पाकिस्तान में तो एक ही मंदिर को तोड़ा गया था पर आंध्र प्रदेश में 140 मदिरों और मूतियों को किया गया क्षत-विक्षत

जगन मोहन रेड्डी के शासन में ऐसी घटनाएं हिन्दू आस्था पर प्रहार करती हैं, जो शर्मनाक है

मंदिरों

एक साल में 140 हिन्दू मंदिरों को या तो क्षति पहुंचाई गई है अथवा मूर्तियों को खंडित किया गया है। ये खबर बांग्लादेश या पाकिस्तान की नहीं, बल्कि भारत की है और वो भी कश्मीर की नहीं बल्कि आंध्र प्रदेश की। तिरुपति तथा स्वामी रंगनाथ जैसे, अपने भव्य मंदिरों के लिए विख्यात आंध्र प्रदेश, जगन सरकार में हिन्दू उत्पीड़न का केंद्र बन गया है।

पिछले एक सप्ताह की बात करें तो ही यहां मंदिर एवं मूर्ति खंडित करने की चार घटनाएं सामने आ चुकी हैं। पहले राजमहेंदरी में श्री विघ्नेश्वर मंदिर में भगवान सुब्रमण्यम की मूर्ति खंडित की गई, इसके बाद विशाखापट्टनम में भी ऐसी ही घटना हुई। उसके बाद 28 दिसंबर को विजयनगर जिले के 400 वर्ष पुराने प्रसिद्ध पर्वतीय मंदिर में भगवान श्रीराम की प्रतिमा तोड़ी गई

आंध्र प्रदेश में लगातार हो रहे हमलो के चलते व्यापक जन आक्रोश फैल गया है। विपक्षी दलों ने इसका सीधा आरोप मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी पर लगाया है। TDP प्रमुख एवं पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने कहा है “सीएम, गृह मंत्री, डीजीपी और यहां तक ​​कि जिला एसपी सभी ईसाई हैं। उन्हें हिंदू भक्तों के बीच संदेह को दूर करने के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिए थे।  लेकिन उन्होंने पूरी लापरवाही दिखाई।”

अपने ईसाई मुख्यमंत्री वाले बयान को उचित ठहराते हुए नायडू ने कहा कि “मैं इसमें कोई गलत बात नहीं कर रहा हूं। उनकी अपनी आस्था हैं।  मैं वेंकटेश्वर स्वामी पर विश्वास करता हूं। लेकिन अन्य धर्मों पर हमलों की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।” साफ है कि नायडू ने इन हमलों के पीछे सीधे तौर पर जगन को आरोपी बनाया है। उनका आरोप है कि जगन, ईसाई होने के कारण ही, हिन्दू मंदिरों पर हो रहे हमले के प्रति आंखे बंद किये हुए हैं।

यह बड़ी दुखद बात है कि हिन्दू भारत में भी अपनी आस्था के कारण, लगातार हिंसा का शिकार होता रहता है। उससे भी दुखद यह है कि, पाकिस्तान में मंदिर पर हमले की खबरें तो भले ही कभी कभी हैडलाइन बन भी जाती हैं, किंतु ऐसा लगता है कि भारत में मंदिरों, संतो, भक्तों पर होने वाले हमले, सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा मान लिए जाते हैं। इन पर कभी कभी, उत्तेजित हिन्दू जनमानस को बहलाने के लिए थोड़ी बहुत कार्रवाई हो भी जाए, तो भी जल्द न्याय नहीं मिलता है। पालघर का उदाहरण हमारे सामने है ही, जहां आज तक आरोपियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

यही नहीं वैसे ईसाई मिशनरी द्वारा धर्म परिवर्तन का मामला भारत के लिए बड़ी समस्या बन गया है। इन कार्यों के लिए विदेशों से फंडिंग भी होती है। हाल ही में सरकार ने 13 NGO पर इसी कारण से कार्रवाई की थी क्योंकि वे विदेशी फंडिग द्वारा भारत के आदिवासी इलाकों में कन्वर्जन करवा रहे थे। इसके बाद 6 गैरसरकारी ईसाई NGO पर कार्रवाई की गई थी। चेन्नई स्थित एक मिशनरी के खिलाफ लालच देकर कंवर्जन करवाने के मामले में पहले ही सीबीआई जांच चल रही है।

पहले यह समस्या केवल आदिवासी इलाकों तक सीमित थी किंतु अब शहरों में भी ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जो बताते हैं कि ईसाई मिशनरियों द्वारा कन्वर्जन के कार्य रुकने के बजाए और तेजी से बढ़े हैं।

विशेषतः जगन सरकार में आंध्र प्रदेश में यह कार्य खुलेआम हो रहा है। यहां तक कि YSR कांग्रेस के एक सांसद ने टीवी डिबेट में यह स्वीकार भी किया था कि ईसाई मिशनरी धन का लालच देकर धर्मांतरण करवा रही हैं, इसके बाद भी सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है जो बताता है कि जगन सरकार ने इन्हें पूर्ण संरक्षण दे रखा है।

आंध्र प्रदेश में विजयनगरम तथा विशाखापट्टनम जैसे शहरी इलाकों में धड़ल्ले से प्रसिद्ध हिन्दू मंदिरों पर हमला बताता है कि अब यह खेल केवल आदिवासी इलाकों तक सीमित नहीं है, समस्या उससे ज्यादा बड़ी हो चुकी है।

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