बिहार विधानसभा चुनाव में JDU का जनाधार घटने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीजेपी के खिलाफ आंतरिक रूप से आक्रोशित हैं। इसलिए वो बीजेपी से बदला लेने की कोशिश कर रहे हैं। खबरों के मुताबिक वह बंगाल विधानसभा चुनाव में उतरकर बीजेपी का खेल खराब करने की प्लानिंग कर रही हैं, इसके लिए बंगाल की राज्य ईकाई चुनावी रणनीति पर काम करने के लिए सक्रिय हो गई है।
पार्टी के बंगाल प्रभारी गुलाम रसूल बलियावी ने कहा कि वे पिछले तीन वर्षों से पश्चिम बंगाल में काम कर रहे हैं और अब पार्टी ने वहाँ चुनाव लड़ने का फैसला किया है। “हम पिछले तीन वर्षों से बंगाल में काम कर रहे हैं और अब चुनाव आ रहे हैं, हमने 75 सीटों की पहचान की है, जहाँ हम उम्मीदवारों को मैदान में ला रहे हैं। अगर जरूरत पड़ी तो हम कुछ और सीटों पर भी उम्मीदवार उतारेंगे।”
पार्टी की इकाई ने चुनाव लड़ने का फैसला किया है और अब राज्य ईकाई नीतीश कुमार के अंतिम फैसले का इंतजार कर रही थी।
नीतीश कुमार स्पष्ट रूप से भाजपा से अपना बदला लेना चाह रहे हैं, हालांकि, बिहार की तरह उनके सितारे उनके पक्ष में नहीं हैं। जेडीयू बिहार के अलावा बीजेपी से किसी अन्य राज्य में गठबंधन नही करती है। जेडीयू यह कहती रही है कि भाजपा के साथ उसका गठबंधन बिहार तक ही सीमित था। पार्टी ने कर्नाटक और गुजरात जैसे राज्यों में भाजपा के साथ गठजोड़ किया है। जो कि पार्टी की सत्ता लोलुपता दिखाता है।
बंगाल में लगातार बीजेपी का जनाधार बढ़ रहा है।यहां बीजेपी और टीएमसी के बीच विधानसभा चुनाव को लेकर कांटे की टक्कर दिखाई दे रही है। बीजेपी ने आरएसएस की मदद से यहां अपनी पकड़ मजबूत की है। ऐसे में जेडीयू भी बहती गंगा में हाथ धोने की कोशिश कर रही है।
दूसरी ओर हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी यहां विधानसभा चुनाव लड़ने का एलान कर दिया जिन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान सीमांचल की पांच महत्वपूर्ण सीटें जीती थी और इसी कारण ममता बनर्जी भी उनसे खौफ खाने लगी हैं। ओवैसी की पार्टी के लड़ने का सीधा फायदा बीजेपी को ही देखने को मिलेगा।
ममता बनर्जी कोरोना वायरस से लेकर राज्य के बढ़ते आपराधिक दायरे के कारण लोगों के निशाने पर हैं जिसके चलते जनता का उनसे मोहभंग हो रहा है और इसी कारण बंगाल की सियासत से उनकी पार्टी के पैर उखड़ने लगे हैं। बीजेपी ने 2019 लोकसभा चुनाव में बंगाल की 18 सीटें जीतकर ममता बनर्जी के लिए राज्य में मुश्किलें खड़ी कर दी थी।
यही नहीं बीजेपी ने यहां अपना जनाधार भी मजबूत किया था। इसका सीधा झटका टीएमसी को लगा था जिसकी शहरी सीटों पर बीजेपी काबिज हो गई है। बीजेपी के बढ़ते जनाधार के कारण अब टीएमसी को विधानसभा चुनाव में हारने का डर सताने लगा है।
इसके इतर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू बंगाल में चुनाव लड़ने का फैसला करके असल में अपने लिए मुसीबतें खड़ी करने वाली है। स्थानीय नेता अपना जनाधार मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि यह सच है कि पार्टी यहां एक वोट कटवा ही साबित होगी और इसका सीधा फायदा बीजेपी के हिस्से में ही आएगा।