डोनाल्ड ट्रंप पर जिस तरह से बिग टेक कंपनियों ने हंटर चलाया है, उससे दुनिया भर के कई देश गुस्से में है। जहां भारत और ऑस्ट्रेलिया ने इन कंपनियों के दोहरे मापदण्ड पर सवाल उठाया है, तो वहीं तुर्की, जर्मनी और फ्रांस इन कंपनियों की मनमानी के विरुद्ध कार्रवाई करने की तैयारी में जुट गए हैं।
आश्चर्यजनक रूप से तुर्की ने फेसबुक और वॉट्सएप के विरुद्ध जांच पड़ताल भी शुरू कर दी है। फेसबुक के स्वामित्व वाले वॉट्स एप मैसेजिंग सर्विस के नए पॉलिसी के कारण विवादों के घेरे में है, जिसमें फेसबुक के साथ वॉट्सएप के यूज़र का कथित तौर पर डाटा शेयर होगा। इसके पीछे भारत के CAIT ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर इन दोनों सेवाओं को प्रतिबंधित करने की बात कही थी। अब इसी के विरुद्ध तुर्की के एंटी ट्रस्ट बोर्ड ने मोर्चा खोल दिया है।
दरअसल, तुर्की को इस बात का खतरा है कि कहीं ट्विटर और फेसबुक जैसी कम्पनियों का प्रभाव उनके देश में वैसे ही अनियंत्रित ना हो जाए, जैसे अमेरिका में हो गया है। लेकिन तुर्की ही अकेला देश नहीं है। ट्रंप पर प्रतिबंध के विरुद्ध जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों ने भी अपनी चिंता व्यक्त की है।
जर्मनी की ओर से बयान आया, “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सर्वोपरि होनी चाहिए। ऐसे में जिस प्रकार से राष्ट्रपति ट्रंप के अकाउंट सस्पेंड किए गए हैं, उससे हमारे चांसलर चिंतित है।”
वहीं फ्रांस के वित्त मंत्री ब्रूनो ले मेयर ने कहा, “जो बात मुझे हैरान करती है वह यह है कि किस प्रकार से ट्विटर ने ट्रंप का अकाउंट बंद किया है। इस तरह से डिजिटल जगत काम नहीं कर सकता। यह काम सरकार और न्यायपालिका का है।”
अब उक्त देशों के बयान से पता चलता है कि ट्रम्प पर अनावश्यक प्रतिबंध से किस प्रकार से बाकी देशों को झकझोर दिया गया है। यदि ये ट्रंप के साथ हो सकता है तो उनकी क्या बिसात। इसलिए अब बिग टेक कंपनियों के विरुद्ध तुर्की, जर्मनी और फ्रांस ने मोर्चा संभाल लिया है।