पिछले नवंबर में ही हमने आपको बताया था कि कैसे अब अमेरिका में दोबारा जंग के लिए भूखे कुख्यात Democrats का शासन आने वाला है। अब चूंकि बाइडन अमेरिका के राष्ट्रपति बन चुके हैं, ऐसे में अब अमेरिका में war-lobby दोबारा प्रभावशाली हो गयी है। अमेरिका के सैनिकों को अब दोबारा दुनिया के युद्धक्षेत्रों में जाकर अमेरिका के deep state के लिए अपनी जान गंवानी पड़ेगी!
दरअसल, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका के सभी सैनिकों को वापस अपने घर लाना चाहते थे, क्योंकि उनका मानना था कि दुनिया की लड़ाइयाँ लड़ना अमेरिका का काम नहीं है। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान अमेरिका-तालिबान शांति समझौते के तहत अफ़ग़ानिस्तान से 12 हज़ार अमेरिकी सैनिकों को बाहर निकालने और वहां सिर्फ 2500 सैनिकों की तैनाती रखने तक का वादा भी किया था। अब बाइडन प्रशासन अमेरिका-तालिबान शांति समझौते को रिव्यू करने की बात कह रहा है, जिसके बाद उम्मीद लगाई जा सकती है कि बाइडन प्रशासन अमेरिकी सैनिकों की घर-वापसी में बड़ा रोड़ा पैदा कर सकता है।
बाइडन अमेरिकी Deep State के चहेते हैं, जंग और पैसे के भूखे इस Deep State को कैसे भी करके दुनिया में नई जंगें शुरू कराने में अपना हित दिखाई देता है। ट्रम्प के कार्यकाल में अमेरिका की ओर से भी एक भी नई जंग की शुरुआत नहीं की गयी, जिसके कारण अमेरिका की Industrialist lobby ने बड़ा असहज महसूस किया है।
बाइडन प्रशासन के सत्ता में आते ही अमेरिकी NSA Jake Sullivan ने अपने अफगानी समकक्ष हमदुल्ला मोहिब से फोन पर बात की। उनके मुताबिक अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिका अफगान सरकार, Nato साथियों और क्षेत्रीय ताकतों के साथ मिलकर ही शांति कायम करने की रणनीति पर काम करेगा। आते ही अमेरिका के डिफेंस सचिव के पद के लिए मनोनीत Democrat Lloyd Austin ने पाकिस्तान के साथ अपने सैन्य सम्बन्धों को पुनर्जीवित करने की भी बात कही है। ऐसे में समझा जा सकता है कि किस प्रकार अब अमेरिका अफगानिस्तान में दोबारा जंग की आग भड़का सकता है और इसका दुष्प्रभाव ना सिर्फ अमेरिका पर पड़ेगा, बल्कि इससे अफ़ग़ानिस्तान और पूरे दक्षिण एशिया की शांति भी भंग होगी!
बाइडन ऑफिस में आ चुके हैं और वही हो रहा है, जिसकी सबको उम्मीद थी! अमेरिका की war lobby फिर से अमेरिका में हावी हो गयी है और अब सैनिकों को मरने के लिए विदेशों में भेजे जाने की तैयारी कर ली गयी है। अमेरिका के Capitol Hill से आई National Guards की अपमानजनक photos को पूरा विश्व पहले ही देख चुका है। दुनिया के सबसे सम्पन्न देश में National Guards को फर्श पर सोने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, किसी देश के लिए इससे ज़्यादा अपमानजनक और क्या हो सकता है?
हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बाइडन के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान तैनात करीब 150 से 200 National Guards को कोरोना पॉज़िटिव भी पाया गया है, जो दर्शाता है कि बाइडन प्रशासन अपने सैनिकों को कोरोना के हालातों में इस प्रकार उनकी जान से खेल रहा है। बाइडन के सत्ता में आते ही अब दोबारा अमेरिकी प्रशासन के लिए सैनिकों से ज़्यादा Industrialist lobby के हित महत्वपूर्ण हो गए हैं। अब दोबारा अमेरिकी सैनिकों को दूसरों की लड़ाइयाँ लड़ने के लिए दूसरों के युद्धक्षेत्र में तैनात होना पड़ेगा और अपनी जान गंवानी पड़ेगी, वो भी सिर्फ अमेरिका के Deep State के हितों की पूर्ति के लिए!