कांग्रेस पार्टी के स्तंभ अहमद पटेल के जाने के बाद एक रिक्तता सी आ गई है, जिसके चलते कांग्रेस ने पवन बंसल को पार्टी का अंतरिम कोषाध्यक्ष बनाया था लेकिन अब पार्टी अपने पूर्णकालिक कोषाध्यक्ष के पद के लिए अशोक गहलोत को केंद्र में बुला सकती है। इसकी वजह पार्टी के पास फंड में होने वाली कमी है। अशोक गहलोत का केंद्र में जाना गहलोत के प्रतिद्वंदी सचिन पायलट के लिए किसी खुशखबरी से कम नहीं होगा क्योंकि गहलोत के जाने के तुरंत बाद पायलट की सीएम बनने की अभिलाषा पूरी हो जाएगी।
मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक कांग्रेस पार्टी फंड की भारी कमी से जूझ रही है और कुछ दिनों पहले ही उनके कोषाध्यक्ष अहमद पटेल का निधन हो चुका है। ऐसे में पार्टी ने पवन बंसल पर विश्वास जताते हुए उन्हें अंतरिम कोषाध्यक्ष तो बनाया था, लेकिन अब इस पद को स्थायी रूप से भरने के लिए पार्टी अपने कद्दावर चेहरे अशोक गहलोत को केंद्र में ला सकती है। खबरों के मुताबिक अशोक गहलोत पार्टी में सोनिया गांधी के सबसे विश्वासपात्र नेताओं में शामिल है। इसीलिए पार्टी के अहम पटेल की जिम्मेदारी गहलोत को थमा सकती हैं।
कांग्रेस चंदे की कमी से जूझ रही है और अगले साल तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं जिसके लिए भारी मात्रा में फंड की आवश्यकता है। ऐसे में फंड जुटाने के लिए एक विश्वासपात्र नेता का होना बेहद आवश्यक है, जो जमीनी स्तर पर इस काम को संभाल सके। इसीलिए पार्टी में कोषाध्यक्ष की तलाश की जा रही है जिसमें सबसे ऊपर अशोक गहलोत का नाम है। अशोक गहलोत कांग्रेस की पुरानी पौध के नेताओं में आते हैं, जिन्होंने संगठन से लेकर सत्ता तक का काम बखूबी संभाला है। यही नहीं वह युवा वर्ग में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के लिए भी संतोषजनक काम कर चुके हैं। इसीलिए वे सबके प्रिय भी माने जाते हैं।
अशोक गहलोत फिलहाल राजस्थान के मुख्यमंत्री हैं, अशोक गहलोत ने सचिन पायलट की नाराजगी पर राजस्थान में चल रही सत्ता की उठा-पटक थामने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उस दौरान सचिन पायलट अशोक गहलोत काफी खफा भी हो गए, और उन्हें अपनी उपमुख्यमंत्री पद की कुर्सी भी गंवानी पड़ी थी। लेकिन अब अशोक गहलोत के केंद्र में जाने के बाद सचिन पायलट के पास अच्छा मौका होगा कि वह राजस्थान के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी संभालें, और ये वही पद है जिसे पाने के लिए पायलट ने अपनी पार्टी के नेताओं से बगावत तक कर दी थी।
सचिन पायलट को इसी बगावत के चक्कर में अपनी उप मुख्यमंत्री पद की कुर्सी और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष का पद भी गंवाना पड़ा था। साथ ही पार्टी में उनका कद भी घट गया था लेकिन अब जब गहलोत केंद्र में चले जाएंगे तो राजस्थान में पायलट का एकछत्र राज होगा।