कोरोना की तबाही के बाद अब कोरोना की वैक्सीन पर विवाद खड़ा होना शुरू हो गया है। एक तरफ विश्व के विकसित देश हैं तो दूसरी तरफ विकासशील देश जिनका नेतृत्व भारत कर रहा है। इस विवाद का कारण है कोरोना वैक्सीन के Intellectual Property Rights, और आखाड़ा बना है WTO यानि विश्व व्यापार संगठन। अमेरिका जैसे विकसित देशों का मानना है कि कोरोना के वैक्सीन पर Intellectual Property Rights लग जाए जिससे उन्हें खूब कमाई हो और दूसरी तरफ भारत और दक्षिण अफ्रीका कोरोना के वैक्सीन को Intellectual Property Rights से मुक्त करना जिससे गरीब देशों आसानी से वैक्सीन मिल सके।
इसी विषय पर विश्व व्यापार संगठन की गुरुवार को हुई बैठक में विकसित देशों ने भारत और दक्षिण अफ्रीका के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। वैक्सीन व्यापारिक वस्तुएं हैं और इसलिए वे विश्व व्यापार संगठन के दायरे में आते हैं। WTO की TRIPS यानि Trade Related Intellectual Property Rights काउंसिल को इस साल अक्टूबर में भारत और दक्षिण अफ्रीका ने Covid-19 महामारी के खिलाफ एक मजबूत और समन्वित लड़ाई के लिए Intellectual Property Rights की अस्थायी माफी का प्रस्ताव दिया था। अधिकांश विकासशील देश प्रस्ताव के समर्थन में हैं लेकिन अमीर और विकसित देश, जैसे यूरोपीय संघ के राष्ट्र, अमेरिका और कनाडा इसका विरोध में हैं।
भारत और दक्षिण अफ्रीका ने तर्क दिया है कि कोरोना के वैक्सीन पर छूट आवश्यक है क्योंकि कई विकासशील और गरीब देश फार्मास्यूटिकल्स आयात और निर्यात के लिए TRIPS के नियमों का पालन करने की स्थिति में नहीं थे। भारत और दक्षिण अफ्रीका ने 2 अक्टूबर को TRIPS काउंसिल को अपना प्रस्ताव प्रस्तुत किया। यह Covid -19 की रोकथाम, रोकथाम और उपचार के लिए टीके और दवाओं सहित सस्ती चिकित्सा उत्पादों तक पहुंचने के लिए बाधाओं को दूर करने का आह्वान करता है।
गुरुवार की बैठक के पहले 15-16 अक्टूबर को औपचारिक TRIPS की बैठक हुई थी उसके बाद 20 नवंबर और 3 दिसंबर को अनौपचारिक बैठकों के साथ लंबी और व्यापक चर्चाओं का दौर चला।
भारत ने इस बात पर जोर दिया कि यह केवल दो देशों के लिए नहीं बल्कि वैश्विक समुदाय के लिए एक प्रस्ताव है। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि भारत के पास अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए मैन्युफैक्चरिंग क्षमता और राष्ट्रीय कानून हो सकते हैं, लेकिन एक वैश्विक महामारी में, जहां हर देश समान रूप से प्रभावित होता है, वहाँ हमें वैश्विक समाधान की आवश्यकता है।
दक्षिण अफ्रीका TRIPS काउंसिल का वर्तमान अध्यक्ष है, लेकिन इसे छूट के प्रस्ताव को स्वीकार करने में अमीर देशों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार नवंबर में TRIPS काउंसिल की एक अनौपचारिक बैठक में, अमेरिका, यूरोपीय संघ, जापान, कनाडा और स्विटजरलैंड ने छूट के प्रस्ताव का यह कहते हुए विरोध किया कि यह इन देशों द्वारा अब तक की महामारी का मुकाबला करने के लिए किए गए प्रयासों को कमजोर करेगा।
यानि सरल शब्दों में कहें तो उन्होंने गरीब देशों में मानव जीवन के लिए खतरे से अधिक वैक्सीन विकसित करने वाली दवा कंपनियों के Intellectual Property Rights को प्राथमिकता देने के लिए दबाव डाला।
हालांकि, गुरुवार को हुए बैठक में सदस्यों ने भविष्य की TRIPS परिषद की बैठकों के एजेंडे पर इसी मुद्दे को रखने के लिए सहमति व्यक्त की, जिसमें भारत और दक्षिण अफ्रीका के प्रस्ताव पर चर्चा होगी। इन बैठक में इस प्रस्ताव को लगभग 100 देशों का समर्थन प्राप्त था लेकिन अमीर देशों के समर्थन न देने के कारण इस बैठक में किसी भी निर्णय पर नहीं पहुंचा नहीं जा सका। इससे अब यह खतरा बढ़ चुका है कि Covid-19 महामारी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई धीमी पड़ जाएगी जिससे न सिर्फ विकासशील देश प्रभावित होंगे बल्कि विकसित देश भी प्रभावित होंगे।