White House से ट्रम्प की विदाई हो चुकी है, और ऐसे में tech war में पिछड़ते चीन को इस लड़ाई में वापसी करने का एक सुनहरा मौका मिल चुका है। चीन चाहता है कि कैसे भी करके Huawei, ZTE, टिकटॉक और WeChat जैसी उन चीनी कंपनियों की अमेरिका में वापसी कराई जाये, जिनपर ट्रम्प प्रशासन ने जमकर हंटर चलाया था। इसी कड़ी में अब CCP द्वारा समर्थित एक चीनी थिंक टैंक ने एक प्रस्ताव सामने रखा है जिसमें उसने चीनी सरकार को सुझाव देते हुए कहा है कि चीन को अपने यहाँ गूगल, फेसबुक जैसी अमेरिकी कंपनियों को ऑपरेट करने की छूट देने के बदले TikTok और WeChat पर अमेरिका में लगे प्रतिबंध को हटवाने की नीति पर काम करना चाहिए!
CCP से जुड़े CCG थिंक टैंक ने हाल ही में “China and the US in the Biden era: Trends & Policy Responses” के शीर्षक के अंतर्गत एक पॉलिसी पेपर पब्लिश किया है, जिसमें उसने लिखा है “अमेरिका-चीन के सम्बन्धों को बेहतर करने के लिए गूगल और फेसबुक को चीन में काम करने की छूट मिलनी चाहिए, जिसके बदले में चीन अमेरिका से TikTok और WeChat पर लगे प्रतिबंधों को हटाने की अपील कर सकता है।”
सुनने में यह एक साधारण और तर्कसंगत प्रस्ताव लग सकता है, लेकिन यहाँ यह बड़ा प्रश्न है कि आखिर अमेरिका में TikTok और WeChat को प्रतिबंधित क्यों किया गया था। अमेरिकी प्रशासन ने इन दोनों कंपनियों पर अमेरिकी यूजर्स का डेटा चोरी करने का आरोप लगाकर इन कंपनियों को अमेरिका की सुरक्षा के लिए खतरा घोषित कर दिया था। चीन की कंपनियाँ चीनी सरकार के साथ बेहद सहयोग के साथ काम करती हैं और ऐसे में इन कंपनियों द्वारा जुटाये गए डेटा का इस्तेमाल चीनी सरकार अपने मन-मुताबिक कर सकती है, फिर चाहे इसे अमेरिका के खिलाफ ही इस्तेमाल क्यों ना किए जाये! सुरक्षा के लिए इन्हीं खतरों को देखते हुए भारत सरकार भी 300 से ज़्यादा Apps को प्रतिबंधित कर चुकी है।
दूसरी ओर भारत और अमेरिका जैसे लोकतान्त्रिक देशों में किसी भी निजी कंपनी पर उनके यूजर्स का डेटा साझा करने का दबाव नहीं बनाया जाता! ऐसे में गूगल और ट्विटर के Censored वर्ज़न को चीन में लॉन्च कर चीन सिर्फ अमेरिका की आँखों में धूल झोंक रहा होगा! चीनी कंपनियों को एक तरफ अमेरिका में काम करने की खुली छूट हासिल होगी, तो वहीं अमेरिकी कंपनियों को चीनी बाज़ार की सीमाओं में रहकर काम करना होगा। चीनी कंपनियाँ दोबारा चीन में अपना जासूसी-नेटवर्क मजबूत कर पाएँगी, जबकि किसी भी विवाद की स्थिति में ऐसा भी हो सकता है कि चीन दोबारा अपने यहाँ इन अमेरिकी कंपनियों को प्रतिबंधित कर दे!
यह समझौता देखने और सुनने में तर्कसंगत लग सकता है, लेकिन असल में यह चीनी सरकार द्वारा खोदा एक गड्ढा है, जिसमें छलांग लगाने के लिए वह बाइडन प्रशासन को आमंत्रित कर रहा है।