पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव का प्रभाव दिखने लगा है, लेकिन इन चुनावों में टीएमसी नेता और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मुश्किलें सबसे ज्यादा बढ़ रही हैं। उनके ही कुनबे के कई नेता उनसे बगावत कर रहे हैं। कई मंत्रियों के बाद अब आसनसोल से विधायक जितेंद्र तिवारी ने भी ममता के खिलाफ बगावत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी योजनाओं की तारीफ कर दी है। यह सारे किस्से इस बात की ओर इशारा करते हैं कि बीजेपी का बंगाल में प्रभुत्व बढ़ेगा जबकि इस बार ममता का किला ढह जाएगा।
ममता बनर्जी की बढ़ रही मुसीबतों के बीच नई बढ़ोत्तरी आसनसोल के विधायक और नगर निगम के चेयरपर्सन जितेंद्र तिवारी ने की है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाओं की तारीफ भी की है। उन्होंने कहा, “हमारे शहर (आसनसोल) को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत केंद्र सरकार द्वारा चुना गया था। लेकिन राजनीतिक कारणों से राज्य सरकार के द्वारा हमें इसकी सुविधा का लाभ लेने से वंचित कर दिया गया।” साफ है कि जितेंद्र अपने वक्तव्य में ममता बनर्जी की नीतियों की आलोचना कर रहे हैं जो कि ममता के लिए चुनावी समर से पहले एक नई चुनौती ही है।
ममता बनर्जी के लिए ये कोई पहला मौका नहीं है जब किसी नेता ने उनसे बगावत करते हुए बीजेपी का दामन थाम लिया है। पिछले 5 सालों से टीएमसी में बगावत का सिलसिला जारी है, और अब ये तेजी से बढ़ ही रहा है। हाल ही टीएमसी नेता शुभेंदु अधिकारी का ममता से नाराज होकर पार्टी से अलग होना, ममता के लिए मुश्किल भरा है। शुभेंदु के अलावा राजीव बनर्जी समेत कई ऐसे नेता हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करने के साथ ही ममता बनर्जी की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर चुके हैं।
ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी में हो रही बगावत का एक बड़ा कारण उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी और टीएमसी के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी हैं जो पार्टी के नेताओं के सभी कामों में दखल दे रहे हैं। पार्टी की सभी रणनीतियों में जरूरत से ज्यादा दखल देना पार्टी के अन्य उच्च स्तरीय नेताओं को रास नहीं आ रहा है जिसके चलते उनका मोह पार्टी से भंग हो रहा है और यह ममता के लिए चुनाव से पहले हार जैसी स्थिति है।
ममता गुट के नेताओं का इस तरह उनसे नाराज होकर निकलना बीजेपी के लिए फायदे का संकेत है। एक तरफ बीजेपी सोशल इंजीनियरिंग करके राज्य में अपनी सत्ता स्थापित करने की कोशिश में है, तो दूसरी ओर ममता जैसी मजबूत दावेदार अब अपने पार्टी के बागी नेताओं के कारण कमजोर हो चली है। ममता की कार्यशैली पर अब केवल उनके नेता ही नहीं जनता भी सवाल उठाने लगी है।
राजनीतिक साजिश के तहत होने वाली हत्याओं, लगातार लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों में जांच और राज्य में बढ़ता सामाजिक असंतुलन ममता के लिए मुसीबतें लेकर आया है। इसी में जितेंद्र यादव द्वारा प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करना ममता पर दोहरी मार दे गया है क्योंकि ममता के विधायक और मंत्री भी यह समझ चुके हैं कि अब उनकी सत्ता जाने वाली है।