Quad में भागीदारी को लेकर रूस ने भारत को चिंता जताई थी, अब भारत ने रूस को कड़ा संदेश भेजा है

क्या रूस का चीन प्रेम भारत-रूस के रिश्तों पर भारी पड़ेगा?

रूस

(PC: Aaj Tak)

इन दिनों रूस और भारत के बीच एक अजीब सी तनातनी उमड़ रही है। आम तौर पर एक दूसरे का साथ देने वाले ये देश अब एक दूसरे के विरुद्ध दिखाई दे रहे हैं, वो भी Indo-Pacific और Quad संगठन के मुद्दे पर! हाल ही में रूस ने भारत द्वारा इंडो पेसिफिक क्षेत्र में अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ अपने रिश्ते बढ़ाने पर चिंता जताई थी। अब इसके जवाब में भारत ने भी इस अजीबोगरीब बयान को लेकर रूस को कड़ा संदेश भेजा है।

अब कुछ दिन पहले रूस के “अंतर्राष्ट्रीय संबंध परिषद” को संबोधित करते हुए रूस के विदेश मंत्री सेरजेई लावरोव ने भारत के इंडो पेसिफिक क्षेत्र में बढ़ती गतिविधियों के प्रति अपनी टिप्पणी में कहा था, “पश्चिमी ताकतें भारत के साथ हमारे मजबूत रिश्तों को नीच दिखाने के प्रयास में उसे अपना मोहरा बनाने का प्रयास कर रही हैं। ये अमेरिका का उद्देश्य कि भारत सैन्य और तकनीकी क्षेत्र में रूस के साथ कम से कम गठबंधन करे।”

लावरोव ने दबी जुबान में भारत को अमेरिका द्वारा लगाए जाने वाले संभावित प्रतिबंध की ओर भी इशारा किया, जो भारत द्वारा Russia से एस 400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम के खरीदने पर लग सकता है। हालांकि, लगता है कि भारत को पश्चिमी देशों का “Object” बताने के मुद्दे पर भारत रूस से खफ़ा हो गया है।  भारत ने रूस के इस बड़बोलेपन पर चुप्पी नहीं साधी। यूं तो आधिकारिक तौर पर भारत ने कोई बयान नहीं दिया है, परंतु हाल ही में भारत और रूस के बीच एक अहम द्विपक्षीय वार्ता को स्थगित कर दिया गया है।

यह निर्णय इसलिए भी काफी अहम है क्योंकि ऐसा दो दशकों में पहली बार हुआ है, जब भारत और Russia के बीच प्रस्तावित कोई द्विपक्षीय सम्मेलन स्थगित हुआ हो। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार यह वार्ता अगले वर्ष की शुरुआत में हो सकती है, परंतु ऐसा माना जा रहा है कि भारत रूस के बीच की वार्ता स्थगित होने के पीछे का एक प्रमुख कारण रूस द्वारा Indo-Pacific और Quad को लेकर की जा रही बेतुकी बयानबाज़ी है।

अब इसका अर्थ क्या है? इस वार्ता को स्थगित कर एक प्रकार से भारत यह संदेश देना चाहता है कि भले ही Russia एक अहम साझेदार है, परंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि वह भारत की सुरक्षा नीति को प्रभावित कर सकता है। भारत ने रूस को अपनी Indo-Pacific रणनीति में सक्रिय हिस्सेदारी निभाने के लिए भी आमंत्रित किया था। हालांकि, रूस फ़िलहाल Indo-Pacific में शामिल होने से बचता दिखाई दे रहा है।

इसके अलावा जिस प्रकार से Russia के विदेश मंत्री लावरोव ने इस संबंध पर आपत्ति जताई, उसमें कहीं न कहीं रूस की चीन से बढ़ती निकटता के भी संकेत दिख रहे हैं। चूंकि बाइडन प्रशासन ट्रम्प की भांति रूस के प्रति नरम रुख नहीं अपनाना चाहेगा, इसीलिए मजबूरी में ही सही, परंतु रूस को चीन के प्रति थोड़ा नरम रुख दिखाना पड़ रहा है। Russia यह जानता है कि चीन उसका दोस्त या साथी बिलकुल नहीं है और बाद में चलकर चीन के साथ उसकी दोस्ती उसपर भारी पड़ सकती है। ऐसे में भारत ने रूस को एक साफ संदेश भेजा है कि वह अगर Indo-Pacific और Quad जैसे मुद्दों पर अपनी बयानबाजी करने से बचता है तो भविष्य में रूस-भारत के संबंध ऐसे ही मजबूत बने रहेंगे। एक बड़ा संदेश यह भी कि Russia भारत के कंधे पर बंदूक रखकर अमेरिका पर निशाना नहीं साध सकता।

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