कंटेन्ट क्रिएटर्स के करण facebook कमाती है अरबों का मुनाफा, बदले में क्रिएटर्स को नहीं मिलता उसका वास्तविक मेहनताना

जिनकी वजह से facebook ने अपनी जेबें भरी हैं, उनकी ही जेबें आज हैं खाली

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आज के दौर की डिजिटल दुनिया में इंटरनेट या सोशल मीडिया से जुड़ी सर्विसेज देने वाली कंपनियों के प्लेटफॉर्म्स का खूब इस्तेमाल होता है। इसके चलते प्रतिवर्ष उनका मुनाफा बढ़ता ही जा रहा है, लेकिन आपत्तिजनक बात ये है कि जितनी तेजी से इन कंपनियों का मुनाफा बढ़ रहा है वो कंपनियां उतना फायदा कंटेंट बनाने वाले लोगों को नहीं पहुंचाती है,जो उनकी धोखाधड़ी वाली बदनियती को दर्शाता है जिसके जरिए ये अपना बिजनेस बड़ा कर रही हैं लेकिन क्रिएटर्स जहां-तहां ही खड़े हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक सोशल मीडिया की सबसे बड़ी कंपनी facebook का राज्स्व पिछले वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान 43 प्रतिशत बढ़कर 1,277.3 करोड़ रुपये हो गया। वहीं, कंपनी का लाभ दोगुना से अधिक होकर 135.7 करोड़ रुपये हो गया है। वित्त वर्ष 2019-20 में facebook इंडिया का शुद्ध लाभ 107 प्रतिशत बढ़कर 135.7 करोड़ रुपये हो गया। कंपनी ने पिछले साल 65.3 करोड़ रुपये का लाभ कमाया था।

बढ़ते बिजनेस में भारत की भागदारी को लेकर फेसबुक के प्रवक्ता ने कहा, “भारत उनके लिए एक महत्वपूर्ण बाजार था, और वे यहां निवेश में इजाफा करने की योजनाएं बना रहे हैं।” इसी तरह तकनीक की दिग्गज कंपनी और खोजी बाबा Google ने भी नवंबर में इसी तरह की जानकारी दी थी और बताया था कि भारत में Google का राजस्व 2019-20 में 34.8 प्रतिशत बढ़कर 5,593.8 करोड़ रुपये हो गया। इसका लाभ 23.9 प्रतिशत बढ़कर 586.2 करोड़ रुपये हो गया।

facebook भारत में किसी भी विज्ञापन सूची के गैर-अनन्य पुनर्विक्रेता के रूप में काम करता है। यह फेसबुक ग्रुप को मार्केटिंग, आईटी/आईटीईएस और अन्य सहायता सर्विसेज भी देता है। इसके अलावा, facebook इंडिया भारत सरकार द्वारा ऑनलाइन विज्ञापन के माध्यम से भारत में उठाए गए धन के 6% के लिए समानता कर का भुगतान करता है। पिछले साल facebook इंडिया ने 369.5 करोड़ रुपए और Google India ने 611.1 करोड़ रुपए का भुगतान किया था।

खास बात ये है कि इन कंपनियों के प्लेटफॉर्म पर भारतीय कंटेंट क्रिएटर्स अपना कंटेंट डालते हैं जिसका फायदा ये कंपनियां उठाती हैं। इन क्रिएटर्स के कंटेंट पर विज्ञापन भी प्रसारित होते हैं, लेकिन इन क्रिएटर्स को जितना लाभ होना चाहिए, उन्हें कंपनियों द्वारा उतना लाभ नहीं होता है। इसके चलते क्रिएटर्स अलग-अलग ब्रांड्स के साथ करार करते हैं लेकिन अनेकों बार इन क्रिएटर्स के साथ धोखाधड़ी भी हो जाती है। कंपनियों द्वारा इन क्रिएटर्स की डिजिटल सुरक्षा को लेकर भी कोई खास इंतजाम नहीं किया गया है। ये कंपनियां भारतीय यूजर्स और कंटेंट क्रिएटर्स के जरिए बड़ी मात्रा में प्रतिवर्ष अपना राजस्व बढ़ा रही हैं लेकिन उसका कुछ प्रतिशत भी मुश्किल से अपने प्लेटफार्म को सफल बनाने वाले लोगों को देती हैं जो कि आपत्तिजनक है।

ऐसे लोगों से हो रही इस धोखाधड़ी पर सरकार द्वारा इन कंपनियों को तलब किए जाने की आवश्यकता है, साथ ही क्रिएटर्स को भी इन कंपनियों के खिलाफ आवाज उठाने की आवश्यकता है क्योंकि ये प्लेटफार्म इन क्रिएटर्स की वजह से ही भारत में लोकप्रिय हैं।

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