जापान की ओर से चीन के नवनियुक्त राजदूत हिदीयो तारूमी ने चीन को दिन में तारे दिखा दिए हैं। मैन्डरिन [चीनी भाषा] में निपुण तारूमी ने जिस प्रकार से चीन की कलई खोली, उससे ग्लोबल टाइम्स इतना भड़क गया कि उसने अपने लेख के जरिए भड़ास निकाली।
साथ ही तारूमी ने चीन को अपनी छवि सुधारने की सलाह भी दी लेकिन इस सलाह से मानो चीनी प्रशासन को जबरदस्त मिर्ची लगी, जो उनके मीडिया के विचारों में भी स्पष्ट दिखाई दिया। ग्लोबल टाइम्स ने न केवल इस सलाह को ठेंगा दिखाया, बल्कि अपने आप को वुहान वायरस की लड़ाई के इकलौते मसीहा के रूप में दिखाने की भी नाकाम कोशिश की। इस दर्जे की चाटुकारी की तुलना तो केवल काँग्रेस कार्यकर्ताओं से की जाती है। लेकिन उनकी भड़ास से स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि जापानी राजदूत की सलाह ने उन्हे किस प्रकार से बौखलाने पर विवश किया है।
हिदीयो तारूमी ने ताइवान और हाँग काँग को भी अपनी सेवाएँ दी है। ऐसे में वह चीन के स्वभाव और उनके तौर तरीकों से भली भांति परिचित हैं। ऐसे में वुहान वायरस की महामारी के पीछे चीन को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने चीन को उन बातों पर गौर करने की सलाह दी है, जिसके कारण आज विश्व की आँखों में चीन के प्रति विश्वसनीयता रसातल में है। हाल ही में कराए गए एक सर्वे के अनुसार केवल 10 प्रतिशत जापानी ही चीन के प्रति कोई सकारात्मक मत रखते हैं।
अब जापानी अपनी सोच में गलत भी नहीं है। आखिर चीन द्वारा उत्पन्न वायरस के कारण 3155 जापानी नागरिक की जान जो गई है। इसके अलावा जापान के बहुप्रतिष्ठित टोक्यो ओलंपिक्स को भी इस महामारी के कारण 1 वर्ष के लिए स्थगित करना पद है, जिसके कारण जापान को करीब 6 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है। इसीलिए राजदूत तारूमी ने चीन को सलाह दी है कि दूसरों पर उँगलियाँ उठाने से पहले चीन खुद अपने गिरेबान में झांक ले, क्योंकि इसके कारण उसके कई देशों से संबंध शायद हमेशा के लिए खराब हो चुके हैं।
इन दिनों जापान ने चीन के विरुद्ध काफी आक्रामक रुख अपनाया हुआ है, और किसी भी स्थिति में वह चीन की गीदड़ भभकियों में आने को तैयार है। चीन ने अनेक बार प्रयास किया कि जापान शी जिनपिंग के दौरे को राज़ी हो जाए, पर जापान का रुख स्पष्ट है – पहले चीन सेंकाकु द्वीप के आसपास गुंडागर्दी करना बंद करे, फिर सोचेंगे। अब तो जापानी राजदूत ने स्पष्ट कर दिया कि जब तक चीन अपने आप को नहीं सुधारता, जापान उसके प्रति कतई नरम नहीं होगा, और यही बात पचाने में चीनी प्रशासन को मुश्किल हो रही है।