिए अपनी यूनिट्स को upgrade किया हुआ है, और रूस या इंडोनेशिया से आयात किए गए कम गुणवत्ता वाले कोयले को उसकी जगह इस्तेमाल करना घाटे का सौदा साबित होगा।”
ऑस्ट्रेलिया के कोयले पर पाबंदी लगाने से चीन को क्या नुकसान हुआ है, यह जानने के लिए हमें देखना होगा कि चीन किस हद तक ऑस्ट्रेलियाई कोयले पर निर्भर था। China के थर्मल पावर प्लांट्स में इस्तेमाल होने वाले कुल कोयले का 50 प्रतिशत से ज़्यादा हिस्सा अकेले ऑस्ट्रेलिया से आता था। साथ ही, स्टील उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले करीब 40 प्रतिशत Coking कोयले के लिए भी चीन ऑस्ट्रेलिया पर ही निर्भर था।अब एक झटके में इस कोयले पर पाबंदी लगाने के कारण चीन में उथल-पुथल होना स्वाभाविक सी बात है।
चीन में कोयले की कमी के कारण अब वहाँ कोयले के दाम में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है, जिसके कारण चीन के स्टील उत्पादकों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। वहाँ के स्टील उत्पादकों को जापान और भारत के उत्पादकों से कंपीटीशन मिलता है और इसके कारण अब जापान और भारत के उत्पादक चीन के हिस्से का मुनाफा कमा रहे हैं।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ छेड़ा गया आर्थिक युद्ध ऑस्ट्रेलिया से ज़्यादा चीन पर भारी पड़ रहा है। इससे ड्रैगन की छवि को तो गहरा नुकसान पहुंचा ही है, साथ ही ऑस्ट्रेलिया को भी उसकी चीन पर ज़रूरत से ज़्यादा निर्भरता का अहसास हो गया है।