किसी भी समस्या को देखने के दो तरीके होते हैं। या तो उस समस्या के बारे में दिन-रात रोते रहो और कोसते रहो, या फिर उस समस्या को एक अवसर मानकर उसका अनोखा समाधान निकालो। जहां रोजगार की समस्या को लेकर बंगाल, केरल जैसे राज्य आए दिन हो हल्ला मचाते हैं, वहीं एक बार फिर रोजगार के नए द्वार खोलकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया है कि रोजगार कैसे उत्पन्न करते हैं।
जी न्यूज के रिपोर्ट के अनुसार, योगी आदित्यनाथ ने आगामी वर्ष यानि 2021 में सहायक सेवा चयन आयोग के जरिए 50000 नौकरियां देने का लक्ष्य रखा है। इनके अंतर्गत प्रारम्भिक यानि प्रीलिमनरी परीक्षाएँ अप्रैल 2021 से प्रारंभ होंगी। मुख्य परीक्षा मई 2021 में ही होगी, और उसके पश्चात चुने हुए प्रतिभागियों को सरकार के विभिन्न विभागों में तैनात किया जाएगा।
रिपोर्ट के अंश अनुसार, “उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने रोजगार देने के मामले में एक नया रिकॉर्ड रचा है। पिछले 4 वर्षों में इस योजना के अंतर्गत सरकार ने 4 लाख लोगों को नौकरियां दी है, जो अन्य राज्यों के मुकाबले काफी ज्यादा है। नौकरी देने की संख्या में वुहान वायरस की महामारी भी कोई असर नहीं डाल पाई है।
जहां वुहान वायरस के कारण कई राज्यों की अर्थव्यवस्था ने घुटने टेक दिए, तो वहीं योगी आदित्यनाथ ने मौके पर चौका मारते हुए कई विदेशी कंपनियों को उत्तर प्रदेश में निवेश करने हेतु आकर्षित किया, जिसमें विशेष रूप से वह कंपनियां शामिल थी, जो पहले चीन पर आश्रित थी।
इसका परिणाम यह हुआ कि सैमसंग से लेके Von Wellx जैसी फुटवियर कंपनियां तक चीन से बाहर निकलकर भारत में निवेश करने को तैयार हो गई। इसके अलावा इन कंपनियों को यूनियनबाज़ी की बलि न चढ़ना पड़े, इसके लिए योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश प्रशासन ने 4 अहम कानूनों को छोड़कर बाकी सभी श्रम कानूनों को निलंबित कर दिया।
लेकिन योगी आदित्यनाथ यहीं पर नहीं रुकने वाले। उन्होंने पहले ही जून 2020 तक मनरेगा और अन्य ग्रामीण परियोजनाओं के जरिए 51 लाख नौकरियों की व्यवस्था कराई है। उन्होंने अभी बुधवार को ही अफसरों को निर्देश दिया कि अव्यवस्थित क्षेत्रों में कार्यरत मजदूरों के लिए अधिक से अधिक रोजगार के अवसर उत्पन्न कराए जाएँ।
ये बयान उन्होंने ‘उत्तर प्रदेश कामगार और श्रमिक आयोग’ की मीटिंग के दौरान दिए। सीएम आदित्यनाथ ने कहा कि यह सरकार की जिम्मेदारी है कि अव्यवस्थित उद्योगों में कार्यरत श्रमिकों को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा प्रदान की जाए।
वहीं दूसरी ओर राजस्थान, महाराष्ट्र और बंगाल जैसे राज्यों में रोजगार के नाम पर जनता को खाली ठेंगा ही मिला। मध्य प्रदेश में कमलनाथ के लगभग डेढ़ वर्ष के शासन के दौरान ही बेरोजगारों की संख्या 7 लाख से चौगुनी होकर 28 लाख से अधिक हो गई।
लेकिन इस समस्या को निपटाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि योगी आदित्यनाथ ने अपने राज्य के उदाहरण से सिद्ध किया कि अकर्मण्यता का कोई बहाना नहीं होता। यदि इच्छाशक्ति है, तो कठिन से कठिन काम भी संभव होगा।