कितना अच्छा होता ना, अगर आप डेल या एचपी का लैपटॉप आप खरीदते, और उसपर मेड इन इंडिया अंकित होता। अब ऐसा ही होगा, क्योंकि केंद्र सरकार ने एक अहम निर्णय में भारतीय निर्माताओं को लैपटॉप निर्माण के लिए प्रोत्साहित करने हेतु PLI स्कीम से जोड़ने का निर्णय लिया है।
FICCI के वार्षिक सम्बोधन में अपना व्याख्यान देते समय इस बात की ओर इशारा करते हुए आईटी टेक्नॉलजी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया, “अब मेरा फोकस इस बात पर होगा कि इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के क्षेत्र में भारत एक अग्रणी निर्माता बने, जो हमारे आम दिनचर्या के लिए बेहद अहम है, चाहे वो लैपटॉप हो, टैबलेट हो या फिर सर्वर ही क्यों न हो।”
ये विचार तो बहुत अच्छा है, लेकिन ये पूरा कैसे होगा? दरअसल, जिस प्रकार से चीन ने दुनिया भर में वुहान वायरस का प्रकोप फैलाया है, और जिस प्रकार से चीन ने इसकी आड़ में भारत की भूमि, विशेषकर पूर्वी लद्दाख में कब्जा जमाने का प्रयास किया था, उससे क्रोधित होकर भारत हर मोर्चे पर चीन को जबरदस्त चोट देना चाहता है, जिसमें से एक आर्थिक मोर्चा भी है। अभी भारत में ऐसी कोई कंपनी नहीं है, जो लैपटॉप का निर्माण करती हो, और अधिकतर लैपटॉप या तो अमेरिका निर्मित होते हैं, या फिर चीन निर्मित होते हैं।
इस निर्भरता को समाप्त करने के लिए भारत ने एक विशाल PLI स्कीम लॉन्च की है, जिसका प्रारम्भिक उद्देश्य था मोबाइल फोन उत्पादन में लगी कंपनी, चाहे स्वदेशी हो या विदेशी, को भारत में निर्माण के लिए प्रोत्साहन देने हेतु PLI यानि उत्पादन आधारित प्रोत्साहन देना। इस दिशा में भारत ने अप्रैल से ही काम शुरू कर दिया है।
लाइवमिन्ट की रिपोर्ट के अनुसार, “16 स्वदेशी और विदेशी फोन निर्माता कंपनियों को केंद्र सरकार की नई स्कीम के अंतर्गत भारत में उत्पादन हेतु सरकार से PLI लेने की स्वीकृति मिल चुकी है। इन कंपनियों में शामिल है – सैमसंग, फॉक्सकॉन एवं विस्ट्रॉन [एप्पल की आई फोन निर्माता कंपनी], भगवती प्रोडक्ट्स [माइक्रोमैक्स के निर्माता] इत्यादि। इनके अलावा राइज़िंग स्टार और पेगाट्रॉन को भी PLI स्कीम के अंतर्गत सरकार से अनुदान मिलेगा।”
इस स्कीम के अंतर्गत सरकार उक्त इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों को 4 से 6 प्रतिशत तक वित्तीय प्रोत्साहन देगी, और यह लाभ इन कंपनियों को पूरे पाँच वर्ष तक मिलेगा। इसका बेस वर्ष 2019-20 होगा, और यह प्रोत्साहन 1 अगस्त से मिलना प्रारंभ हो चुका है।
इससे भारत को क्या लाभ मिलेगा? इससे न सिर्फ 11000 करोड़ रुपये का अहम निवेश भारतीय कंपनियों में होगा बल्कि 3 लाख से अधिक लोगों को विभिन्न क्षेत्रों में प्रत्यक्ष तौर पर रोजगार भी प्राप्त होगा।
अब सोचिए, जब यह स्कीम लैपटॉप के क्षेत्र में भी लॉन्च होगी, तो कितना रोजगार उत्पन्न होगा। ये स्कीम विदेशी कंपनियों के लिए कई मायनों में लाभकारी होगी, क्योंकि चीन के मुकाबले भारत में उत्पादन की लागत काफी कम होगी। उदाहरण के लिए चीन में निर्मित एक डेल लैपटॉप का मूल्य अगर 40000 रुपये है, तो वही लैपटॉप भारत में निर्मित होने पर महज 28000 रुपये में मिल सकता है, और यदि बेहतर वातावरण और निवेश हो, तो यह कीमत 20000 रुपये भी हो सकती है। है न लाभकारी विचार?
ऐसे में केंद्र सरकार ने अपनी बहुप्रतिष्ठित PLI स्कीम को अन्य गैजेट्स के क्षेत्र में लॉन्च करने के निर्णय से एक बेहतरीन दांव खेला है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए आगे चलकर बहुत लाभकारी सिद्ध होगा।