जब इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने थे, तब लोगों को लगा था कि पाकिस्तान की समस्याओं का निवारण होगा, नया पाकिस्तान एक नई राह पर बढ़ेगा। लेकिन इमरान खान की वर्तमान गतिविधियों को देखते हुए ऐसा लगता है कि उनके विरुद्ध विपक्षियों का विद्रोह पूर्णतया गलत नहीं है।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इस समय रसातल में है, और लोगों को खाने के लाले पड़े हैं। इसी समय इमरान खान ने समा टीवी को एक साक्षात्कार दिया, जिसमें जब ये मुद्दा उठा कि नई सरकार इस संकट को दूर करने के लिए क्या कर रही है, तो उन्होंने उत्तर दिया, “समस्या का हाल यह है कि अपने मुल्क की दौलत बढ़ाएं, धन का उत्पादन करें।”
इस पर जब पत्रकार ने पूछा कि जब तक ऐसा नहीं होता, तो क्या लोग खुदकुशी ही करते रहें? इमरान खान ने फिर एक बेशकीमती उत्तर दिया, “और कर भी क्या सकते हैं?”
Should people then commit suicide? "What else can be done."
Yeh hai apka Naya Pakistan. pic.twitter.com/j3T6Y4ISSA
— Naila Inayat (@nailainayat) December 19, 2020
सोशल मीडिया पर कभी कभार ये चर्चा उठती थी की इमरान खान और कुछ नहीं, बल्कि अरविंद केजरीवाल के पाकिस्तानी संस्करण है, लेकिन आज जनाब ने ये बात पूर्णतया सिद्ध भी कर दी। एक गंभीर समस्या का ऐसा बेतुका जवाब देना स्पष्ट करता है कि वे पाकिस्तान की समस्याओं से निपटने के लिए वास्तव में कितने गंभीर है।
हालांकि यह कोई नई बात नहीं है इमरान खान के लिए। जब वुहान वायरस पूरी दुनिया में अपने पांव पसार रहा था, तब इमरान खान ने अपने देश में कोई भी लॉकडाउन लगाने से मना किया था क्योंकि उनके अनुसार लोग भूख से मर जाएंगे। लेकिन यहां स्थिति में दूर दूर तक कोई सुधार नहीं हुआ है।
इतना ही नहीं, इस दुर्गति के लिए काफी हद तक स्वयं इमरान सरकार की नीतियां भी ज़िम्मेदार है। भारत के अंधविरोध में इमरान सरकार ने उन देशों को भी अपना दुश्मन बनाना शुरू कर दिया जो कल तक पाकिस्तान के सहयोगी थे। उदाहरण के लिए इमरान खान का अकडू स्वभाव सऊदी अरब के हुक्मरानों को नागवार गुजरा, और धीरे धीरे कर उन्होंने पाकिस्तान से दूरी बनानी शुरू कर दी।
इतना ही नहीं, राजकुमार मोहम्मद बिन सलमान के नेतृत्व में सऊदी प्रशासन ने पाकिस्तान को बकाए कर्ज का अधिकांश हिस्सा भी वापिस देने पर विवश किया ।
इसके अलावा पाकिस्तान सरकार ने ग्वादर शहर के बड़े हिस्से और ग्वादर पोर्ट के चारों ओर बाड़ लगाने का फैसला लिया है। माना जा रहा है कि इस फैसले के पीछे चीनी सरकार का दबाव हो सकता है, और Dawn के लिए लिखते हुए पाकिस्तानी पत्रकार मुहम्मद आमिर राणा का मत है कि सुरक्षा चिंताओं की वजह से बाड़ लगाना समस्या से निपटने का सबसे आखिरी तरीका माना जाता है। इससे स्थानीय लोगों में ड़र और खौफ़ का माहौल बढ़ेगा।
इसके साथ ही पाकिस्तानी विपक्ष भी इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। सांसद असलम भूटानी के मुताबिक “ग्वादर पोर्ट को जहां खुशहाली और सकारात्मकता के प्रतीक के रूप में विकसित किया जाना था, वहीं अब इसके माध्यम से वहाँ के लोगों के मन में ड़र भरा जा रहा है। एक पोर्ट को सुरक्षा ज़ोन बना दिया गया है।”
ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि इमरान खान ने अपनी निष्ठुरता को जगजाहिर कर अपने है पैर पर कुल्हाड़ी मारी है। ये आगे जाकर उनके और पाकिस्तान के लिए कितना हानिकारक होगा, उसका उन्हें अंदाज़ा भी नहीं है ।