दुनिया में आज अगर सबसे लाचार देशों की कोई सूची बनाई जाती, तो उसमें पाकिस्तान का नाम सबसे ऊपर लिखा जाता। पाकिस्तान एक तरफ़ वर्ष 2022 तक पहले पाकिस्तानी नागरिक को स्पेस में पहुंचाने की बात कर रहा है, तो वहीं दूसरी ओर धरती पर ही उसे कोई पानी भी नहीं पूछ रहा। उदाहरण के लिए अरब देश पाकिस्तान का हुक्का पानी बंद कर चुके हैं, कश्मीर और फिलिस्तीन जैसे मुद्दों पर अब तुर्की भी पाकिस्तान से कन्नी काटता हुआ दिखाई दे रहा है। अब रही सही कसर अमेरिका पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगाकर पूरी कर सकता है। यूं तो ट्रम्प के कार्यकाल शुरू होने के साथ ही अमेरिका-पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव का दौर शुरू हो गया था, लेकिन अब दोनों देशों के बीच अमेरिकी पत्रकार Daniel Pearl की हत्या से जुड़े एक केस को लेकर नया तनाव पैदा हो गया है।
दरअसल, वर्ष 2002 में Wall Street Journal के अमेरिकी पत्रकार Daniel Pearl पाकिस्तानी ISI और अल-कायदा के बीच सम्बन्धों का पता लगाने के लिए पाकिस्तान में Ground reporting कर रहे थे और तब उन्हें अगवा करके मार दिया गया था। Daniel Pearl की हत्या के सभी चार दोषी पिछले 18 सालों से जेल में ही बंद हैं। हालांकि, पिछले गुरुवार को सिंध कोर्ट ने सभी दोषियों को जेल से छोड़ने का हुक्म सुना दिया, जिसपर अमेरिका की ओर से कड़ी आपत्ति जताई गयी। अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेन्ट ने एक बयान जारी कर कहा “हम सिंध हाई कोर्ट के फैसले से बेहद चिंतित हुए हैं। हमें यकीन दिलाया गया है कि Daniel Pearl के हत्यारे अभी जेल से बाहर नहीं आएंगे। हम Daniel Pearl जैसे पत्रकारों के साहस की प्रशंसा करते हैं और दुख की घड़ी में Pearl के परिवार के साथ खड़े हैं।”
(1/3)We are deeply concerned by the reports of the December 24 ruling of Sindh High Court to release multiple terrorists responsible for the murder of Daniel Pearl. We have been assured that the accused have not been released at this time.
— State_SCA (@State_SCA) December 24, 2020
(2/3)We understand that this case is ongoing and will be following closely. We continue to stand with the Pearl family through this extremely difficult process.
— State_SCA (@State_SCA) December 24, 2020
(3/3)We continue to honor Daniel Pearl’s legacy as a courageous journalist.
— State_SCA (@State_SCA) December 24, 2020
अमेरिका का इस धमकी का असर भी हुआ अब पाकिस्तानी सरकार ने कोर्ट के आदेश के बावजूद दोषियों को छोड़ने से इंकार कर दिया है और इस मामले में कोर्ट में एक अन्य अपील दायर करने की बात कही है। इस मामले पर त्वरित कार्रवाई कर बेशक पाकिस्तान अमेरिकी सरकार के गुस्से से बचना चाहता हो, लेकिन अब अमेरिका अमेरिकी चुनावों में दखलंदाज़ी को लेकर भी पाकिस्तानी सरकार के screw tight कर सकता है।
सूत्रों की माने तो अब White House को यह पूरा यकीन हो गया है कि चीन और रूस के साथ ही पाकिस्तानी ISI ने भी अमेरिकी चुनावों में हस्तक्षेप करने को लेकर अपनी सक्रिय भूमिका निभाई थी। रिपोर्ट्स की माने तो अमेरिकी राज्य Nevada के state secretary ने पाकिस्तान स्थित Kavtech कंपनी को वोटर्स से जुड़ी कुछ अहम जानकारी email की थी। बता दें कि Kavtech कंपनी वकास बट्ट नामक एक व्यक्ति की कंपनी है जिसके पाकिस्तानी ISI के साथ करीबी संबंध माने जाते हैं। अब चूंकि यह मामला White House के संज्ञान में आ चुका है, ऐसे में इस मामले पर भी अमेरिकी सरकार पाकिस्तान पर अपना प्रतिबंध के रूप में निकाल सकती है।
पाकिस्तान और अमेरिका में यह तनाव ऐसे वक्त में देखने को मिल रहा है, जब पाकिस्तान को पहले ही अरब देशो और यहाँ तक कि तुर्की ने भी नकार दिया है। सऊदी अरब जहां पाकिस्तान से पहले ही अपने 3 अरब डॉलर का कर्ज़ वापस मांग चुका है, तो वहीं UAE अपने देश में पाकिस्तानी नागरिकों के प्रवेश पर ही प्रतिबंध लगा चुका है। दूसरी ओर फिलिस्तीन और कश्मीर जैसे मुद्दों पर कूटनीतिक समर्थन हासिल करने के लिए पाकिस्तान ने जिस तुर्की का हाथ थामा था, उसने भी अब पाकिस्तान का हाथ झटक दिया है। तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन हाल ही में इजरायल के साथ अपने सम्बन्धों को दुरुस्त करने की बात कह चुके हैं और करीब दो सालों के बाद तुर्की इजरायल में अपना राजदूत भी तैनात कर चुका है। इस पूरे खेल में अगर किसी देश को सबसे बड़ा झटका लगा है तो वह पाकिस्तान ही है। अब इस लाचार देश पर अमेरिकी प्रतिबंधों का खतरा भी बढ़ता ही जा रहा है। अमेरिका को खुश करने के लिए पाकिस्तान आनन-फानन में कुछ कदम अवश्य ही उठा रहा हो, लेकिन अब बात उसके काबू से बाहर हो चुकी है। इस अंधकार में उसे चीन के अलावा अब कोई और दिखाई नहीं दे रहा है। जी हाँ, वही चीन जो पाकिस्तान पर पूरे नियंत्रण का बस एक बढ़िया मौका तलाश रहा है।