जिनपिंग चीन को आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं, पर चीनी उपभोक्ताओं ने सब बर्बाद कर दिया

ये “आत्मनिर्भर चीन” के लिए खतरे की घंटी है!

पैसिफ़िक कंपनियों

एक बार फिर आंकड़ों ने चीन के खोखले दावों की पोल खोलकर रख दी है। चीन बार-बार यह दावा करता है कि कोरोना के झटके के बाद आर्थिक तौर पर वह दोबारा विकास के रास्ते पर लौट आया है, लेकिन आंकड़े हर बार जिनपिंग सरकार के दावों को गलत साबित कर देते हैं। उदाहरण के लिए अब यह खबर सामने आई है कि करीब एक दशक के बाद चीन में पहली बार Consumer Price Index में गिरावट देखने को मिली है। इसे आसान शब्दों में कहें तो उपभोक्ताओं द्वारा खरीदी जाने वाले अधिकतर चीजों और सेवाओं के लिए चीन में मांग गिरती जा रही है। यह इस बात का संकेत है कि लोगों के पास सामान खरीदने के लिए पैसे और savings की बड़ी कमी हो गयी है। इसके साथ ही यह खबर चीन की “आत्मनिर्भर चीन” नीति के लिए भी खतरे की घंटी है।

बता दें कि कोरोना के बाद मई महीने में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आर्थिक विकास को गति प्रदान करने के लिए “Dual Circulation” नीति अपनाने की बात कही थी। Dual Circulation के तहत चीनी सरकार ने Export आधारित चीनी अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए घरेलू मांग और घरेलू बाज़ार का सहारा लेने की योजना बनाई थी। जिस प्रकार भारत में मोदी सरकार ने आर्थिक विकास को तेज करने के लिए “आत्मनिर्भर भारत” की नीति को अपनाया हुआ है, ठीक उसी प्रकार चीन में भी एक तरह की “आत्मनिर्भर चीन” नीति को अपनाने की बात की जा रही थी, ताकि चीनी कंपनियों को घरेलू मांग के आधार पर मजबूती प्रदान की जा सके।

हालांकि, नए आंकड़े बताते हैं कि चीन में घरेलू बाज़ार में तो मांग है ही नहीं! चीनी बाज़ार में सप्लाई ज़्यादा है और लोगों के पास सामान खरीदने के लिए पैसे है ही नहीं! इसीलिए तो वर्ष 2009 के बाद अब वर्ष 2020 में CPI में गिरावट देखने को मिली है।

CNBC की रिपोर्ट के मुताबिक इस वर्ष नवंबर में पिछले वर्ष के मुक़ाबले 0.5 प्रतिशत की गिरावट देखी गयी है। इससे इतना तो स्पष्ट है कि चीन जिस घरेलू बाज़ार के दम पर दोबारा अपनी आर्थिक गति को तेज करने की आस लगाए बैठा था, उस बाज़ार में कोई दम है ही नहीं!

चीन दुनिया के सबसे बड़े बाज़ारों में से एक है और इसका दशकों तक चीनी कंपनियों ने बड़ा फायदा उठाया है। चीनी सरकार ने शुरू से ही इस बाज़ार को विदेशी कंपनियों की पहुंच से दूर रखा है। हालांकि, चीन की कमजोर होती अर्थव्यवस्था का बोझ अब चीनी बाज़ार पर भी साफ दिखाई देने लगा है। हाल ही में यह रिपोर्ट सामने आई थी कि खुद चीनी सरकार की बड़ी-बड़ी कंपनियाँ अब Bonds default घोषित करने पर मजबूर हो रही हैं, क्योंकि उनकी वित्तीय हालत बेहद खस्ता हो चुकी है। यह दिखाता है कि ना सिर्फ चीनी उपभोक्ता, बल्कि खुद चीनी सरकार की कंपनियाँ भी वित्तीय तौर पर बेहद कमजोर हो गयी हैं।

चीन ने यह दावा किया है कि वर्ष 2020 में भी उसकी अर्थव्यवस्था में 2 प्रतिशत की दर से विकास देखने को मिलेगा। हालांकि, यह बात समझ से परे है कि ऐसे वक्त में जब सप्लाई चेन बाधित होने के कारण एक्सपोर्ट आधारित अर्थव्यवस्था के व्यापार में गिरावट देखने को मिली है, तो ऐसे हालातों में भी चीन जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था विकास कैसे कर सकती है? वह भी तब जब खुद चीनी बाज़ार में मांग में गिरावट दर्ज की जा रही है।

चीन का सारा ध्यान आजकल अपने आर्थिक विकास से हटकर अपनी अर्थव्यवस्था की लीपा-पोती पर केन्द्रित हो चुका है। वह headline management के जरिये आज भी अपने आप को economic powerhouse के तौर पर प्रदर्शित करना चाहता है, लेकिन आंकड़े हर बार चीनी सरकार की पोल खोल देते हैं। अब CPI के आंकड़ो ने यह स्पष्ट कर दिया है कि चीन की आर्थिक हालत वैसी नहीं है, जैसी वह दिखाना चाहता है और जिनपिंग सरकार की “आत्मनिर्भर चीन” नीति पूरी तरह फ्लॉप साबित हुई है।

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