तमिलनाडु में जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं जाहिर कर रही है, उससे वहां DMK की हालत बुरी होती जा रही है। DMK को बीजेपी और AIADMK के गठबंधन से अब डर लगने लगा है। ऐसे में देश की किसी अन्य विपक्षी पार्टी की तरह ही DMK भी वही मुस्लिम कार्ड खेलने की तैयारी कर चुकी है। हाल ही में AIMIM प्रमुख असद्दुदीन ओवैसी को DMK नेताओं ने चुनावी बैठक में शामिल होने का निमंत्रण दिया है। हालांकि, पार्टी के इस कदम से उसके अपने ही मुस्लिम नेता और घटक दल उखड़ गए हैं। ऐसे में ये माना जा रहा है कि DMK का ओवैसी को आमंत्रित करना सुसाइड करने के समान होगा।
तमिलनाडु विधानसभा चुनावों के गणित और अपने राजनीतिक पांव उखड़ते देख DMK ओवैसी को साथ लाने को तैयार हो गई है। DMK के अल्पसंख्यक कल्याण विंग के अध्यक्ष डॉ. D Masthan और AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष Vakkil Ahamed के साथ हैदराबाद पहुंचे और असदुद्दीन ओवैसी को जनवरी में तमिलनाडु में बैठक में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रण दिया। इस एक कदम ने DMK में ही अंतर्विरोध की स्थितियां पैदा कर दी हैं क्योंकि ओवैसी को बीजेपी की ही ‘B-Team’ कहा जाता है। सोशल मीडिया से लेकर आम कार्यकर्ता इस मुद्दे पर भड़के हुए हैं। हालांकि, AIADMK का कहना है कि वो बिहार वाली गलती नहीं करना चाहती है जिसका नुकसान RJD को हुआ था, और बीजेपी आसानी से चुनावों में आगे निकल गई थी।
DMK का अपना मुस्लिम वोट बैंक है और इसलिए कार्यकर्ता नहीं चाहते कि कोई ओवैसी पार्टी के समर्थन से उस वोट बैंक में सांधमारे। ओवैसी का फिलहाल तमिलनाडु में कोई जनाधार नहीं है। ऐसे में उनके लिए तो DMK का न्योता सकारात्मक ही है क्योंकि DMK बैठे-बिठाए उन्हें एक मजबूत जनाधार में हिस्सेदारी का आमंत्रण दे रही है, लेकिन यही ओवैसी DMK के डर के कारण भविष्य में उनके लिए ही मुसीबत बन सकते हैं क्योंकि DMK के घटक दल भी अब नाराज हैं।
तमिलनाडु में DMK ने इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग और Manithaneya Makkal Katchi जैसी ज़मीनी स्तर की पार्टियों से गठबंधन कर रखा है। ऐसे में ओवैसी का आना मतलब जनाधार का सौदा करना होगा, जिससे इन छोटी पार्टियों की प्रासंगिकता पर प्रश्न चिन्ह लग जाएंगे। विस्तारीकरण की नीति के तहत ओवैसी को तो फायदा होगा, लेकिन ये छोटी पार्टियां दोराहे पर पहुंच जाएंगी। वो यदि DMK से गठबंधन तोड़कर ओवैसी के सामने लड़ेंगी तो वोट बैंक बंट जाएगा और यदि एक साथ लड़ेंगी तो ओवैसी को जनाधार मिल जाएगा।
ओवैसी को तमिलनाडु में आमंत्रण से पूरा नुकसान केवल DMK और उसके घटक दलों का होगा, जबकि AIADMK BJP को ओवैसी के आने से हमेशा की तरह फायदा ही होगा, जबकि AIMIM को बैठे-बिठाए नए राज्य में विस्तार का मौका मिलेगा। वहीं, इस पूरे खेल में DMK का ये कदम सुसाइड करने जैसा होगा।