चीन दुनिया में भले ही इस बात का propaganda फैलाता फिर रहा हो कि वह कोरोना को काबू करने में कामयाब रहा है, लेकिन अब कई मीडिया रिपोर्ट्स इस बात की ओर इशारा कर रही हैं कि चीन पर कोरोना की दूसरी लहर की मार बड़े ज़ोर से पड़ रही है। चीन पिछले एक हफ़्ते से भी कम समय में लगभग डेढ़ करोड़ लोगों को घरों में कैद कर चुका है, और चीन में दोबारा कोरोना के मामले बढ़ना शुरू हो चुके हैं। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक सोमवार को जहां चीन में 103 मामले दर्ज किए गए थे, तो वहीं मंगलवार को यह आंकड़ा 55 दर्ज किया गया। हालांकि, जिस प्रकार चीन में बड़े-बड़े शहरों को दोबारा लॉकडाउन किया जा रहा है, उससे यह स्पष्ट होता है कि चीन में कोरोना की यह लहर पहली लहर से कहीं ज़्यादा खतरनाक रहने वाली है।
हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन ने राजधानी बीजिंग के नजदीकी इलाकों में दोबारा लॉकडाउन लागू कर दिया है और करीब 45 लाख लोगों को घरों में कैद कर लिया है। इससे पहले हेबई प्रांत की राजधानी शिज़्हियाझुयांग में भी चीन अपने करीब 1 करोड़ 10 लाख लोगों को घरों में रहने के लिए कह चुका है। अब ज़ाहिर सी बात है कि महज़ 50-100 मामलों के लिए तो चीन करोड़ों की आबादी के शहर को बंद नहीं करेगा। स्पष्ट है कि कोरोना की यह दूसरी लहर पहली लहर से बड़ी और ज़्यादा खतरनाक दिखाई दे रही है। ऐसे में चीन की अर्थव्यवस्था पर भी इसका बेहद बुरा प्रभाव पड़ना लगभग तय है।
बता दें कि जनवरी से मार्च तक आई कोरोना की पहली लहर को चीन सफलतापूर्वक संभालने के दावे कर चुका है। इस वर्ष कोरोना के बावजूद चीन अपनी अनुमानित विकास दर को 2 प्रतिशत (positive) बता रहा है, जबकि आंकड़ें इस तरफ इशारा नहीं कर रहे। इसके साथ ही चीन के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2021-22 में भी चीनी अर्थव्यवस्था के बढ़िया परफ़ोर्म करने को लेकर उम्मीद लगाई जा रही है। उदाहरण के लिए रेटिंग एजेंसी Fitch के मुताबिक वर्ष 2021-22 में चीन 8 प्रतिशत की दर से विकास करेगा, जबकि नोमुरा एजेंसी के मुताबिक चीन इस दौरान 9 प्रतिशत की विकास दर दर्ज कर सकता है। हालांकि, इन आंकड़ों का अनुमान लगाते वक्त इन एजेंसियों में से किसी ने ना तो जमीनी स्तर पर जाकर आंकड़ों की पुष्टि करने की कोशिश की और ना ही कोरोना की दूसरी लहर की संभावना को मद्देनजर लिया। ऐसे में अगर कोरोना की दूसरी लहर चीन की अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ती है, तो चीन की उम्मीदों के साथ-साथ इन एजेंसियों के ये आंकड़े धरे-के-धरे रह जाएँगे।
कोरोना के दौरान चीन की सफलता का एक ही राज़ है, और वो है पारदर्शिता की कमी! चाहे चीन की अर्थव्यवस्था से जुड़े आंकड़े हों, या फिर कोरोना से जुड़े, चीन ने हर बार बड़ी बखूबी से headline management के माध्यम से अपने आप को हर पैमाने पर सबसे अधिक प्रभावी और सफल सिद्ध करने की कोशिश की है। अब चीन जिस प्रकार अपने शहरों पर लॉकडाउन थोप रहा है, उससे स्पष्ट है कि चीन में कोरोना की कम से कम वो तस्वीर तो नहीं है, जो वह दुनिया को दिखाता फिर रहा है। चीन की वैक्सीन को पहले ही चीन के experts ही दुनिया की सबसे घटिया वैक्सीन घोषित कर चुके हैं, ऐसे में चीनी वैक्सीन भी शायद ही चीन को इस नए कोरोना संकट से उबार पाये!
चीन की खोखली अर्थव्यवस्था से जुड़े आंकड़ें तो हम पहले से ही देखते आ रहे हैं। हाल ही में कई बड़ी सरकारी चीनी कंपनियों ने Bonds का principal amount या ब्याज देने में अपनी असमर्थता जताई है। इनमें Yongcheng Coal & Electricity Holding Group और Huachen Auto Group Holdings Co जैसी बड़ी सरकारी कंपनियाँ भी शामिल हैं। इसका अर्थ यह है कि ये चीनी कंपनी अपने खर्चे चलाने के लिए लोगों से पैसा तो मांग रही हैं लेकिन ये कंपनियाँ उस पैसे को वापस देने या उसपर ब्याज देने के योग्य नहीं रही हैं। इस बड़े आर्थिक संकट के बीच अब चीनी सरकार ने default करने वाली कंपनियों के खिलाफ जांच शुरू कर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है। इस साल जुलाई महीने तक में ही चीनी कंपनियों ने कुल 16 बिलियन युआन की देनदारी पर default घोषित कर दिया था, जो इस साल के अंत तक 30 बिलियन युआन से भी ज़्यादा हो सकता है। चीनी कंपनियों द्वारा किए जा रहे bond defaults से इतना तो स्पष्ट है कि चीनी कंपनियों की वित्तीय हालत बिलकुल भी ठीक नहीं है, जैसा कि चीनी सरकार दावा कर रही है। इससे चीन की आर्थिक हालत के तापमान का अनुमान लगाना भी ज़्यादा मुश्किल नहीं है। ऐसे में कोरोना की दूसरी लहर के बाद अब चीन की पहले से कमजोर अर्थव्यवस्था पर एक और कड़ा प्रहार हुआ है, जिससे बचना चीन के लिए उतना आसान नहीं रहने वाला।