जापान के प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा ने दोबारा एक ऐसा कदम उठाया है, जिसने बीजिंग में बैठी चीनी सरकार की चिंता बढ़ा दी है। दरअसल, हाल ही में जापानी सरकार ने 700 बिलियन डॉलर का भारी-भरकम stimulus package घोषित किया है, जिसके तहत जापानी सरकार ना सिर्फ अपने यहाँ काम कर रही कंपनियों को बड़े पैमाने पर आर्थिक राहत देगी, बल्कि वह विदेशी कंपनियों को जापान में उद्योग स्थापित करने के लिए प्रेरित भी करेगी। ऐसे में चीन और Hong-Kong छोड़कर जा रही कंपनियों को जापान में अपना व्यापार स्थापित करने का बढ़िया अवसर मिल गया है। अगर जापानी सरकार की यह कोशिश सफल रहती है तो आने वाले समय में हम बड़ी संख्या में विदेशी कंपनियों को चीन और Hong-Kong छोड़कर जापान स्थापित होते देख सकते हैं।
इस stimulus package की घोषणा करते हुए सुगा ने कहा “हम रोज़गार प्रदान करने हेतु उद्योगों को अपना भरपूर आर्थिक सहयोग दे रहे हैं। हम देश की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए और बेहतर व्यापारिक वातावरण बनाने के लिए यह कदम उठा रहे हैं।” 700 बिलियन कोई छोटी-मोटी रकम नहीं है और जापान इस रकम का सबसे बड़ा हिस्सा अपने देश में आर्थिक सुधार लागू करने और अपनी आर्थिक नीतियों में बदलाव करने के लिए खर्च करेगा। साथ ही साथ, जापान चीन और Hong-Kong छोड़कर दूसरे देशों में स्थापित हो रही कंपनियों को लुभाने के लिए उन्हें Incentives देना जारी रखेगा।
बता दें कि इससे पहले जुलाई महीने में जापान ने जापानी कंपनियों को चीन छोड़कर जापान या अन्य देशों में स्थापित होने के लिए 2.2 बिलियन डॉलर के economic package की घोषणा की थी। अब इस नए Stimulus Package के तहत भी जापानी सरकार अपनी उस योजना को जारी रखने का ऐलान कर चुकी है। जापान ने उस कदम ने चीन को बड़ा नुकसान पहुंचाया था। अमेरिका-चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर और भारत-चीन के बीच जारी विवाद के बाद से ही बड़ी संख्या में विदेशी कंपनियों ने चीन को छोड़कर अन्य जगहों पर स्थापित होने का फैसला लेना शुरू कर दिया था। हालांकि, जापानी सरकार के प्रस्ताव के बाद तो बड़ी संख्या में जापानी कंपनियों ने चीन को त्यागकर दक्षिण-पूर्व एशिया या जापान में स्थापित होने का निश्चय किया था।
ऐसे में सुगा ने अब स्पष्ट कर दिया है कि ना सिर्फ सुरक्षा नीति में बल्कि आर्थिक नीतियों के मामले में भी वे पूर्व प्रधानमंत्री शिंजों आबे के पदचिह्नों पर ही चलेंगे। Indo-Pacific में जापान सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति है, और ऐसे में अगर जापान चीन के खिलाफ़ कोई भी बड़ा कदम उठाता है, तो वह चीन की अर्थव्यवस्था की रीड़ की हड्डी तोड़ने में अहम भूमिका निभा सकता है। वर्ष 1990 से पहले तक यही जापान अमेरिका के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हुआ करता था। 1990 के बाद चीन के उदय ने बेशक जापान को बौना साबित कर दिया हो, लेकिन चीन के उदय में खुद जापान की एक सक्रिय भूमिका रही है।
जापान अब दोबारा वैश्विक अर्थव्यवस्था का केंद्र बनना चाहता है। ऐसे में अब वह ASEAN, अमेरिका और भारत जैसी बाकी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के साथ मिलकर चीन की आर्थिक घेराबंदी की तैयारी शुरू कर चुका है। चीन के अंदर विस्फोट के साथ बर्बादी लाने वाली मिसाइल्स के साथ-साथ सुगा प्रशासन अब चीन के खिलाफ अपनी आर्थिक मिसाइल्स भी तैनात कर चुका है, और इसका चीन की इकॉनमी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ना तय है।