यूरोप में आज Emmanuel Macron के नेतृत्व में फ्रांस ने चीन के खिलाफ सबसे ज़्यादा सख़्त रुख अपनाया हुआ है। जर्मनी और अन्य यूरोप के देश जहां चीन के साथ लुक्का-छुप्पी का खेल खेलने में व्यस्त हैं, तो वहीं फ्रांस खुलकर Indo-Pacific क्षेत्र में कूदने की पूरी तैयारी कर चुका है। फ्रांस, भारत और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर Indo-Pacific में अपनी पकड़ मज़बूत करने की भरपूर कोशिश कर रहा है।
हाल ही में France ने Indian Ocean Rim Association में शामिल होने का भी फैसला लिया है, जिसके माध्यम से अब भारत और फ्रांस मिलकर हिन्द महासागर और प्रशांत महासागर क्षेत्र में चीन के प्रभाव को चुनौती देने का काम करेंगे।
इतना ही नहीं, France अब जापान के जलक्षेत्र में अमेरिका और जापान के साथ मिलकर अगले वर्ष एक युद्धभ्यास भी करने जा रहा है। सवाल यह है कि आखिर फ्रांस के इतने कड़े चीन-विरोधी रुख के पीछे की वजह क्या है?
इस सवाल का कोई एक उत्तर तो नहीं है, लेकिन एक सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण पहलू ज़रूर है और वह है New Caledonia! ऑस्ट्रेलिया के पूर्व में स्थित यह पेसिफिक द्वीप वैसे तो पिछले 170 सालों से फ्रांस के अधीन रहा है, लेकिन हाल ही में हुए जनमत संग्रह से यह स्पष्ट हो चुका है कि इस द्वीप पर फ्रांस की पकड़ धीरे-धीरे कमजोर होती जा रही है।
1980 के दशक में फ्रांस से आज़ादी के लिए इस द्वीप पर भड़की हिंसा के बाद वर्ष 1998 में फ्रांसीसी सरकार और अलगाववादी संगठनों के बीच Noumea Accord पर हस्ताक्षर हुए थे, जिसके तहत New Caledonia के लोगों को फ्रांस से आज़ाद होने के लिए तीन-तीन मौके दिये हैं। इसी संधि के तहत इस द्वीप पर वर्ष 2018 में भी जनमत संग्रह हो चुका है, जहां करीब 57 प्रतिशत वोटर्स ने फ्रांस के साथ रहने के लिए ही वोट दिया था।
इस साल भी एक जनमत संग्रह हुआ था, जिसके बाद फ्रांस के लिए चिंताएँ बढ़ गयी हैं क्योंकि सिर्फ 53 प्रतिशत लोगों ने ही फ्रांस के साथ रहने के लिए वोट किया था। फ्रांस को अब डर है कि अगर उसने Indo-Pacific में खुद आकर चीन के प्रभाव को चुनौती देने का फैसला नहीं लिया, तो उसका यह द्वीप उसके हाथ से निकल जाएगा।
गौरतलब है कि फ्रांस के इस द्वीप पर चीन धीरे-धीरे आर्थिक कब्ज़ा कर रहा है, और यही कारण है कि यहाँ फ्रांस का प्रभाव कम होता जा रहा है। Nickel Deposits से भरपूर यह द्वीप अपना अधिकतर export चीन को ही करता है।
वर्ष 2018 में New Caledonia ने 1 बिलियन डॉलर से ज़्यादा एक्सपोर्ट केवल चीन को ही किया था। चीन के साथ बढ़ते आर्थिक रिश्तों के कारण पेसिफिफ क्षेत्र में इस द्वीप की GDP per Capita सर्वाधिक है, जो कि वर्ष 2018 में 38,270 डॉलर थी। वर्ष 2018 में जनमत संग्रह के नतीजे आने के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति Macron ने इस द्वीप पर बढ़ते चीनी दख्ल को लेकर चिंता भी जताई थी।
वर्ष 2018 में Macron ने इस द्वीप की यात्रा के दौरान कहा था “चीनी यहाँ धीरे-धीरे अपनी पैठ बढ़ा रहे हैं। यह हमारी स्वतन्त्रता को खतरे में डाल देगा। यह हमारे लिए अवसरों को कम कर देगा।”
New Caledonia में चीन की घुसपैठ ने फ्रांसीसी सरकार को चिंता में डाला है और इसके साथ ही फ्रांस को हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में कूदने के लिए बाध्य भी किया है। फ्रांस आने वाले दिनों में अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसी बड़ी शक्तियों के साथ मिलकर चीन के लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है और इसका एक कारण होगा- New Caledonia में चीन की घुसपैठ!