पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी टीएमसी की स्थिति दिन-ब-दिन बुरी होती जा रही है। ममता की कार्यशैली को देखकर उनके ही सिपहसलार अब पार्टी छोड़ने से नहीं हिचक रहे हैं। ममता के दाएं हाथ माने जाने वाले शुभेंदु अधिकारी ने तो मंत्री पद के बाद अब विधायक और टीएमसी की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है, वहीं शुभेंदु के जाने के बाद अब पार्टी में उथल-पुथल की स्थिति आ गई है जिसमें लगातार नेता पार्टी छोड़ रहे हैं, और ममता की मुश्किल ये है कि ममता कुछ भी नहीं कर पा रही है।
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने अपने शासनकाल में खूब तांडव मचाया है, लेकिन जैसे-जैसे हवा का रुख बीजेपी की तरफ जा रहा है, वैसे-वैसे ममता की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं। मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद उनके सबसे करीबी नेता शुभेंदु अधिकारी ने अब पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है। करीबी शुभेंदु के जाने के बाद ममता की पार्टी में भगदड़ मच गई है। उनके विधायक जितेंद्र तिवारी और साउथ बंगाल स्टेट ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (SBSTC) के अध्यक्ष दीप्तांशु चौधरी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अपना इस्तीफा सौंप दिया है।
इतना ही नहीं ममता बनर्जी की पार्टी में इस वक्त बगावत की एक हवा चल पड़ी है। टीएमसी के लोक सभा सांसद सुनील मंडल भी ममता बनर्जी की कार्यशैली से परेशान हैं। ऐसे में चर्चा यह भी है कि सुनील मंडल भी जल्द ही ममता की पार्टी टीएमसी का दामन छोड़ सकते हैं और ये टीएमसी के लिए एक बड़ा झटका होगा कि एक लोकसभा स्तर तक का नेता अब उनकी पार्टी से दूरी बना रहा है। सुनील मंडल की नाराजगी प्रशांत किशोर द्वारा पार्टी में जरूरत से ज्यादा दखल बताया जा रहा है।
शुभेंदु अधिकारी को लेकर कहा जाता है कि उनका कद पार्टी में नंबर दो का था, इसलिए उनका अपने इलाके में एक विशेष प्रभाव था, साथ ही बंगाल की पूरी राजनीतिक बिसात पर भी वो अपनी पैनी नजर रखते थे। बीजेपी का उनको लेकर नर्म रुख है। इसीलिए शुभेंदु के बीजेपी में शामिल होने की खबरें सामने आ ही रही हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के 19 दिसंबर को बंगाल दौरे के दौरान शुभेंदु बीजेपी में शामिल होंगे और उनके साथ करीब 60 कद्दावर टीएमसी नेता बीजेपी का रुख कर सकते हैं।
बंगाल में चल रही बीजेपी की हवा को देखकर टीएमसी के अब सभी नेता समझ गए हैं कि ममता की सरकार जाने वाली है और इसीलिए वह अपनी राजनीतिक पकड़ को बिना कोई बीजेपी में जगह तलाश में हैं। इसमें बीजेपी का भी फायदा है जो बंगाल में धीरे-धीरे जनाधार और मजबूत करना चाहती है। वहीं सबसे बुरी स्थिति ममता बनर्जी की है, जो दिन-ब-दिन टुकड़ों में बिखरती उनकी पार्टी टीएमसी को असहाय होकर देखने को मजबूर हैं।