पिछले कुछ समय से जियोपॉलिटिक्स में QUAD की एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है चाहे वो शांति पूर्ण मुद्दों के लिए हो या चीन को इंडो-पैसिफिक में रोकने के लिए। चार महत्वपूर्ण देशों का यह राजनीतिक मंच अब धीरे-धीरे सैन्य सहयोग में बदल रहा है। हालांकि इसके अलावा सप्लाई चेन को दुरुस्त करने में इस संगठन की एक प्रमुख भूमिका है। एक क्षेत्र तो ऐसा है जहां ये चार देश मिल कर स्वयं विश्व के पावरहाउस बन सकते हैं और वह क्षेत्र है सेमीकंडक्टर चिप के उत्पादन का। भारत, अमेरिका जापान और ऑस्ट्रेलिया के पास मौजूद संसाधनों को देखा जाए तो यह सेमीकंडक्टर चिपों के उत्पादन के लिए बेहद अनुकूल है। ये देश मिल कर इस संगठन को राजनीतिक-सैन्य संगठन से विस्तार कर इसे और अधिक उपयोगी बना सकते है। इससे ना सिर्फ सेमीकंडक्टर के सप्लाइ चेन को एक नया जीवनदान मिलेगा बल्कि चीन पर से निर्भरता भी समाप्त हो जाएगी।
QUAD के इस क्षेत्र में सफल होने के चांस अधिक इसलिए भी हैं क्योंकि इसके उदय में चीन की आक्रामकता एक प्रमुख मुद्दा रहा है और चीन के खिलाफ इन सभी देशों का आपसी समन्वय अन्य देशों से अधिक है।
हाई-टेक जियोपॉलिटिक्स पर काम करने वाले प्रणय कोटस्थेन और रोहन सेठ का मानना है कि QUAD द्वारा सेमीकंडक्टर चिपों का उत्पादन कर सप्लाइ चेन बनाने कों मजबूत बनाने के तीन मुख्य कारण हैं। पहला- सेमीकंडक्टर उद्योग लगभग सभी प्रौद्योगिकियों के लिए महत्वपूर्ण है। दूसरा- यह शायद सबसे अधिक वैश्वीकृत उच्च मूल्य का सप्लाइ चेन है और कोई भी देश पूरी तरह से आत्मनिर्भर नहीं बन सकता है। और तीसरा कारण यह कि सभी चार देश सेमीकंडक्टर की मजबूत सप्लाई चेन बनाने के लिए आवश्यक तत्वों में एक दूसरे के पूरक हैं।
अमेरिका को उसकी चिप डिजाइन के लिए जाना जाता है। दुनिया के शीर्ष 10 फैबलेस चिप निर्माताओं में से चार अमेरिकी हैं। इसके अलावा, चिप्स डिजाइनिंग के लिए इलेक्ट्रॉनिक डिजाइन ऑटोमेशन (EDA) टूल्स की आवश्यकता होती है, जिसका मार्केट उच्च R&D आवश्यकताओं के कारण एक स्थान पर केंद्रित होता है। इसी कारण तीन प्रमुख EDA कंपनियाँ अमेरिका में ही स्थित हैं। यानि QUAD में अमेरिका चिप डिजाइन की प्रमुख भूमिका में रहेगा।
वहीं जापान को देखा जाए तो वह अपने सेमीकंडक्टर मैन्युफैकचरिंग के लिए विश्व भर में प्रतिष्ठित है। सेमीकंडक्टर चिप बनाने के लिए उच्च स्तर की सटीकता और पूंजी निवेश की आवश्यकता होती है। जापानी कंपनियां QUAD सप्लाइ चेन की इसी आवश्यकता हो पूरा कर सकती है। ये कंपनियां अपने उच्च-गुणवत्ता वाले उत्पादों के लिए प्रसिद्ध हैं, और उनकी विशेषज्ञता का कोई सानी नहीं है।
वहीं भारत की बात की जाए तो भारत अपने उपभोगता बाजार और skilled लेबर के लिए जाना जाता है। वहीं अब यह चिप डिजाइन के लिए प्रमुख वैश्विक केंद्रों में से एक बनता जा रहा है। वार्षिक रूप से 3000 चिप्स भारत में डिज़ाइन किए जाते हैं। अधिकांश शीर्ष विदेशी सेमीकंडक्टर कंपनियों ने भारत में प्रतिभा की उपलब्धता के कारण अपने डिजाइन और R&D केंद्रों की यहाँ स्थापना की है। भारत ने इलेक्ट्रॉनिक्स एंड-प्रोडक्ट असेंबली क्षेत्र में भी उत्कृष्टता साबित की है। उदाहरण के लिए, फॉक्सकॉन ने हाल ही में भारत में निवेश करने की बात कही थी जबकि सैमसंग ने इस साल नोएडा में दुनिया का सबसे बड़ा मोबाइल फोन विनिर्माण संयंत्र बनाया है।
हालांकि, ऑस्ट्रेलिया एक महत्वपूर्ण सेमीकंडक्टर उद्योग नहीं है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया भविष्य के उच्च-तकनीकी इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला है। आज ऑस्ट्रेलिया लिथियम का विश्व का सबसे बड़ा उत्पादक है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों, फोन और लैपटॉप में मौजूद रिचार्जेबल बैटरी बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण तत्व है।
इनमें से कोई भी देश आत्मनिर्भर होकर सेमीकंडक्टर सप्लाइ चेन विकसित नहीं कर सकता है, लेकिन एक समूह के रूप में यानि QUAD के रूप में यह दुनिया का पावर हाउस बन सकता है।
QUAD की क्षमता को देखते हुए इस सप्लाई चेन को शुरू करने के लिए कुछ व्यापार मुद्दों पर समझौते की आवश्यकता है जिसके बाद ये देश पूरी तरह सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में वर्चस्व हासिल कर लेंगे। भारत को इस तरह की वार्ता की शुरुआत करनी चाहिए जिससे ऐसी नीतियों पर काम शुरू हो सके। यह सिर्फ इन चारों देशों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे लोकतान्त्रिक विश्व के लिए एक बेहतरीन कदम साबित हो सकता है।