कुछ लोगों के व्यवहार को देखकर एक ही कहावत याद आती है, ‘चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए’। कभी मीडिया द्वारा ‘आधुनिक चाणक्य’ की उपाधि से सुशोभित प्रशांत किशोर अब ट्वीटर ट्रोल बनकर घूम रहे हैं। उनके लाख प्रयासों के बावजूद पश्चिम बंगाल में भाजपा के लिए जनसमर्थन कम ही नहीं हो रहा है। अब जनाब एक बौखलाए हुए TMC नेता की भांति सोशल मीडिया पर ट्वीटर ट्रोल बन अन्य ट्वीटर ट्रोल्स को जवाब देते फिर रहे हैं।
प्रशांत किशोर ने हाल ही में ट्वीट किया, “जितना भी मीडिया का एक पार्टी समर्थक सेक्शन दावा ठोक रहा है, उसके उलट सच्चाई तो यह है कि भाजपा को दहाई का आंकड़ा पार करने में भी पसीने छूट जाएंगे। इस ट्वीट को बचा लीजिए, और अगर भाजपा ने इससे जरा भी बेहतर प्रदर्शन किया, तो मैं ये जगह छोड़ दूंगा”।
बंगाल में अब चुनाव चंद महीने शेष है, परंतु प्रशांत किशोर के व्यवहार को देखकर लग रहा है कि वे अभी से भाजपा की संभावित विजय से थर-थर कांप रहे हैं। प्रशांत किशोर एक चर्चित चुनाव संयोजक है, जो भाजपा को 2014 के लोकसभा चुनाव जितवाकर चर्चा में आए थे। तब से उन्होंने कई पार्टियों को अपनी सेवायें दी है, चाहे वो 2015 में JDU के नीतीश कुमार हो, 2017 में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी हो, या फिर 2019 में आंध्र प्रदेश की YSR कांग्रेस ही क्यों न हो। इन्होंने 2020 में अरविन्द केजरिवाल को भी अपनी सेवायें प्रदान की थी।
चूंकि प्रशांत किशोर चुनावी विश्लेषण में निपुण माने जाते हैं, इसीलिए ममता बनर्जी ने 2021 के बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए उन्हें पार्टी की रणनीति बनाने का काम सौंपा है। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि पार्टी में ममता के अलावा यदि किसी की चलती है तो वह सिर्फ प्रशांत किशोर ही हैं। कई बार पार्टी में कथित तौर पर ऐसे निर्णय लिए गये, जिनमें प्रशांत किशोर का बहुत प्रभाव रहा, और पार्टी के बाकी कद्दावर नेताओं को नजरअंदाज कर दिया जाता था। इसी कारण से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में से एक रहे शुभेंदु अधिकारी ने पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया है।
शायद प्रशांत किशोर भूल रहे हैं कि ये वही भाजपा है, जिसने उनके लाख प्रयासों के बावजूद उत्तर प्रदेश में ऐसी विजय प्राप्त की, कि सत्ता वापसी तो छोड़िए, समाजवादी पार्टी 100 सीट भी नहीं प्राप्त कर पाई। ये सच है कि बंगाल में 2016 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को सिर्फ 3 सीटें मिली थी, लेकिन तब से अब के भाजपा में आकाश पाताल का अंतर आ चुका है। अब भाजपा बंगाल में सिर्फ एक पार्टी नहीं, बल्कि राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी बन चुकी है, जिसने 2019 के लोकसभा चुनाव में ये बात सिद्ध करके भी दिखाई है।
राज्य में गुंडई होने के बावजूद भाजपा ने आक्रामक चुनावी अभियान के बल पर 42 में से 18 सीटों पर कब्जा जमाया, और राज्य में प्रमुख विपक्षी पार्टी का दर्जा भी प्राप्त किया। ऐसे में ममता ने भाजपा से मुकाबला करने के लिए प्रशांत किशोर को नियुक्त किया था। परंतु जिस प्रकार से प्रशांत किशोर ने पार्टी में अपना प्रभाव बढ़ाया है, उसने उलटे पार्टी के प्रभावशाली नेताओं को पार्टी से दूर करने का ही काम किया है। अब ऐसे में जिस प्रकार से प्रशांत किशोर ने ट्विटर पर अपनी बौखलाहट दिखाई है, उससे साफ पता चलता है कि कैसे वे लाख प्रयासों के बावजूद भाजपा के प्रभाव को बंगाल में बढ़ने से रोक नहीं पा रहे हैं।