अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा अभी व्हाइट हाउस की कमान संभालनी बाकी है, परंतु इसका नकारात्मक असर अभी से ही इंडो पेसिफिक क्षेत्र में दिखने लगा है। बाइडन के सत्ता में आने से अब रूस और चीन के बीच निकटता बढ़ती हुई दिखाई दे रही है, जो भारत और इंडो पेसिफिक क्षेत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है।
चीन और रूस में बढ़ती निकटता के संकेत तभी दिखने लगे, जब हाल ही में रूसी विदेश मंत्री Sergey Lavrov (सर्गेई लावरोव) ने अपने एक सम्बोधन में भारत के अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के साथ संबंधों पर प्रश्न उठाया। लावरोव के अनुसार, “इस समय पश्चिमी ताकतें हमारे भारत के साथ मजबूत रिश्तों को नीचा दिखाने के प्रयास में उसे अपना मोहरा बनाने का प्रयास कर रहा है। ये अमेरिका का उद्देश्य है कि भारत सैन्य और तकनीकी क्षेत्र में रूस के साथ कम से कम गठबंधन करे”।
उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका एक बार फिर से एकपक्षीय विश्व व्यवस्था स्थापित करना चाहता है, परंतु रूस और चीन के रहते यह संभव नहीं होगा। ऐसे में आप स्पष्ट समझ सकते हैं कि रूस का वर्तमान बयान कितना चिंताजनक हो सकता है।
इस पर भारत के विदेश मंत्रालय ने अपनी ओर से बयान जारी करते हुए कहा, “भारत ने केवल अपने राष्ट्र हित को सर्वोपरि रखते हुए एक स्वतंत्र विदेश नीति का निर्धारण किया है। हर देश के साथ भारत के रिश्ते अलग नीतियों से तय होते हैं। हम आशा करते हैं कि हमारी इस भावना को अन्य देश समझेंगे भी और उसका सम्मान भी करेंगे”।
इसके बावजूद रूस QUAD के प्रति अपनी शंका जताता रहता है। अजीब बात तो यह है कि मॉस्को को नई दिल्ली का इंडो पेसिफिक को लेकर रवैया पसंद है, परंतु बाइडन के आने से अब वह चीन के प्रति अधिक आकर्षित हो रहा है। इसी बीच अभी भारत और रूस ने अपनी द्विपक्षीय वार्ता को वर्षों में पहली बार स्थगित कराया है।
यह जानते हुए भी चीन रूस को कितना नुकसान पहुंचा सकता है, अब रूस ने एक बार फिर उससे नजदीकियां बढ़ानी शुरू कर दी है। अभी मंगलवार को द गार्जियन ने रिपोर्ट किया कि कैसे चीन और रूस जापान सागर और पूर्वी चीन सागर पर अपने फाइटर जेट्स उड़ाकर शक्ति प्रदर्शन करना चाह रहा था। इस घटना को लेकर चीन का मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स खुशी से फूला नहीं समा रहा था। जब तक ट्रम्प का शासन था, रूस के राष्ट्रपति पुतिन को पता था कि अमेरिका का मुख्य दुश्मन चीन है। परंतु समय बदलते ही पुतिन भी अब पलटी मारने में जुट गये हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि बाइडन प्रशासन के लिए रूस कभी भी मित्र नहीं बन सकता है। रूस के प्रति बाइडन का मोह ही है, जिसके कारण अब व्लादिमिर पुतिन चीन की ओर अधिक निकटता बढ़ाने की दिशा में बढ़ रहे हैं, जो न सिर्फ भारत और इंडो पेसिफिक क्षेत्र, बल्कि स्वयं रूस की सुरक्षा के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है।